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भले ही कश्मीर
के एक बहुत बड़े भू-भाग पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया हो, पर पाकिस्तान
की सबसे बड़ी अदालत (सर्वोच्च न्यायालय) मानती है कि पाक अधिकृत कश्मीर
भारत का हिस्सा है। पाकिस्तान में आतंकवादी और वहां सत्ता और विपक्ष के
नेता कुछ भी राग अलापते रहें पर हकीकत में देखा जाए तो कश्मीर भारत का ही
अभिन्न हिस्सा है।
- पाकिस्तान की संसद ने किया प्रस्ताव पास: भले ही पाक सर्वोच्च न्यायालय ने पाक अधिकृत कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताने वाली याचिका को निरस्त कर उसे भारत का अभिन्न अंग बताया हो। इसके बावजूद भी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान पर पूरी तरह से नियंत्रण करना चाहता है। गिलगित- बाल्टिस्तान की पाकिस्तान द्वारा संचालित गैर कानूनी विधानसभा में इस इलाके को पाकिस्तान के नये प्रान्त का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव 13 सितम्बर 2012 को पारित कर दिया था। फिलहाल यह मामला न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद लटका हुआ है।
- पाक अधिकृत के लोग हो जाएंगे पूरे पाकिस्तानी: अगर पाकिस्तानी संसद पाक अधिकृत कश्मीर की गैर कानूनी विधानसभा में पारित प्रस्ताव मान लेती है तो गिलगित - बाल्टिस्तान के निवासियों को बाकी पाकिस्तानी प्रांत के लोगों की तरह सारे अधिकार मिल जाएंगे। अब तक पाकिस्तानी सरकार ने यहां के निवासियों को मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित रखा है। अलग राज्य का दर्जा मिलने के बाद यहां के लोग पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के लिए अपने प्रतिनिधि चुन सकेंगे। अगर यह प्रस्ताव पाकिस्तान की संसद में पास हो गया तो यह क्षेत्र पाक का पांचवा राज्य बन जाएगा।
- पाक सेना कुचलती है आंदोलन: पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान में लोकतांत्रिक व्यवस्था व स्वायत्तता के लिए लंबे समय से आंदोलन चल रहा है। पाकिस्तान की सेना यहां होने वाले आंदोलन को कुचलती रही है। अब यहां पर बड़ी संख्या में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पाकिस्तानी सेना द्वारा संचालित किए जाते रहे हैं। यह इलाका पाकिस्तानी सेना के कब्जे में है। पाक अधिकृत कश्मीर की निर्वाचित विधायिका को सीमित अधिकार प्राप्त हैं। वहां के निवासी प्रतिबंधों से मुक्त विधायिका और अन्य लोकतांत्रिक संस्थाओं व अधिकारों की मांग करते रहते हैं। यहां के ज्यादातर फैसले कश्मीर काउंसिल करती है जिसकी नियुक्ति पाकिस्तानी राष्ट्रपति करते हैं।
- हमारा हो अपना सीएम: 29 अगस्त 2009 को पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान एनवायरमेंट एंड सेल्फ गवर्नेंस नामक एक अध्यादेश जारी किया था। अध्यादेश के अनुसार वहां की विधान सभा अपना मुख्यमंत्री चुनेगी। राज्यपाल की नियुक्ति पाकिस्तान के राष्ट्रपति करेंगे। राज्यपाल के अधीन गिलगित- बाल्टिस्तान की सभा होगी। इसमें 12 सदस्य होंगे। 12 सदस्यों में से छह विधानसभा के होंगे बाकी के छह को राज्यपाल नियुक्त करेंगे। इस अध्यादेश के लागू होने के बाद यहां का मुख्यमंत्री केंद्र का रबर स्टांप बनकर रह जाएगा। इस क्षेत्र की रक्षा वित्त के मामले पर यहां के लोगों का अधिकार खत्म हो जाएगा। इसी कारण यहां के लोग विरोध कर सालों से आंदोलन कर रहे हैं। पाकिस्तान इस क्षेत्र को स्वायत्तता देने की आड़ में नया खेल खेलने का मंसूबा पाले हुए है।
- मौलिक सुविधाओं से हैं वंचित: जुलाई 1947 तक गिलगित भारत के साथ था। अक्बटूर 1947 में पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया। पाक का कब्जा होने के बाद वहां जो अंतरिम सरकार बनाई गई। इसमें किसी भी स्थानीय को नहीं रखा गया। 67 साल बाद भी यहां के लोग मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। पाकिस्तान ने इसका नाम बदलकर उत्तरी क्षेत्र कर दिया था। उसने इसका उपयोग सामरिक मामलों को पूरा करने के लिए किया।
- पाक ने इस इलाके में बसा दिए दूसरे राज्य के निवासी: भले ही कश्मीर से धारा 370 नहीं हटी है पर पाकिस्ता ने पाकिस्तान ने बीते कई दशक के दौरान योजनाबद्ध काम किया है। जुल्फिार अली भुट्टो के शासनकाल में सबसे पहले यहां स्टेट सब्जेक्ट कानून खत्म किया। यह वही कानूनी प्रावधान है जिसके चलते आज भी भारत के दूसरे हिस्सों के लोग जम्मू कश्मीर में जमीन खरीद कर वहां बस नहीं सकते। सत्तर के दशक में पाकिस्तान ने अपने गैर-कानूनी कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान से यह प्रावधान हटाकर वहां की आबादी की संरचना बदल डालने का रास्ता खोल दिया। फिर इस इलाके में पंजाब व पख्तूनख्वा से सुन्नी संप्रदाय के लोगों को बसाया जाने लगा। अब यहां पर बहुसंख्यक शिया समुदाय संख्या कम हो गई है। हालत यह है कि अपने ही क्षेत्र में शिया समुदाय को आए दिन कट्टरपंथियों के अमानवीय हमलों का सामना करना पड़ता है। आबादी का यह संतुलन बिगड़ा तो इस इलाके में पाक-परस्त जमात का दबदबा बनता चला गया।
- पांचवां राज्य बनाना चाहता है पाक: गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का पांचवा सूबा बनाए जाने के खिलाफ जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट नामक अलगाववादी संगठन की लंदन इकाई ने लंदन में आवाज उठाई। इनका कहना है कि पाकिस्तान अपने मतलब के लिए जम्मू-कश्मीर को बांट रहा है। पाकिस्तान के कब्जे वाले ‘गुलाम कश्मीर‘ में पड़ने वाले मीरपुर जिले की बार एसोसिएशन ने भी गिलगित बाल्टिस्तान के पाकिस्तान में विलय की इस कोशिश के विरूद्ध एक प्रस्ताव पारित किया है। संवैधानिक व कानूनी तौर पर जम्मू कश्मीर रियासत का अभिन्न अंग है और गिलगित बाल्टिस्तान की असेंबली को इसके भविष्य का फैसला करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
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साभार: भास्कर समाचार
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