Sunday, October 9, 2016

बाप ने साधु के कहने पर करवाया चातुर्मास का लम्बा 'उपवास': 68 दिन बाद बेटी की हुई मौत

हैदराबाद में जैन समुदाय की एक 13 साल की बच्ची की 68 दिन तक उपवास रखने के बाद मौत हो गई। उपवास खोलने के दो दिन बाद उसे दिल का दौरा पड़ा था। एनजीओ बलाला हक्कुला संघम का आरोप है कि बच्ची को जबरदस्ती उपवास पर बैठाया गया। हैदराबाद पुलिस इसकी जांच कर रही है। जैन समुदाय में लंबे व्रत
की परंपरा है। समाज के कुछ लोग इस घटना पर सवाल इसलिए उठा रहे हैं, क्योंकि लड़की नाबालिग थी। आराधना नाम की यह बच्ची 8वीं में पढ़ती थी। उसके पिता लक्ष्मीचंद समधारी की सिकंदराबाद में गहनों की दुकान है। बिजनेस अच्छा नहीं चल रहा था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। परिवार एक जैन संत का अनुयायी है। बताया जा रहा है कि संत ने लक्ष्मीचंद से कहा था कि अगर उनकी बेटी चातुर्मास में लंबा उपवास रखे तो कारोबार खूब चलेगा। संत के चक्कर में फंसे लक्ष्मीचंद ने बेटी को स्कूल छोड़कर उपवास रखने का आदेश दे दिया। एक अक्टूबर को व्रत पूरा हुआ। तरल भोजन शुरू कर दिया। लेकिन दो दिन बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। अस्पताल ले जाया गया, लेकिन हार्ट अटैक से उसकी मौत हाे गई। मौत को महिमामंडित करते हुए शवयात्रा भी शोभायात्रा बना दी गई। आराधना को बाल तपस्वी बताते हुए 600 से ज्यादा लोग इसमें शामिल हुए। 7 अक्टूबर को समाज के ही एक व्यक्ति की शिकायत पर मामला सामने आया। परिवार का दावा है कि आराधना पहले भी 41 दिन का उपवास कर चुकी थी। बच्ची के दादा मानिकचंद कहते हैं कि उन्होंने कुछ नहीं छुपाया। सब जानते थे कि आराधना उपवास पर है। लोग वहां सेल्फी भी लेते थे। आराधना का उपवास खत्म होने का अखबार में विज्ञापन भी आया था। उपवास खोलने के कार्यक्रम 'पारणा' में तेलंगाना के मंत्री पद्मराव गौड़ और जहीराबाद के सांसद बीबी पाटिल शामिल थे। काचीगुड़ा के जैन मुनि रविंद्र स्थानक कहते हैं, 'संथारा आमतौर पर बुजुर्गों के लिए है, जो जीवन जी चुके हैं और संन्यास चाहते हैं। उपवास या तपस्या के लिए किसी से जबरदस्ती नहीं की जा सकती।' 

क्रूरतापूर्ण तरीके से की गई बच्ची की हत्या: यह क्रूरतापूर्णहत्या है। दोषियों की गिरफ्तारी हो। बच्चों को ऐसी मान्यताओं में झोंकना शर्मनाक है। - अच्युता राव, अध्यक्ष,बलाला हक्कुला संघम 
पिता ने कहा- ये एक हादसा है और कुछ नहीं: कोई पिता बेटी की मौत नहीं चाहता। ये सिर्फ एक हादसा है। आराधना इससे पहले भी लंबा उपवास कर चुकी थी। -लक्ष्मीचंद समधारी, आराधनाके पिता

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साभार: भास्कर समाचार 
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