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अपनी आंखों की देखभाल की जिम्मेदारी हमारी खुद की है। बिना आंखों के हम
अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जरा सोचिए, जो लोग देख नहीं
सकते, वे कैसा महसूस करते होंगे! इस दुनिया के ख़ूबसूरत नजारों को देखने के
लिए आंखें हमें मिली हैं, लेकिन उम्र बढ़ने पर स्वाभाविक रूप से आंखों की
रोशनी कम होने लगती है। इसके अलावा, कुछ बीमारियों के कारण भी आंखों की
क्षमता पर असर पड़ता है। आजकल बदलती और फास्ट लाइफ स्टाइल के कारण भी लोगों
की आंखों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। लगातार कई घंटों तक कम्प्यूटर
पर काम करना, पौष्टिक आहार की कमी और लगातार धूल-मिट्टी के संपंर्क में आने
के कारण आंखों की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। बढ़ता प्रदूषण भी आंखों
के खराब होने का एक कारण है। आज हम आपको आंखों से जुड़ी कुछ समस्याओं के
बारे में बता रहे हैं, ताकि वक्त रहते आप अपनी आंखों की सही से देखभाल कर
सकें।
- ड्राई आई: ड्राई आई का मतलब आंखों की वैसी कंडीशन से है, जिसमें आंसू ग्रंथियां पर्याप्त आंसू का निर्माण नहीं कर पातीं। यह समस्या सर्दी के मौसम में ज्यादा होती है। यह बीमारी कनेक्टिव टिश्यू के डिसऑर्डर की वजह से होती है। समस्या अधिक होने की स्थिति में आंख की सतह को नुकसान पहुंच सकता है और इसके परिणामस्वरूप अंधेपन की समस्या भी हो सकती है। इस समस्या के सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं बच्चे और युवा। कम रोशनी में पढ़ना और देर तक बिना ब्रेक के कम्प्यूटर और लैपटॉप पर समय बिताने की आदत इस समस्या के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार है। कम्प्यूटर पर काम करते समय बीच-बीच में ब्रेक लेना बहुत जरूरी है। इससे आंखों को आराम मिलता है। इसके अलावा, कम्प्यूटर स्क्रीन पर लगातार देखने के बजाय अपनी पलकों को झपकाते रहें।
- कंजक्टिवाइटिस: कंजक्टिवाइटिस आंखों से जुड़ी सबसे आम बीमारी है। इसमें आंखें सूज जाती हैं। आंखों में बराबर दर्द बना रहता है और पानी आता रहता है। आंखों की यह बीमारी बहुत तेजी से आसपास के लोगों तक भी पहुंच जाती है। एक-दूसरे को छूने और आंखों में देखने से ही यह संक्रमण किसी दूसरे को हो सकता है।
- मोतियाबिंद: आजकल मोतियाबिंद की समस्या बहुत आम हो गई है। काफी लोग इस समस्या से ग्रस्त होते हैं। मोतियाबिंद की समस्या गर्मियों में अक्सर लोगों को परेशान करती है। इसीलिए कहीं आप भी इस बीमारी की चपेट में न आ जाएं, इससे पहले ही आप अपनी आंखों का ख्याल रखें। वैसे, यह समस्या अक्सर अधिक उम्र के लोगों को ही होती है।
- आंखों की पलकों के ग्लैंड में संक्रमण होने पर सूजन आ जाती है। इसी सूजन को आंख की फुंसी के रूप में जाना जाता है। यह समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। फिर भी जो लोग आंखों को रगड़ते हैं, जिनकी पलकों में रूसी हो या जिनकी नजर कमजोर हो, उन्हें ज्यादा तंग करती है। आंख में दर्द होना, पानी आना, चौंध लगना व पलकों पर सूजन आना इसके सामान्य लक्षण हैं।
- भैंगापन कई बार जन्मजात या प्रसव के दौरान पड़े दबाव से हो जाता है। शुरुआती दौर में इससे भले ही कोई खास फर्क न पड़ता हो, लेकिन धीरे-धीरे ऐसे मामले में आंख कमजोर होती जाती है।
- आंखों में खुजली या फिर चुभन का सीधा मतलब ये है कि आंखें सूख जाती हैं, जिससे उनकी ल्यूब्रिकेट करने की क्षमता प्रभावित होती है। लेकिन यह समस्या पिंक आई स्टेन के कारक एडिनो 8 वायरस की वजह से भी हो सकती है, जिसमें केवल आंखों की प्यूटिरायड ग्रंथि ही नहीं, बल्कि ग्लूकोमा भी प्रभावित होता है।
- लेजी आई सिंड्रोम के मुख्य कारणों में भैंगापन, दोनों आंखों के चश्मे की पावर में अंतर और दोनों आंखों में चश्मे के नंबर के ज्यादा होने को शामिल किया जाता है। इसके अलावा कॉर्निया में निशान पड़ने से भी लेजी अई सिंड्रोम होने की आशंका बढ़ जाती है। लेजी आई सिंड्रोम का पता बच्चों की आंख की प्रारंभिक स्क्रीनिंग के माध्यम से लगाया जा सकता है।
- ग्लूकोमा को काला मोतिया के नाम से भी जाना जाता है। ज्यादातर लोग ग्लूकोमा और इसके लक्षणों के बारे में नहीं जानते हैं। इसके लक्षणों को लोग तब तक पहचान नहीं पाते, जब तक कि उन्हें कम नहीं दिखाई देने लगता। इस बीमारी की शुरुआत में आंखों की तंत्रिकाओं की कोशिकाएं मामूली रूप से टूटने लगती हैं। इससे आंखों के सामने छोटे-छोटे बिंदु और रंगीन धब्बे दिखाई पड़ते हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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