Friday, December 26, 2014

मोहम्मद-अली-जिन्ना: तथ्य जो पाकिस्तानियों को भी नहीं मालूम

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क्या कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना एक सेक्युलर व्यक्ति थे? क्या वे पाकिस्तान को मुस्लिम राष्ट्र बनाना चाहते थे? यह कुछ ऐसे धधकते सवाल हैं, जिन पर पाकिस्तान मीडिया में आज तक बहस जारी है। इन सवालों पर कट्टरपंथियों के कान खड़े हो जाते हैं। उनका कहना है कि कायदे आजम जिन्ना सेक्युलर नहीं थे। वे एक कट्टर मुस्लिम थे। वहीं, पाकिस्तान में तेजी से बढ़ते कट्‌टरपंथ की आलोचना करते हुए उदारवादी मुस्लिम कहते हैं कि इस देश की
बुनियाद ही इस्लाम पर रखी गई थी, इसलिए पूरा नाम इस्लामिक स्टेट ऑफ पाकिस्तान रखा गया। पाकिस्तानी अवाम में जिन्ना को लेकर अलग-अलग राय है। कुछ लोग तो पाकिस्तान के अस्तित्व पर ही सवाल उठाते हुए कहते हैं कि यह वह पाकिस्तान नहीं है, जिसे जिन्ना बनाना चाहते थे। कुछ लोग भारत- पाकिस्तान बंटवारे के लिए जिन्ना को भी जवाहरलाल नेहरू के समान दोषी ठहराते हैं। 25 दिसंबर, 1876 को कराची में जन्मे जिन्ना मुस्लिम लीग के शीर्ष नेता थे। पेशे से वकील और विलायती रहन-सहन के बावजूद भी एक सेक्युलर मुस्लिम पाकिस्तान का निर्माण करता है, यह कहानी काफी रोचक है। एक ऐसा व्यक्ति, जिसने 20वीं सदी की शुरुआत में कांग्रेस की सदस्यता ली हो और हिंदू-मुस्लिम एकता का दूत माना जाता हो, उस पर कट्टर मुस्लिम होने का इल्जाम लगाना कई सवाल खड़े करता है।
  • मुस्लिम होकर नहीं की हज-यात्रा: मोहम्मद अली जिन्ना का जन्म इस्माइली शिया परिवार में हुआ था। इस्माइलियों को मुस्लिम नहीं माना जाता था। खुद जिन्ना ने भी कभी शिया मुस्लिम धर्म के अनुसार अपने को नहीं ढाला। वह सेक्युलर माहौल में पले-बढ़े। उन्होंने किसी भी तरह की इस्लामिक शिक्षा नहीं ली। उनकी किसी भी बायोग्राफी में रोज मस्जिद जाकर नमाज पढ़ने की बात का जिक्र नहीं किया गया है। न ही रमजान में रोजे रखने की बात सुनी गई। यहां तक कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में हज यात्रा भी नहीं की थी। हालांकि, शिया मुस्लिम होते हुए भी जिन्ना को सुन्नी रीति-रिवाजों के अनुसार दफनाया गया था। 
  • पैगंबर के नाम पर बोला झूठ: जिन्ना के गुजराती व्यापारी पिता ने उन्हें पढ़ने के लिए लंदन भेजा। उन्होंने वहां जाकर एक्टिंग और ड्रामा थिएटर में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बाद में पिता के विरोध के कारण उन्होंने इस शौक को सीने में दफ्न कर लिया। उन्होंने 'लिंकन इन' में दाखिला लेकर वकालत की पढ़ाई शुरू कर दी। जिन्ना ने बताया था कि उन्होंने 'लिंकन इन' को इसलिए चुना था, क्योंकि वहां कानून बनाने वाले दुनिया भर के महान लोगों की सूची लगी थी। इस सूची में पैगंबर मोहम्मद का नाम सबसे पहले था। यह बात उन्होंने झूठ बोली थी। 'लिंकन इन' कॉलेज में ऐसी कोई भी सूची नहीं थी। 
  • सूअर का मांस था पसंद: जिन्ना की पहली पत्नी की मौत किशोरावस्था में ही हो गई थी। 42 साल की उम्र में उन्होंने 18 साल की पारसी लड़की से शादी की थी। हालांकि, लड़की का परिवार इस फैसले का खिलाफ था। दूसरी पत्नी रतनबाई एक उदारवादी महिला थी। वह किशोरावस्था से ही स्मोकिंग करती थीं। वहीं, सार्वजनिक कार्यक्रमों में वह पश्चिमी संस्कृति के ट्रांसपेरेंट कपड़े भी पहनती थीं। यह सब इस्लाम के खिलाफ माना जाता है। इस बात के भी पक्के सबूत हैं कि जिन्ना की पत्नी सूअर का मांस पकाती थी और जिन्ना उसे शौक से खाते थे। 
  • शराब-सिगरेट के शौकीन थे जिन्ना: जिन्ना चेन स्मोकर थे। यह आदत ताउम्र उनके जीवन से चिपकी रही। इसके अलावा पार्टियों में वह शराब भी पी लेते थे। एक बार पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति जिया उल हक पाकिस्तानी राजदूत से मिलने आए तो उन्होंने जिन्ना की शराब पीती हुई तस्वीर देखी। जिया ने राजदूत से फौरन तस्वीर को हटाने के लिए कहा। पाकिस्तानी इतिहास में ऐसे कई मौके आए, जब नेताओं और अफसरों ने जिन्ना की छवि को बचाने की कोशिश की है, लेकिन इन सबसे इतिहास कभी नहीं बदलता।
  • भारतीय मुसलमानों को बरगलाया: जिन्ना के बारे में ज्यादातर पाकिस्तानियों को गलतफहमी है कि वह पाकिस्तान में शरिया इस्लामी कानून लागू करना चाहते थे। हालांकि, यह सच बात है कि जिन्ना ने अपने कुछ भाषणों में इसका जिक्र किया, लेकिन उस दौरान भारतीय मुस्लिमों को बरगलाने के लिए यह बात कही गई थी, ताकि वे बढ़-चढ़कर इस मुहिम में हिस्सा लें। उन्होंने पाकिस्तान का पहला कानून मंत्री एक हिंदू नेता जोगेंद्र नाथ मंडल को बनाया। क्रूसेडर ब्रिटिश जनरल फ्रेंक वॉल्टर मेसेर्वी को पहला चीफ आर्मी स्टाफ नियुक्त किया था। यह वही जनरल था, जिसने पहले विश्वयुद्ध में फलस्तीनियों को खिलाफ जंग लड़ी और भारत में हो रहे खिलाफत आंदोलन का दमन किया। 
  • पूरी कौम के साथ किया ड्रामा: 'ज्यूज इज नॉट माय एनेमी' और 'चेजिंग मिराज' जैसी किताब लिखने पाकिस्तान पत्रकार तारेक फतेह की जिन्ना के बारे में अलग ही राय है। वे बताते हैं कि जिन्ना तो मादरे जुबान गुजराती और उर्दू तक अच्छी नहीं बोल सकता था। सूअर खाता था और शराब पीता था। उसने जोरेस्टियन महिला से शादी की थी। उसके आदमी को चूड़ीदार पजामा, जूतियां और अचकन पहना कर एक पैकेज के रूप में पेश करते हुए कहा कि ये कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना। जिन्ना सिर्फ वकील थे, राजनेता नहीं थे। न उनके पास कोई विजन था। उन्होंने कोई इस्लामिक तारीख नहीं पढ़ी थी। न उम्मयदों न बासियों का पता था। वो शिया होकर सुन्नी की नमाज पढ़ लिया करते थे। उससे भी बड़ा झूठ कि मरने के बाद उनकी जनाजे की रस्म शियाओं की तरह निभाई गई, लेकिन सार्वजनिक तौर पर सुन्नी रीति से दफनाया गया। दरअसल, पाकिस्तानी अवाम आज तक इस झूठ के साए में जी रही है।   
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साभार: भास्कर समाचार
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