Wednesday, December 3, 2014

इन नौ चीजों को को देखकर पहचानें असली और नकली नोट

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नकली नोटों का करोबार इतना फैल चुका है कि कभी भी किसी के साथ भी धोखा हो सकता है। नकली नोट को भी इनती सफाई से तैयार किया जाता है कि उन्हें देखकर कोई भी धोखा खा सकता है। आरबीआई ने इसके मद्देनजर साल 2005 से पहले जारी किए गए नोटों बदलने का फैसला किया था। आपको बता दें कि आरबीआई ने देश में कालेधन और नकली नोटों की समस्या से निपटने के लिए ये फैसला लिया। जनवरी 2015 से बाजार में पुराने नोट नहीं दिखेंगे। बैंक इन्हें वापस ले लेगा। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि असली और नकली नोटों की पहचान कैसे की जाए। हम आपको 1000 और 500 के नोटों की असली या नकली होने की सटीक पहचान करने के तरीके बता रहे हैं। असली नोट और नकली नोट में आइडेंटिफिकेशन मार्क का अंतर होता है। ये कौन से मार्क हैं और कहां होते हैं, जानने के लिए आगे पढ़ें: 
  1. वाटर मार्क: किसी भी नोट पर वाटर मार्क जरूर देखें। सभी असली नोटों में महात्मागांधी की फोटो बनी है। उसी फोटो को हल्के शेड में वाटरमार्क में भी बनाया गया है। जब नोट  को आप थोड़ा तिरछा करेंगे तो यह दिखाई देगी। 
  2. सिक्योरिटी थ्रेड: इसके बाद सिक्योरिटी थ्रेड पर गौर करें। नोट के बीच में यह सीधी लाइन के रूप में होता है। जिस पर हिंदी में भारत और आरबीआई लिखा होता है। 
  3. लेटेंट इमेज: नोट पर गांधी जी की फोटो के साइड में लेटेंट इमेज होती है जिसमें जितने का नोट है उसकी संख्या लिखी होती है। नोट को सीधा करने पर ही यह दिखाई देती है।
  4. माइक्रोलेटरिंग: नोट में बनी गांधी जी की फोटो टीक बाजू में माइक्रोलेटरिंग होती है।5 रुपए, 10 रुपए और 20 रुपए के नोट में यहां पर आरबीआई लिखा होता है। इनसे ऊपर के नोटों  में नोटी वेल्यू होती है। जैसे 500 रुपए के नोट में माइक्रोलेटर्स में 500 लिखा होता है। 
  5. इंटेग्लिओ प्रिंटिंग: नोट पर विशेष प्रकार की प्रिटिंग इंक उपयोग की जाती है। इस इंक की वजह से महात्मा गांधी की फोटो, आरबीआई की सील और प्रोमाइसिस क्लॉस, आरबीआई गवर्नर के  साइन  को टच करने पर यह उभरे हुए महसूस होते हैं। 
  6. आईडेंटिफिकेशन मार्क: यह खास तरह का मार्क होता है जो वाटर मार्क के बाईं ओर होता है। सभी नोटों में यह अलग आकार का होता है। 20 रुपए में ये वर्टिकल रेक्टेंगल, 50 रुपए में चोकोर, 100 रुपए में ट्रेंगल, 500 रुपए में गोल और 1000 रुपए में डायमंड शेप में होता है। 
  7. फ्लोरेसेंस: नोट पर नीचे की ओर विशेष नंबर होते हैं जो कि इसकी सीरीज को दर्शाते हें। इन्हें फोरेसेंस इंक से प्रिंट किया जाता है। जब नोट को अल्ट्रा वॉइलेट लाइट में ले जाया जाता है तो ये नंबर उभर कर दिखाई देते हैं। 
  8. ऑप्टिकल वेरिएबल इंक: इस विशेष इंक का इस्तेमाल 1000 और 500 के नोट में किया गया है। नोट में बीचो बीच लिखे 500 और 1000 के अंक को प्रिंट करने में इस इंक का उपयोग किया  गया है। जब नोट फ्लैट होता है तो ये  अंक हरे रंग के दिखाई देते हैं और जब इसके एंगल को बदलने पर इनका कलर बदल जाता है। 
  9. सी थ्रू रजिस्ट्रेशन: वाटर मार्क के साइड में यह फ्लोरल डिजाइन के रूप में होता है। यह नोट के दोनो साइड दिखाई देता है। एक साइड यह रिक्त होता है और दूसरी साइड यह भरा हुआ दिखाई देता है।
साभार: भास्कर समाचार
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