Friday, October 7, 2016

करियर बना सकती है किसी भी शौक में गहरी रूचि

मैनेजमेंट फंडा (एन. रघुरामन)
गुरुवार सुबह मुझे संध्या सराफ ने इंदौर में गोद भराई की रस्म के लिए आमंत्रित किया, जहां मेहमानों के लिए रामायण कथा का आयोजन भी था। मैंने पूछा रामायण ही क्यों। मुझे उत्तर मिला: मैं चाहती हूं कि होने वाला बच्चा इस दुनिया में आने से पहले इस महाकाव्य को सुन ले। मुझे जिज्ञासा हुई और मैंने कथाकार के बारे में
जानना चाहा। यह कथाकार 1989 में 22 साल का बीएससी अंतिम वर्ष का छात्र था। कुछ साल उसने मेडिकल में प्रवेश के लिए बर्बाद कर दिए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। शायद इसकी वजह यह थी कि उसका जुनून तो संगीत और तबला था, जो वह महादेव उमरेकर के निर्देशन में सीख रहा था। उमरेकर ग्वालियर के सिंधिया राज परिवार के दरबारी गायक पंडित कुंडल गुरु के पुत्र थे। चूंकि वह अपने फन में गोल्ड मेडलिस्ट था, इसलिए उसे पूर्व रेलमंत्री दिवंगत माधवराव सिंधिया से निमंत्रण मिला। वे जयदेव लिखित 'मंगलाष्टक' को संगीतबद्ध करने में उनकी मदद चाहते थे। जयदेव अपनी महान रचना गीत गोविंद के लिए प्रसिद्ध हैं। 
इस युवक ने आठों 'मंगलाष्टक' के लिए आठ रागों आठ ताल में असाधारण संगीत तैयार किया और वह भी सिर्फ आठ मिनट में गाया जा सकने वाला, जो सिंधिया द्वारा रखी गई सबसे महत्वपूर्ण शर्त भी थी। जाहिर था कि युवक ने मंत्री महोदय का दिल जीत लिया, जिन्होंने सांस्कृतिक कोटे के तहत भारतीय रेलवे में उन्हें जॉब का ऑफर दिया। लेकिन युवक ने इनकार कर दिया और केमेस्ट्री में एमएससी किया और दो साल बाद 1991 में उसने यह पेशकश स्वीकार की और आज वे इंदौर रेलवे स्टेशन पर रिजर्वेशन सुपरवाइजर हैं और भारतीय रेलवे में 24 साल सेवाएं दे चुके हैं। आज भी वे संगीत के क्षेत्र में रेलवेकर्मी की बजाय 'गीत रामायण' कथाकार और संगीतकार के रूप में ही जाने जाते हैं। 'गीत रामायण' महाकाव्य रामायण को संगीत रूप में प्रस्तुत करने का तरीका है, जिसे मराठी कवि गजानन दिगंबर माडगुलकर ने लिखा है और इसे लता मंगेशकर, आशा भोसले, माणिक वर्मा और संगीत निर्देशक स्वयं सुधीर फड़के ने भी गाया है। इन 56 गीतों में पूरा रामायण समा गया है और प्रत्येक गीत को 10 मिनट की संगीत प्रस्तुति में बदलकर 'गीत रामायण' के रूप में आकाशवाणी ने 1 अप्रैल 1955 और 1 मई 1956 के बीच 56 शुक्रवारों तक प्रसारण किया। मराठी के ये गीत इतने प्रसिद्ध हुए कि उनका 56 भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया। ग्वालियर के रुद्रदत्त मिश्रा ने इनता हिंदी में अनुवाद किया। 
रेलवेकर्मी अभय मणके और उनकी पत्नी अमृता से मिलिए, जिन्होंने इस महाकाव्य को देशभर में फैलाने का मिशन अपने हाथ में लिया है। दो दशकों में उन्होंने 1580 कार्यक्रम किए हैं, जिनमें मॉरिशस, दुबई और मस्कट जैसी विदेशी जगहें भी शामिल हैं। दोनों पति-पत्नी को लगता है कि उनके कार्यक्रमों को बड़ों का संरक्षण मिला है और अब चाहते हैं कि ऐसा कुछ किया जाए कि अगली पीढ़ी भी इसकी ओर आकर्षित हो। उन्होंने रामायण का अपना अलग स्वरूप निर्मित किया जिसे '12वीं पास राम'। यह उन्होंने मॉरिशस के डॉ. राजेंद्र अरुण उनकी पत्नी वेणु की सहायता से किया है। ये दोनों क्रमश: तुलसी रामायण और वाल्मीकि रामायण में पीएचडी हैं। इसके जरिये उन्होंने नई पीढ़ी को नैतिक कथाएं देना शुरू किया। स्कूलों होस्टल में जहां बच्चों को खुद के भरोसे छोड़ दिया जाता है, ये कथाएं बहुत लोकप्रिय हुई हैं। वे यह सब अपनी नौकरी में अनावश्यक रूप से अनुपस्थित रहे बिना करते हैं। वे कोशिश करते हैं कि युवा पीढ़ी को राम-शैली की जीवनचर्या सिखा सकें। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.