Wednesday, December 3, 2014

मलेरिया में रामबाण सूरजमुखी, जिसके हैं और भी औषधीय लाभ

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सूरज का उपासक कहे जाने वाले सूरजमुखी पौधे की खेती संपूर्ण भारत वर्ष में की जाती है। यह एक वार्षिक पौधा है जिसके बीजों से खाद्य तेल प्राप्त किया जाता है और पौधे को सुंदर फूलों की वजह से उद्यानों आदि में भी रोपित किया जाता है। सूरज की तरह दिखाई देने वाले और सूरज की दिशा में अपने मुख को रखने वाले फूलो के इस पौधे का वानस्पतिक नाम हेलिएन्थस एनस है। इसके बीजों से खाद्य तेल प्राप्त किया जाता है। इसके पौधे के औषधीय गुणों के बारे में कम लोग ही
जानते हैं। चलिए आज जानते है सूरजमुखी के औषधीय गुणों के बारे में और जानते हैं हिन्दुस्तानी आदिवासियों के बीच किन नुस्खों के तौर पर इस पौधे का इस्तमाल होता है। सूरजमुखी के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं। 
  • ब्लड प्रेशर को कंट्रोल  करने के लिए: माना जाता है कि इसके बीजों तेल के उपयोग से ब्लडप्रेशर की आशंका होती है। जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हो, उन्हें आदिवासी सूरजमुखी के बीजों से प्राप्त तेल को खाद्य तेल के तौर अपनाने की सलाह देते हैं। 
  • मलेरिया और उल्टी में कारगर: इसकी पत्तियों का रस निकाल कर मलेरिया आदि में बुखार आने पर शरीर पर लेपित किया जाता है, पातालकोट के आदिवासियों का मानना है कि यह रस शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है और जल्द ही बुखार भी उतर जाता है।
  • जी मिचलाना और उल्टी होने जैसे विकारों में सूरजमुखी के बीजों का तेल (२ बूंद) यदि नाक में डाल दिया जाए तो आराम मिलता है। डांग- गुजरात के हर्बल जानकार सूरजमुखी के बीजों के तेल के साथ कुछ मात्रा इलायची के दानों के चूर्ण को मिलाकर नाक में डालते है ताकि उल्टी होना बंद हो जाए। 
  • बवासीर और कान के लिए विशेष उपाय: कान में कीड़े के प्रवेश कर जाने पर डांग- गुजरात के आदिवासी सूरजमुखी तेल में लहसून की दो कलियां डालकर गर्म करते हैं और फि़र इस तेल की कुछ बूंदें कान में डालते हैं, इनका मानना है कि कुछ ही देर में कीट मृत होकर तेल के साथ बाहर निकल आता है।
  • सूरजमुखी की पत्तियों को इसी के तेल के साथ कुचला जाए और बवासीर के रोगी को बाह्यरूप से लेपित किया जाए तो आराम मिलता है। पातालकोट के आदिवासी इसी फार्मूले में मक्खन मिलाकर बवासीर या अर्श होने पर घाव पर प्रतिदिन 3 बार लगाने की सलाह देते हैं।  
  • पेट में दिकक्त होने पर: अपचन और पेट में गड़बड़ी की शिकायत होने पर गर्म दूध में सूरजमुखी का तेल (4-5 बूंदें) डाल दिया जाए और सेवन किया जाए तो समस्या दूर हो जाती है।
  • शारीरिक दुर्बलता और कमजोरी में सूरजमुखी की पत्तियों का रस बड़ा गुणकारी है, इस हेतु लगभग 5 पत्तियां लेकर 100 मिली पानी में तब तक उबाला जाए जब तक कि यह आधा शेष बचे, और फि़र इसका सेवन किया जाए।  
  • प्रेग्नेंट महिलाओं में विटामिन की पूर्ति के लिए: आदिवासी गर्भवती महिला की स्वास्थ्य बेहतरी के लिए सूरजमुखी के बीजों के इस्तमाल की सलाह देते हैं। वैसे आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि इसके बीजों में पाए जाने वाले विटामिन बी और विटामिन ई की वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।  
  • खूबसुरत स्किन के लिए: सूरजमुखी के बीजों से प्राप्त तेल हमारी त्वचा और बालों की बेहतरी के लिए उत्तम होता है। प्रतिदिन त्वचा पर इस तेल से हल्की हल्की मालिश करने से त्वचा स्वस्थ रहती है और लंबे समय से बने किसी तरह के दाग- धब्बे में मिटने लगते हैं।
  • जिन्हें पेशाब जाने में दिक्कत आती है, उन्हें इसके बीजों (एक चम्मच) को कुचलकर गुनगुने पानी के साथ पीना चाहिए, पेशाब का आना नियमित और निरंतर हो जाता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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