Wednesday, August 6, 2014

इस तरीके से सस्ती ब्याज दर पर 15 साल तक के लिए लिया जा सकता है लोन

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हर किसी के जीवन में कई ऐसे दौर आते हैं, जब किसी बड़े काम को पूरा करने के लिए बड़ी राशि की जरूरत होती है। दोस्‍त-संबंधियों से सहयोग लेने के बाद भी इतनी बड़ी रकम का बंदोबस्त नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में आखिरी रास्‍ता बैंक से लोन लेने का होता है। लोन की रकम बड़ी होने से बैंक भी बिना किसी गारंटी के लोन देने को तैयार नहीं होता है। ऐसे वक्‍त में प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर आसानी से लोन लिया जा सकता है। प्रॉपर्टी मॉर्टगेज करने पर बैंक भी लोन देने में नहीं हिचकते और इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि सस्‍ते ब्‍याज दर पर लोन मिलता है। होमलोन के बाद प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर मिलने वाला लोन सबसे सस्ते लोन में से एक है। यह लोन 12 प्रतिशत से 16 प्रतिशत की दर पर मिल जाता है। प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर मिलने वाला लोन अधिकतम 15 साल (180) महीनों के लिए दिया जाता है।
क्‍या होता है प्रॉपर्टी गिरवी रखना या मॉर्टगेज: प्रॉपर्टी को गिरवी रखने का तात्पर्य होता है कि आप अपनी प्रॉपर्टी को बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कम्पनी के पास गिरवी रख कर उस प्रॉपर्टी के एवज में लोन लेते हैं। इस स्कीम के तहत बैंक के पास अधिकार होता है कि तय समय पर लोन नहीं लौटाने पर वह प्रॉपर्टी को बेच कर लोन की रकम की भरपाई करें। बैंक प्रॉपर्टी के एवज में लोन देने से पहले कर्ज लेने वाले के साथ एक लीगल कॉन्ट्रैक्ट साइन करता है। इस साइन में यह उल्लेख रखता है कि कर्जदार किस प्रकार का मॉर्टगेज बैंक से कर रहा है और उसमें शर्त क्‍या है। प्रॉपर्टी ट्रांसफर एक्ट के सेक्‍शन 58 के तहत प्रॉपर्टी गिरवी रखने का अर्थ होता है कि लोन की सुरक्षा की दृष्टि से प्रॉपर्टी का मालिकाना हक ट्रांसफर किया गया है। 
कितने तरह से प्रॉपर्टी मॉर्टगेज:
  • सिंपल मॉर्टगेज: यह प्रॉपर्टी गिरवी रखकर लोन लेने का प्रथम चरण है। इस के नाम से ही पता चलता है कि यह प्रॉपर्टी गिरवी या मार्गेज रखने का सबसे साधारण तरीका है। इसमें बैंक से लोन लेने के लिए प्रॉपर्टी को ट्रांसफर नहीं करना होता है। 
  • इंग्लिश मॉर्टगेज: इस विधि से प्रॉपर्टी को गिरवी रखने वाले को यह आश्वासन देना होता है कि वह तय समय पर लोन और ब्‍याज की रकम को चुका देगा। साथ में वह प्रॉपर्टी को लोन देने वाले बैंक, हाउसिंग फाइनेंस कंपनी को ट्रांसफर कर देगा। 
  • कंडीशनल मॉर्टगेज: इस विधि से प्रॉपर्टी मॉर्टगेज रखने पर बैंक या मॉर्टगेजर के पास यह अधिकार होता है कि यदि कर्जदार लोन तय समय पर नहीं लौटाता है तो उसके पास यह कंडीशन है कि वह प्रॉपर्टी को सेल कर दे।  
  • एनोमैलस मॉर्टगेज: जो मॉर्टगेज सिंपल मॉर्टगेज की श्रेणी में नहीं आते हैं वह एनोमैलस मॉर्टगेज श्रेणी में आते हैं।  
  • मॉर्टगेज बाइ डीड: लोन लेते वक्‍त सुरक्षा कारण से जब उस प्रॉपर्टी के कागजात को लोन देने वाले के पास जमा कर दिया जाता है तो इसे मॉर्टगेज बाई डिपाजिट ऑफ टाइटिल डीड्स कहते हैं। 
मॉर्टगेज प्रॉपर्टी की वापसी:
प्रॉपर्टी की एवज में ली गई लोन को चुका देने के बाद प्रॉपर्टी ट्रांसफर एक्ट के तहत बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी को प्रॉपर्टी का मालिकाना हक लोन लेने वाले को ट्रांसफर करना होता है। बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां कानूनी रूप से बाध्य होते है प्रॉपर्टी को मालिकाना हक लोन लेने वाले को ट्रांसफर करें।
साभार: भास्कर समाचार
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