नोट: इस पोस्ट को सोशल साइट्स पर शेयर/ ईमेल करने के लिए इस पोस्ट के नीचे दिए गए बटन प्रयोग करें।
Post
published at www.nareshjangra.blogspot.com
नरेन्द्र मोदी सरकार ने इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा
बढ़ाने की तैयारी कर ली है। सरकार बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 26 फीसदी
बढ़ाकर से बढ़ाकर 49 फीसदी करने की तैयारी चल रही है।क्या है एफडीआई: एफडीआई (Foreign Direct Investment) का मतलब होता है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश। एफडीआई को 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने की तैयारी चल रही है। जब देश की किसी कंपनी में विदेशी पैसा लगा होता है, तो
उसे एफडीआई कहते हैं। इसे आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है कि पहले किसी भारतीय कंपनी में कोई विदेशी कंपनी सिर्फ 26 फीसदी तक का निवेश कर सकती थी, लेकिन बीमा में मंजूरी मिलने के बाद भारतीय कंपनी में कोई विदेशी कंपनी 49 फीसदी तक का निवेश कर सकेगी। भारत में एफडीआई की सीमा बढ़ने से कई सारे फायदे होंगे, तो इसके कुछ नुकसान भी हैं। आइए जानते हैं एफडीआई की सीमा बढ़ाए जाने से कंपनी और आम जनता को क्या हैं फायदे-नुकसान:
आम जनता को फायदा:
- ज्यादा कंपनियां, ज्यादा नौकरियां: अधिक विदेशी निवेश होने से बीमा कंपनियां अपना विस्तार करेंगी और नए दफ्तर भी खुलेंगे। इसकी वजह से अधिक नौकरियां पैदा होंगी, जो देश में रोजगार को बढ़ावा देंगी। इतना ही नहीं, इसकी वजह से नए ब्रोकर भी आएंगे, जो बाजार को इंश्योरेंस के बारे में और बेहतर तरीके से बता पाएंगे।
- प्रोडक्ट सस्ते होने के साथ अच्छी क्वालिटी: अधिक कंपनियां होने के कारण उनमें प्रतिस्पर्धा का दौर भी चल सकता है, जिसकी वजह से प्रोडक्ट सस्ते हो जाएंगे। हर कंपनी अधिक से अधिक लोगों को अपनी ओर आकर्षित करना चाहेगी, जिसके चलेगी प्रोडक्ट न सिर्फ सस्ते होंगे, बल्कि उनकी क्वालिटी भी सुधरेगी।
- अनस्किल्ड (अकुशल) लोगों की जीविका पर खतरा: एफडीआई से अकुशल श्रमिकों को सबसे अधिक नुकसान होता है। जितनी अधिक एफडीआई की सीमा होगी, उतना ही अधिक अकुशल श्रमिकों को नुकसान होगा। बड़ी कंपनियां स्किल्ड लोगों को तो नौकरी मुहैया कराएंगी, लेकिन अनस्किल्ड लोगों को नौकरी देने में मुकरेंगी। छोटी कंपनियों का भी अधिग्रहण होने लगेगा, जिससे अनस्किल्ड लोगों के लिए नौकरी पाना काफी मुश्किल हो जाएगा।
- कंपनियां सस्ता सामान बेचकर ग्राहकों को लुभाएंगी, जिसका मुकाबला छोटी कंपनियां नहीं कर पाएंगी, जिसकी वजह से उनके अस्तित्व पर खतरा भी मंडरा सकता है।
- बड़ी विदेशी कंपनियां मौजूदा कंपनियों का अधिग्रहण कर बाजार पर अपना कब्जा कर सकती हैं।
- अधिक पूंजी आने से बीमा कंपनियां प्रोडक्ट इनोवेशन के क्षेत्र में अपना निवेश बढ़ा सकेंगी। ऐसे में बाजार में बेहतरीन और नए बीमा उत्पाद पेश करने में बीमा कंपनियों को मदद मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर के बीमा उत्पाद भारतीय बाजार में पेश होंगे। इसका मतलब यह है कि बीमा खरीददारों के सामने अधिक विकल्प होंगे।
- बीमा कंपनियां प्राइसिंग टूल्स के विकास पर अधिक निवेश कर सकेंगी, जिसके कारण बीमा उत्पाद और बेहतर बन सकेंगे।
- चूंकि कंपनियों के पास अधिक पूंजी होगी, ऐसे में वे हायर रिस्क प्रोडक्ट (अधिक जोखिम वाले बीमा उत्पाद) पेश कर सकेंगी।
- इस फैसले के लागू होने के बाद इंश्योरेंस डिस्ट्रिब्यूशन चैनल्स बेहतर होंगे। जब बीमा कंपनियों के पास अधिक पैसे आएंगे, तो वे अपना डिस्ट्रिब्यूशन बढ़ा सकेंगी। वे अधिक लोगों को अपने यहां काम पर रख सकेंगी। बीमा कंपनियां अधिक एजेंट नियुक्त कर सकेंगी।
- एजेंटों की ट्रेनिंग पर कंपनियां अधिक पैसे खर्च कर सकेंगी, जिसकी वजह से मिससेलिंग को कम करने में मदद मिल सकेगी।
- वर्तमान समय में सेवा क्षेत्र की सफलता या असफलता में काफी योगदान तकनीक का है। अधिक पूंजी होने से कंपनियां टेक्नोलॉजी को बेहतर करने पर अधिक निवेश करेंगी, जिसकी वजह से बीमा क्षेत्र में सेवाओं में सुधार होने की उम्मीद है।
- बीमा कंपनियों का मानना है कि वे इंश्योरेंस क्लेम्स को बेहतर तरीके से हैंडल कर सकेंगे। कुल मिलाकर कारोबारी माहौल विश्वस्तरीय होगा, यानि ग्राहकों को सेवाएं बेहतर और आसानी से मिल सकेंगी।
Post
published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our
Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE