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अगर आपका क्रेडिट कार्ड का बिल साल भर में दो लाख रुपए से अधिक है, तो
यह आपके लिए जानना जरूरी है कि यह जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को
पहुंच जाएगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि आपके सभी बड़े वित्तीय लेन-देन
पर विभाग की नजर रहती है और आपकी ओर से किए गए निवेश, बचत, खरीददारी- सभी
की बाकायदा रिपोर्ट भी बना कर इनकम टैक्स अथॉरिटीज को भेजी जाती है। ऐसा
एनुअल इन्फॉर्मेशन रिटर्न (एआईआर) के जरिए किया जाता
है। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 285बीए के तहत कुछ चुनिंदा
व्यक्तियों/संस्थाओं को किसी कारोबारी साल के दौरान हुए कुछ चुनिंदा
वित्तीय लेन-देन के बारे में एनुअल इन्फॉर्मेशन रिटर्न (एआईआर) भरना होता
है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस साल भी एक विज्ञापन के जरिए संबंधित
रिपोर्टिंग संस्थाओं से 31 अगस्त 2014 से पहले एआईआर दाखिल करने के लिए कहा
है। एआईआर भरने की जिम्मेदारी उन संस्थाओं की होती है, जिनके जरिए वित्तीय
लेन-देन किए जाते हैं। जो संस्था एआईआर दाखिल करती है, उसकी जिम्मेदारी यह
भी होती है कि वह वित्तीय लेन-देन करने वाले व्यक्ति के पैन नंबर का
उल्लेख करे, साथ ही उस व्यक्ति का पिन कोड सहित पूरा पता भी बताए। 31 अगस्त
2014 तक एआईआर जमा करने में विफल रहने पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन
271एफए के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है। आइए जानें किन लेन-देन पर रहती है आयकर विभाग की नजर: - बॉन्ड में पांच लाख रुपए से अधिक का निवेश: यदि कोई व्यक्ति किसी कंपनी या संस्था की ओर से जारी किए गए बॉन्ड या डिबेंचर में पांच लाख रुपए या इससे अधिक का निवेश करता है, तो उसकी सूचना इनकम टैक्स अथॉरिटीज को देने की जिम्मेदारी वह बॉन्ड या डिबेंचर जारी करने वाली कंपनी या संस्था की होती है।
- पब्लिक इश्यू में एक लाख से अधिक निवेश: अगर कोई व्यक्ति किसी कंपनी के एक लाख रुपए या इससे अधिक राशि के शेयर पब्लिक इश्यू या राइट्स इश्यू के जरिए खरीदता है, तो शेयर जारी करने वाली कंपनी का उत्तरदायित्व होता है कि वह अथॉरिटीज को इसकी जानकारी दे।
- तीस लाख से अधिक की संपत्ति की खरीद या बिक्री: अगर कोई व्यक्ति तीस लाख रुपए या इससे अधिक कीमत की अचल संपत्ति खरीदता या बेचता है, तो रजिस्ट्रार/ सब-रजिस्ट्रार की यह जिम्मेदारी होती है कि वह इसकी सूचना इनकम टैक्स अथॉरिटीज को दे।
- आरबीआई के बॉन्ड में पांच लाख से अधिक का निवेश: भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी किए गए बॉन्ड में कोई व्यक्ति अगर किसी एक साल के दौरान पांच लाख रुपए या इससे अधिक का निवेश करता है, तो आरबीआई की तरफ से इस काम के लिए नियुक्त व्यक्ति को यह सूचना इनकम टैक्स अथॉरिटीज को देनी होती है।
- बचत खाते में 10 लाख से अधिक जमा करना: जब किसी एक साल के दौरान किसी व्यक्ति के बचत खाते में 10 लाख रुपए या इससे अधिक जमा होता है, तो उस बैंक की जिम्मेदारी होती है कि वह इसकी सूचना इनकम टैक्स अथॉरिटीज को दे।
- दो लाख रुपए से अधिक का बिल: किसी व्यक्ति को जारी किए गए क्रेडिट कार्ड के बिल के तौर पर किसी साल के दौरान दो लाख रुपए से अधिक की अदायगी किए जाने की स्थिति में उस बैंक या क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनी की जिम्मेदारी होती है कि वह इसकी सूचना इनकम टैक्स अथॉरिटीज को दे।
- म्यूचुअल फंड की दो लाख रुपए से अधिक की खरीददारी: किसी म्यूचुअल फंड योजना की यूनिटें खरीदने के लिए कोई व्यक्ति दो लाख रुपए या इससे अधिक लगाए, तो उस म्यूचुअल फंड के ट्रस्टी या ट्रस्टी की ओर से उस म्यूचुअल फंड के कामकाज का प्रबंधन करने वाले व्यक्ति को यह सूचना इनकम टैक्स अथॉरिटीज को देनी होती है।
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साभार: भास्कर समाचार
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