Sunday, October 9, 2016

पाकिस्तान में मचे हड़कंप का पहला शिकार आईएसआई प्रमुख रिजवान अख्तर, सेना प्रमुख राहिल भी हटाए जा सकते हैं

गुलाम कश्मीर में भारत की सर्जिकल स्ट्राइक (सीमित सैन्य कार्रवाई) से पाकिस्तान में मचा हड़कंप अब खुले तौर पर सामने आने लगा है। अंतरराष्ट्रीय दबाव में सेना और खुफिया एजेंसी आइएसआइ को आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहने के बाद पाकिस्तान सरकार अब आइएसआइ प्रमुख रिजवान अख्तर को
हटाने की तैयारी कर रही है। उन्हें अगले कुछ दिनों में आइएसआइ डीजी के पद से हटा दिया जाएगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पाकिस्तान की सत्ता में सेना और आइएसआइ को सबसे ताकतवर माना जाता रहा है। इसके बावजूद नवाज शरीफ सरकार के अख्तर को हटाने की तैयारी के कदमों को उन पर भारत के साथ दुनिया के बढ़ते दबाव का असर माना जा रहा है। उड़ी आतंकी हमले के बाद पहले भारत की कूटनीतिक घेरेबंदी और फिर गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के दोहरे दबाव से पाकिस्तान की दलीलों को दुनिया ने सुनने से साफ इनकार कर दिया है। यह बात खुद पाकिस्तानी हुक्मरानों को माननी पड़ी है कि आतंकवाद के खूंखार चेहरों- चाहे मसूद अजहर और सैयद सलाउद्दीन हो या फिर हक्कानी नेटवर्क से लेकर तालिबान, इन सबको पाक सेना और आइएसआइ का समर्थन मिलता रहा है। इसलिए उड़ी हमले के बाद आतंकवाद पर दुनिया भारत की बात सुन रही है और पाक अलग-थलग पड़ रहा है।
गौरतलब है कि इसी हफ्ते पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख राहिल शरीफ के साथ सुरक्षा पर हुई अहम बैठक के दौरान पाक पंजाब के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ की रिजवान के साथ तीखी झड़प भी हुई थी। शहबाज पीएम नवाज के छोटे भाई हैं। इसी बैठक में राहिल शरीफ, रिजवान और पाक के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नसीर खान जांजुआ को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने की दो टूक नसीहत दी गई थी। पाकिस्तान मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रिजवान को हटाए जाने की तैयारी की वजह गुलाम कश्मीर में भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के दावे से पैदा हुई हलचल है। शीर्ष आधिकारिक सूत्रों का हवाला देते हुए कहा गया है कि रिजवान की जगह कराची के कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल नवीद मुख्तार को आइएसआइ का डीजी बनाए जाने की पूरी संभावना है।
गुलाम कश्मीर में पिछले महीने भारतीय सेना की ओर से किए गए सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर छिड़ी बहस के बीच यह तय है कि इसके सबूत जारी नहीं किए जाएंगे। भारतीय हित और रणनीति इसकी इजाजत नहीं देती है। हां, वक्त आने पर यह जरूर साफ किया जाएगा कि यह अपनी तरह का पहला सर्जिकल स्ट्राइक था और इससे पहले कांग्रेस या किसी और काल में ऐसा नहीं हुआ। कुछ दलों और नेताओं की ओर से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सबूत की मांग की गई है। राजनीतिक बढ़त बनाने की कोशिश में इस तरह की मांग के बावजूद सरकार चुप्पी साधे बैठी है तो इसका कारण राष्ट्रीय सुरक्षा है। पाकिस्तान की ओर से भी उकसाने की कोशिश हो रही है तो सिर्फ इसलिए ताकि वह वीडियो के जरिये भारतीय सेना की रणनीति को भांप कर आगे की तैयारी कर सके। सूत्रों के अनुसार, जिस तैयारी के साथ सेना ने ऑपरेशन किया, उससे पाकिस्तान सकते में है। लैंडमाइन से बचते हुए सेना न सिर्फ आतंकियों के ठिकाने तक पहुंची बल्कि ऑपरेशन पूरा करने के बाद दूसरे रास्ते से वापस अपनी सीमा में आ गई। पाकिस्तान को इसकी कानोंकान खबर नहीं मिल सकी। यही तैयारी और रणनीति पाकिस्तान को डरा रही है।
राहिल शरीफ का भविष्य भी अनिश्चित: रिजवान का कार्यकाल अभी एक साल बाकी है और इसके बावजूद उनको हटाने की बात काफी मायने रखती है। खासकर यह देखते हुए कि सेना के बाद आइएसआइ पाक सत्ता का दूसरा सबसे ताकतवर केंद्र रहा है। वैसे, पाकिस्तान के मौजूदा सेना प्रमुख राहिल शरीफ का कार्यकाल भी अगले महीने खत्म हो रहा है। राहिल ने कुछ समय पहले रिटायर होने और सेवा विस्तार नहीं लेने की बात कही थी। पीएम नवाज शरीफ से भी राहिल के रिश्ते सहज नहीं रहे हैं और माना जा रहा है कि नवाज भी उन्हें सेवा विस्तार देने के हक में नहीं है। मगर भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाक में मची हलचल के बाद अस्थिरता के इस दौर में राहिल का रुख किस करवट होगा, इस पर अभी अनिश्चय है। 
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साभारजागरण समाचार 
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