Tuesday, October 18, 2016

ऑटो इंडस्ट्री में हर साल 60 लाख नौकरियां

हाल ही में भारत कार मैन्युफैक्चरिंग के मामले में दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश बन गया है। देश में ऑटो इंडस्ट्री में पिछले कुछ वर्षों में तेजी के साथ बढ़ता विदेशी निवेश देखने को भी मिला है। 2015 में भारत की ऑटो इंडस्ट्री साइज के आधार पर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इंडस्ट्री बनी थी। देश की
जीडीपी में इस इंडस्ट्री की 7.1 फीसदी हिस्सेदारी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। देश में ऑटो इंडस्ट्री के विस्तार से नई जॉब की संभावनाएं भी बढ़ी हैं। एक नई रिपोर्ट के अनुसार आने वाले दस वर्षों में ऑटो इंडस्ट्री में करीब 6.5 करोड़ नई नौकरियां पैदा होने की संभावना है। 
उत्पादन और निवेश दोनों बढ़ा: 2015 की अपेक्षा 2016 में व्हीकल प्रोडक्शन मंे 2.58 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। भारत मंे पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट की ऑटो इंडस्ट्री में 13 फीसदी हिस्सेदारी है। उत्पादन बढ़ने के साथ देश में ऑटो प्रोडक्ट की मांग भी बढ़ी है। 2016 मंे ही पैसेंजर व्हीकल की बिक्री पिछले साल के मुकाबले 7.24 फीसदी बढ़ी है। कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में पिछले वर्ष की अपेक्षा 11.51 फीसदी की तेजी देखने को मिली है। 2015 की अपेक्षा 2016 मंे कमर्शियल व्हीकल के निर्यात में भी 18.36 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि 2016 में कुल ऑटोमोबाइल के निर्यात में करीब 2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2000 से 2016 के दौरान देश के ऑटो सेक्टर में करीब 15.6 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मिला है। 
इंजीनियरों के लिए ज्यादा मौके: ऑटोसेक्टर मंे तेजी नई जॉब्स की संभावानाएं बढ़ा रही है, ऐसे में ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग छात्रों के लिए इस क्षेत्र में नौकरी का बेहतर जरिया हो सकता है। ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग और व्हीकल इंजीनियरिंग का सम्मलित रूप है। इंजीनियरिंग की इस ब्रांच में डिजाइनिंग, डेवलपिंग, मैन्युफैक्चरिंग, टेस्टिंग, रिपेयरिंग और सर्विसिंग जैसे काम शामिल हैं। इसमंे ऑटोमोबाइल्स की मैन्युफैक्चरिंग और डिजाइनिंग में इंजीनियरिंग की अन्य ब्रांच जैसे मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक, सॉफ्टवेयर और सेफ्टी इंजीनियरिंग का उपयोग होता है। 
12वीं के बाद बैचलर डिग्री कोर्स में ले सकते हैं प्रवेश: ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के कोर्स विभिन्न स्तर पर देश के कई संस्थानों में मौजूद हैं। मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री विषयों के साथ 12वीं करने वाले छात्र इसके बीई या बीटेक कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। प्रवेश जेईई के स्कोर के आधार पर मिलता है। पोस्टग्रेजुएट स्तर पर एमई या एमटेक कोर्स कर सकते हैं। अधिकतर संस्थानों मंे पोस्टग्रेजुएट कोर्स मंे प्रवेश के लिए गेट का स्कोर जरूरी होता है। इसके अलावा 10वीं कक्षा के छात्र ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के डिप्लोमा कोर्स में भी प्रवेश ले सकते हैं। 
प्राइवेट सेक्टर में ज्यादा संभावनाएं: इस क्षेत्र में नौकरी की कई संभावनाएं हैं। इसमंे ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज़, प्रोडक्शन प्लांट, सर्विस स्टेशन, स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन, प्राइवेट ट्रांसपोर्ट कंपनियों, इंश्योरेंस कंपनियों और मोटर व्हीकल डिपार्टमेंट इत्यादि में जॉब कर सकते हैं। कंप्यूटर एेडेड डिजाइन, कैम ऑटोमेशन, जैसे सॉफ्टवेयर की जानकरी के बाद ऑटोमोबाइल इंजीनियर ऑटो डिजाइनिंग के क्षेत्र में भी काम कर सकते हैं। 
2 से 3 लाख रु. शुरुआती पैकेज: इस क्षेत्र में सैलरी पैकेज संस्थान और कार्यक्षेत्र के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। फ्रेशर को 15-22 हजार रुपए प्रति माह सैलरी मिलने की संभावना होती है। कुछ वर्षों के अनुभव के बाद सैलरी पैकेज 35-45 हजार रुपए प्रति माह तक हो सकता है। बड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में सैलरी पैकेज ज्यादा हो सकता है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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