Wednesday, January 11, 2017

मैनेजमेंट: नई जानकारी आपको हमेशा अधिक समृद्ध बनाती है

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
स्टोरी 1: नागपुर से ठीक 43 किलोमीटर दूर सोओनेर है, जो कोयले की भूमिगत खदानों के लिए जाना जाता है और 30 किलोमीटर दूर गोंडेगाव है, जिसकी पहचान खुली खदानों के लिए है। वेस्टर्न कोल फील्ड्स
(डब्ल्यूसीएफ) की ये खदानें तीन से पांच किलोमीटर क्षेत्र में फैली हैं। दोपहर के ठीक पहले साओनेर की भूमिगत खदान में सुरक्षा के उपकरणों से लैस 10 लोग रस्सी से बंधे कैरियर से नीचे उतारे गए। उनके पीछे डब्ल्यूसीएफ के प्रशिक्षित अधिकारी थे, जो लोगों को यह प्रत्यक्ष अनुभव देते हैं कि 'काला सोना' आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर कैसे निकाला जाता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उन्हें बताया जाता है कि कैसे खदान में काम करने वाले लोग अत्याधुनिक सुरक्षा उपायों का पालन करते हैं। कैसे भूमिगत विस्फोट अंजाम दिए जाते हैं और आखिर में वे पानी को दूसरी तरफ मोड़कर खदान में बाढ़ के खतरे को कैसे काबू में रखते हैं, जो खननकर्मियों के लिए आम बात है। जिन दस लोगों को खदान में उतारा गया वे आपके-मेरे जैसे आम पर्यटक हैं, जो देश के विभिन्न हिस्सों से हर विजिट के लिए 650 रुपए देकर आए हैं। यह महाराष्ट्र टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के छह घंटे के खनन पर्यटन का हिस्सा है। यह भारत में अपनी तरह का पहला प्रयोग है। ऑस्ट्रेलिया ने बहुत पहले अपनी सोने की खदानें पर्यटकों के लिए खोल दी थीं। खनन पर्यटन जिन देशों में प्रसिद्ध है उनमें ब्रिटेन प्रमुख है, जहां स्लैट, कोयले की कुख्यात खदानें और वैल्स की सोने की खदानें शामिल हैं। नमक की खदानंे यूरोप के लोगों के लिए नया आकर्षण है। हालांकि, अमेरिका की सोने चांदी की खदानंे सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में है। 
स्टोरी 2: यदि अापके गरम कपड़े पर्याप्त गर्मी नहीं दे रहे हैं, तो अगली ठंड में आप याक वुल के कपड़े आजमाकर देखें। यह मेरे दिमाग में तब आया जब अरुणाचल प्रदेश से मुझसे मिलने मुंबई आए मेरे दोस्त की पत्नी का फर कोट मैंने हाथ में उठाया। सिर्फ यह गरम तो था ही बल्कि बहुत फैशनेबल था। उन्होंने बताया कि याक वुल के वस्त्र मेरिनों ऊन से बने वस्त्रों की तुलना मेें 40 फीसदी अधिक गर्म होते हैं। ये अल्ट्रा वायलेट किरणों से सुरक्षा भी देते हैं और इसमें शरीर की गंध भी नहीं रहती। मेरिनो ऊन की तुलना में यह 17 फीसदी हल्के होते हैं। याक लंबे बालों वाला सांड जैसा प्राणी है, जो हिमालय, तिब्बत के पठार, मंगोलिया के कुछ क्षेत्रों और मध्य एशिया में पाया जाता है। इसके ऊन का उपयोग एक हजार साल से भी अधिक समय से हिमालय के आर-पार के इलाकों में कपड़े, टेंट, रस्सियां और कंबल बनाने में किया जाता रहा है। अब जाकर कुछ वस्त्र निर्माताओं ने इस फाइबर को फैशन के आइटम के रूप में पहचाना है और इसका इस्तेमाल प्रीमियम कीमतों वाले कपड़े अन्य असेसरी बनाने में कर रहे हैं। चूंकि अरुणाचल के तवांग के छह ब्लॉक और केमेंग जिले के दो ब्लॉक को मिलाकर कुल 13,700 याक हैं तो नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन याक (एनआरसीवाई) ने याक पालकों को आर्थिक रूप से टिकाऊ याक पालन को पेशे के रूप में अपनाने के लिए प्रशिक्षित करने की योजना बनाई है। एनआरसीवाई राष्ट्रीय जूट शोध एवं संबंधित प्रौद्योगिकी संस्थान, कोलकाता की मदद से याक फॉर्मर और स्थानीय युवाओं को उद्यम के अवसर देने के साथ याक वुल जूट से बने वस्त्रों का बाजार विकसित करने की कोशिश कर रहा है। ये वस्त्र प्रत्येक राज्य की तापमान की परिस्थितियों के मुताबिक नए ब्रैंड नेम के साथ बनाए जा रहे हैं। याक वुल के भीतर पानी नहीं जाता। याक सब दृष्टि से उपयोगी फाइबर विकसित कर लेते हैं, जो घर से बहुत काम देता है। 
फंडा यह है कि यदि आप नई जानकारी से कोई बात पैदा करे तो पैसा आएगा और कम से कम बौद्धिक स्तर पर आपकी मांग रहेगी। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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