Monday, October 10, 2016

फॉरेंसिक साइंस में करियर बनाने के अच्छे अवसर; कमी है 70 प्रतिशत प्रोफेशनल की

फॉरेंसिक साइंस मौजूदा समय में न्यायिक जांच प्रक्रिया का एक जरूरी हिस्सा है। फॉरेंसिक साइंटिस्ट क्रिमिनल केस में सबूतों की साइंटिफिक स्टडी करते हैं और क्राइम की जगह का मुआयना कर सबूतों की छानबीन करते हैं। इसके लिए वे फिजिकल साइंस जैसे केमिस्ट्री, फिजिक्स और बायोलाॅजी का इस्तेमाल करते हैं। फॉरेंसिक
साइंटिस्ट द्वारा की गई स्टडी अपराध के अन्वेषण और उसको सुलझाने में एजेंसियों की मदद करती हैं। फॉरेंसिक एक्सपर्ट की मांग बढ़ने से छात्रों के लिए इसमें संभावनाएं बढ़ी हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। क्राइम इंवेस्टिगेशन के अलावा दूसरे क्षेत्रों में इनकी मांग बढ़ी है। देश के अलावा विदेशों में भी इनके लिए नौकरियों के अवसर बढ़ रहे हैं। 
देशमें हर साल तैयार होते हैं केवल 500 प्रोफेशनल: देश में फॉरेंसिक साइंस प्रोफेशनल की संख्या जरूरत से करीब 70 फीसदी तक कम हैं। इस क्षेत्र में ट्रेंड प्रोफेशनल की मांग विदेशों में ज्यादा है। अमेरिका जैसे विकसित देशों में इनकी मांग करीब 20 फीसदी तक बढ़ी है। भारत में इसके संस्थान कम हैं, लेकिन प्रोफेशनल की मांग बनी हुई है। देश में हर साल करीब 500 फॉरेंसिक प्रोफेशनल तैयार होते हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंस, दिल्ली की रिपोर्ट के अनुसार देश में फिलहाल फॉरेंसिक साइंस के मात्र 3 हजार प्रोफेशनल ही हैं, जबकि जरूरत 10 हजार से ज्यादा प्रोफेशनल की है। वहीं सरकारी क्षेत्र में इसके लिए आवेदन करने वालों की संख्या ज्यादा होती है। इसके अलावा फॉरेंसिक साइंस की पढ़ाई कराने वाले कॉलेजों में शिक्षकों के 50 फीसदी तक पद खाली हैं। 
तीन कैटेगरी में बंटी इंडस्ट्रीफॉरेंसिक साइंस को अामतौर तीन कैटेगरी में बांटा जाता है। पहला फॉरेंसिक मेडिसिन, दूसरा लैबोरेटरी साइंस जिसमें, बालिस्टिक्स, फिंगरप्रिंट्स, डॉक्यूमेंट की जांच शामिल है। तीसरी कैटगरी है फील्ड साइंस, इसमें क्राइम की जगह की छानबीन शामिल हैं। 
बैचलर डिग्री कर ले सकते हैं एंट्रीफॉरेंसिक साइंस के कोर्स अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट, रिसर्च, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट सभी स्तर पर मौजूद हैं। बायोलॉजी विषय के साथ साइंस स्ट्रीम से 12वीं करने वाले छात्र फॉरेंसिक साइंस के बीएससी कोर्स मंे प्रवेश ले सकते हैं। अधिकतर संस्थानों में अंडरग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश एंट्रेंस एग्जाम के जरिए मिलता है। फॉरेंसिक साइंस के एमएससी कोर्स में प्रवेश के लिए संबंधित स्ट्रीम में बीएससी जरूरी है। आगे की पढ़ाई के लिए छात्र पीएचडी भी कर सकते हैं। 
सरकारी संस्थाओं मंे ज्यादा मौकेएंटीटेररिस्ट ऑपरेशन, मास डिजास्टर मैनेजमेंट, क्राइम इंवस्टिगेशन और सायबर क्राइम इंवेस्टिगेशन जैसे क्षेत्रों में फॉरेंसिक एक्सपर्ट की आवश्यकता होती है। इस क्षेत्र में प्राइवेट और सरकारी संस्थाओं मंे जॉब कर सकते हैं, लेकिन सरकारी संस्थाओं मंे ज्यादा मौके हैं। पुलिस, सिक्योरिटी एजेंसियों और विभिन्न फॉरेंसिक लैब और अन्य लैबोरेटरी में भी जॉब की जा सकती है। इसके अलावा यूनिवर्सिटी और कॉलजों में शिक्षण कार्यों मंे नौकरी की अच्छी संभावनाएं हैं। इन डायरेक्ट विकल्पों के अलावा छात्र बायोटेक और फार्मा इंडस्ट्री में भी जॉब कर सकते हैं। सरकारी एजेंसियों में हालांकि नौकरी के लिए प्रतियोगिता भी बेहद कड़ी होती है।
अौसत से बेहतर कमाई: इस क्षेत्र में कॅरिअर की शुरुआत करने वाले प्रोफेशनल को बतौर लैब असिस्टेंट या तकनीशियन 20 से 25 हजार रु. तक प्रति माह पैकेज मिल सकता है। कुछ वर्षों के अनुभव के बाद पैकेज 40 से 50 हजार रु. प्रति माह हो सकता है। टीचिंग के क्षेत्र में कॅरिअर बनाने वालों को शुरुआत में 25 से 30 हजार रु. प्रति माह का पैकेज मिल सकता है। 
रिसर्च-ओरियंटेशन जरूरी: फॉरेंसिक साइंस रिसर्च-आधारित फील्ड है। इस फील्ड में बेहतर कॅरिअर के लिए ऊंची डिग्री और रिसर्च में रुचि जरूरी मानी जाती है। ऐसे प्रोफेशनल्स के लिए नौकरी और कॅरिअर ग्रोथ के अवसर ज्यादा होते हैं। 

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साभार: भास्कर समाचार 
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