Saturday, October 8, 2016

सप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: यदि पत्नी अपने पति को माता-पिता से अलग होने को मजबूर करे तो ये है क्रूरता

सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है, यदि कोई पत्नी, पति को माता-पिता और परिवार से अलग करने के लिए मजबूर करती है, तो यह 'क्रूरता' मानी जाएगी। वो भी सिर्फ इसलिए कि वह पति की इनकम से इंज्वॉय करना चाहती है। इस आधार पर हिन्दू पति, पत्नी को तलाक दे सकता है। पत्नी द्वारा पति के खिलाफ झूठे आरोप, एक्सट्रा मैरिटल अफेयर, आत्महत्या करने की धमकी देना भी 'मानसिक क्रूरता' है। यह भी तलाक का आधार हो सकता है। कोर्ट का यह फैसला नरेंद्र वर्सेज कुमारी मीरा के मामले में आया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसमें पति ने कोर्ट से अपनी 24 साल की शादी को रद्द करने की अनुमति मांगी थी। मामले की सुनवाई जस्टिस एआर दवे और जस्टिस एलएन राव की बेंच कर रही थी। बेंच ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को भी रद्द कर दिया। जिसमें उसने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया था, यह कहते हुए कि पत्नी की ख्वाहिश सही है। वह पति का इनकम परिवार के सदस्यों पर खर्च करने के बजाय खुद उपयोग करना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का निष्कर्ष सही था कि पत्नी का बार-बार आत्महत्या का प्रयास करना 'क्रूरता' है। बेंच ने कहा 'कोई भी पति कभी भी पत्नी के इस तरह के व्यवहार को सहन नहीं कर सकता है। और ही सुकून महसूस कर सकता है। यदि पत्नी आत्महत्या में सफल हो जाती है तो कोई कल्पना कर सकता है कि पति की स्थिति क्या होगी? वह किस तरह कानून के शिकंजे में फंसेगा। उसका विवेक, मानसिक शांति, करिअर और पूरी जिंदगी तबाह हो जाएगी। केवल कानूनी परिणामों का सामना करने से पति भयंकर तनाव में जाएगा।' बेंच ने आगे कहा है 'समान्यता पत्नी शादी के बाद पति के परिवार के साथ रहती है। लेकिन पत्नी यदि पति को माता-पिता और परिवार से अलग रहने को कहती है तो उसका कोई ठोस कारण भी होना चाहिए। इस केस में कोई ऐसा ठोस सबूत, अार्थिक मुआवजे का मामला नहीं मिला, जिसमें पति की पत्नी के प्रति जवाबदेहीता हो। पत्नी ने पति पर नौकरानी से अवैध संबंध का आरोप भी गलत साबित हुआ।' 
आमतौर पर कोई भी पति यह बर्दाश्त नहीं करेगा। और कोई भी बेटा अपने बूढ़े माता-पिता और परिवार से अलग नहीं होना चाहेगा। जो उसकी आय पर निर्भर हों। बेटे द्वारा माता-पिता की देखभाल करना भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। यहां अभी लोग उस पश्चिमी सभ्यता से सहमत नहीं हैं, जहां बेटा बालिग होने और शादी के बाद पैरेंट्स से अलग रहने लगता है। -सुप्रीम कोर्ट 

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साभार: भास्कर समाचार 
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