Wednesday, December 31, 2014

शादीशुदा लोगों के लिए इनकम टैक्स बचाने का ये भी है रास्ता

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क्या शादीशुदा व्यक्ति ज्यादा आयकर बचा सकता है? यह सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लग सकता है, लेकिन यही सच है। इनकम टैक्स एक्ट 1961 में ऐसे कई प्रावधान हैं, जो एक वैवाहिक व्यक्ति को अपेक्षाकृत अधिक आयकर बचाने में मददगार होते हैं। शादी के बाद व्यक्ति को परिवार संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन यह भी उतना ही बड़ा सच है कि इनकम टैक्स (आयकर) बचाने के मामले में एक मैरिड कपल को
अकेले व्यक्ति की तुलना में कहीं अधिक फायदा मिलता है। अगर आप शादीशुदा हैं या आप शादी करने जा रहे हैं तो देखिए यह लाइफ कितनी मददगार हो सकती है। 
अलग से बनाए इनकम टैक्स फाइल: इसमें सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि आप अपने जीवन-साथी के नाम पर भी अलग इनकम टैक्स फाइल बना सकते हैं। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि दो लाख रुपए तक की वाषिर्क आय पर किसी भी तरह का इनकम टैक्स देय नहीं होता है। शादी के पहले इनकम टैक्स की बेसिक छूट सीमा (एक्जम्शन लिमिट) का केवल आपको ही फायदा मिलता था, लेकिन शादी के बाद अब आपकी पत्नी को भी पृथक इनकम टैक्स असेसी माना जाएगा। यानी आपकी तरह ही पत्नी भी दो लाख रुपए तक की बेसिक छूट सीमा की हकदार हो जाएगी। इस तरह आप एक कपल के रूप में कुल मिलाकर चार लाख रुपए की सीमा तक टैक्स एग्जिम्ट कर सकेंगे।  
दोनों को मिलेंगे टैक्स डिडक्शन के फायदे: आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर कटौती (टैक्स डिडक्शन) को लेकर पति को जो फायदे मिलते हैं, वे ही फायदे पत्नी को भी मिलने लगेंगे, बशर्ते उसकी अलग से इनकम टैक्स फाइल बना ली जाए। इस धारा के तहत पीपीएफ या जीवन बीमा की पॉलिसियों में एक लाख रुपए तक के निवेश पर डिडक्शन का लाभ मिलता है। अगर पत्नी के नाम पर भी पीपीएफ खाता ाुलवा लिया जाए या फिर जीवन बीमा की पॉलिसियां ले ली जाएं तो धारा 80-सी के तहत एक-एक लाख रुपए का डिडक्शन का लाभ पति-पत्नी दोनों को अलग-अलग मिल सकेगा। इतना ही नहीं, इनकम टैक्स की धारा 80-डी के तहत पति-पत्नी दोनों के द्वारा मेडिक्लैम पॉलिसी लेने पर भी अलग-अलग टैक्स डिडक्शन का फायदा उठा सकते हैं।  
घर खरीदने में भी फायदा ही फायदा: यदि शादी के बाद आप होम लोन के जरिए कोई मकान खरीदते हैं तो उसे अपनी पत्नी के साथ संयुक्त रूप से खरीदें। मैं बता दूं कि इनकम टैक्स एक्ट की धारा 24 के तहत हाउस लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर अधिकतम डेढ़ लाख रुपए सालाना डिडक्शन का लाभ मिलता है। अगर पति और पत्नी संयुक्त नाम पर घर खरीदते हैं तो इस पर दोनों को ही धारा 24 के तहत हाउस लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर अलग-अलग डेढ़-डेढ़ लाख रुपए तक की कर-कटौती का लाभ मिलेगा। इस प्रकार शादीशुदा व्यक्ति एक ही संपत्ति पर होम लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज की मद में तीन लाख रुपए तक की कर-छूट का दावा कर सकता है। 
सारांश: 
  • पत्नी की अलग से आयकर फाइल बनाने पर दो लाख रुपए की अतिरिक्त कर-छूट का लाभ मिलेगा।
  • पत्नी भी धारा 80सी के तहत अलग से अधिकतम एक लाख रुपए तक के निवेश पर कर-कटौती का लाभ हासिल कर सकती है।
  • संयुक्त रूप से मकान खरीदने पर होम लोन के ब्याज के भुगतान पर अधिकतम तीन लाख रुपए तक की कर-कटौती का लाभ मिलेगा।
साभार: भास्कर समाचार
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