नोट: इस पोस्ट को सोशल साइट्स पर शेयर/ ईमेल करने के लिए इस पोस्ट के नीचे दिए गए बटन प्रयोग करें।
Post
published at www.nareshjangra.blogspot.com
अगर आपको किसी भी स्रोत से आमदनी होती है, तो टीडीएस (TDS) आपके लिए अनजाना शब्द नहीं होगा। स्रोत
पर कर कटौती (टीडीएस) वह निश्चित फीसदी होता है, जो सैलरी, कमीशन, रेंट,
ब्याज, प्राइज मनी या डिविडेंड जैसी विभिन्न प्रकार की अदायगी पर काटा जाता
है। टीडीएस के विवरण फॉर्म 26एएस में अपडेट होते हैं। टीडीएस की कुछ अहम
खासियतें इस तरह हैं:
- लागू होती हैं अलग-अलग दरें: अलग-अलग तरह की आमदनी के लिए अलग-अलग टीडीएस दरें लागू की जाती हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिला ब्याज 10 हजार रुपए से अधिक है, तो उस पर 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटा जाता है। लेकिन अगर आपने किसी क्रॉसवर्ड पजल या कार्ड गेम या लॉटरी आदि में इनाम जीता है तो उस पर 30 फीसदी की दर से टीडीएस काटा जाता है।
- टीडीएस न काटने का अनुरोध: कुछ स्थितियों में टीडीएस न काटने का अनुरोध किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, डिविडेंड, ब्याज और म्यूचुअल फंड से होने वाली आमदनी को फॉर्म 15जी और 15एच में केवल सेल्फ डिक्लेयर कर ऐसा किया जा सकता है, यदि उस व्यक्ति की इन मदों से आमदनी टैक्स लगाने के लिए जरूरी राशि से अधिक न हो।
- यदि टीडीएस न कटे तो: कई बार टीडीएस नहीं कटता, लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं है कि आपको टैक्स अदा करने की जरूरत नहीं है। टीडीएस न कटने के बावजूद आपको टैक्स अदा करना होता है, अगर आप उस दायरे में आते हैं।
- अगर अधिक टीडीएस कट गया तो: कई बार ऐसा भी होता है कि कोई व्यक्ति इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आता, लेकिन उसके फिक्स्ड डिपॉजिट पर टीडीएस कट गया हो। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर टैक्स रिफंड की मांग कर सकता है।
Post
published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार
For getting
Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking
HERE .
Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other
important updates from each and every field.