Friday, December 26, 2014

ऑनलाइन ठग: कैसे बचें इनसे?

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गुरूवार को भिलाई में ऑनलाइन ठगी का शिकार हुए एक युवक ने परिवार समेत आत्महत्या कर ली। पिछले कुछ महीनों में ऑनलाइन ठगी के अनेक मामले आ चुके हैं परन्तु ठगी के 10 प्रतिशत मामले ही ऐसे हैं जिनमें पुलिस आरोपियों तक पहुंच पाई है। हम आज आपको बता रहे हैं कि आप इस तरह की ठगी से कैसे बच सकते हैं:

कैसे काम करते हैं ऑनलाइन ठग:
ऑनलाइन ठग दो तरीकों से ठगी को अंजाम देते हैं:
  1. ज्यादातर मामलों में ठग बैंक अधिकारी बनकर लोगों को फोन करते हैं, उन्हें डराते हैं कि उनका एटीएम ब्लॉक होने वाला है या जानकारी अपडेट नहीं की तो अकाउंट ब्लॉक हो जाएगा और उसके सारे पैसे लैप्स हो जाएंगे। उनके झांसे में आकर लोग उन्हें अपने अकाउंट की पूरी जानकारी दे देते हैं और ठगी का शिकार बन जाते हैं। पता तब चलता है जब उनके अकाउंट से पैसे कटते हैं।
  2. दूसरे तरीके में ठग लोगों को मेल या एसएमएस के माध्यम से कम ब्याज में लोन या कम इंवेस्टमेंट में ज्यादा लाभ जैसे ऑफर देते हैं। कुछ लोग उनके ऑफर के झांसे में आकर उनसे संपर्क करते हैं। इसके बाद वे अपने झूठे ऑफर की पूरी डिटेल लोगों को देते हैं। उनके वादे इतने आकर्षक होते हैं कि लोग आसानी से उनके झांसे में आ जाते हैं। फिर वे उन्हें अपने बैंक अकाउंट का डिटेल देते हैं और उसमें पैसा जमा करने को कहते हैं। पैसा जमा होने के बाद तो वे ग्राहक के कॉन्टैक्ट में रहते हैं लेकिन जब रिटर्न देने की बारी आती है तब या तो फोन बंद कर गायब हो जाते हैं या फिर और पैसा देने की डिमांड कर धमकाते हैं कि पैसे नहीं दिए तो जमा किए पैसे वापस नहीं मिलेंगे। राजधानी में सालभर में इस तरह के करीब 50 मामले सामने आ चुके हैं।
इन बातों का ध्यान रखें तो बच सकते हैं आप: 
  1. पैसे निकालने और जमा करने में बैंक के निर्देशों के अनुरूप सावधानी बरतें।
  2. ऑनलाइन शॉपिंग, नेट बैंकिंग में उपयोग लैपटॉप, मोबाइल में एंटी वायरस साफ्टवेयर रखें।
  3. इंटरनेट या मोबाइल बैंकिंग के एक्सेस प्वाइंट मजबूत पासवर्ड से सुरक्षित होने चाहिए।
  4. क्रेडिट-डेबिट कार्ड मालिकों से पासवर्ड या खाता नंबर मांगकर ठगी हो रही है। नंबर देने से बचें।
  5. माता-पिता और बच्चों के नाम से, जन्म तिथि या मोबाइल नंबर से पिन कोड बनाने से बचें।
  6. साइबर कैफे या दूसरे कम्प्यूटर से अपने इंटरनेट बैंकिंग खाते को एक्सेस नहीं करें।
  7. कोई बैंक ईमेल, फोन या एसएमएस पर निजी जानकारी नहीं लेता, इसलिए बिलकुल नहीं दें।
  8. यदि अपने खाते में कोई भी संदिग्ध लेनदेन दिखे तो तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें।
  9. आपके पास इनाम और लॉटरी का मैसेज या मेल आए तो इसके लिए फीस वगैरह नहीं पटाएं।
ये भी हैं जरूरी सावधानियां: 
  • कम समय में ज्यादा पैसे देने वाले ज्यादातर ऑफर्स फर्जी होते हैं, इनसे बचें।
  • कंपनी और बैंक अकाउंट का वेरिफिकेशन कराएं।
  • नई जॉब या शो में एंट्री के लिए पैसे की डिमांड हो तो पैसे बिलकुल न दें।
  • रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा रजिस्टर्ड कंपनी में ही लगाएं पैसा।
  • नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी के लिए जरूरी है कि इसके पास आरबीआई का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट हो, उसकी जांच करें।
  • कोई भी कंपनी आरबीआई द्वारा तय ब्याज दर से ज्यादा ब्याज देने का वादा नहीं कर सकती, इनवेस्टमेंट से पहले इसकी भी जांच करें।
सायबर क्राइम का बदला रूप: पिछले कुछ वर्षों  में  साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। तीन-चार साल पहले तक जहां लोगों को ई-मेल के जरिये करोड़ों रुपए की लाटरी और ईनाम जीतने के मेल भेजे जाते थे। मेल के जरिये लोगों को प्रोसेसिंग फीस और विदेशी मुद्रा को भारतीय रुपए में कन्वर्ट करने के चार्ज के नाम पर हजारों से लाखों रुपए तक जमा करवाते थे। लोग करोड़ों का ईनाम जीतने के झांसे में आकर अपने पैसे डुबोते रहे। फिलहाल ट्रेंड बदल गया है। ऑनलाइन ठग ई-मेल के साथ मोबाइल पर फोन और मैसेज भेजकर मालामाल होने का झांसा देकर जाल में फांस रहे हैं। बैंक अधिकारी बनकर एटीएम कार्ड और खाते की जानकारी लेकर भी खातों में सेंध लगाई जा रही है। एटीएम का क्लोन बनाकर भी खाते से पैसे निकाले जा रहे हैं।
ज्यादातर सिम फर्जी नाम से: साइबर सेल की जांच में आया है कि उनके द्वारा ठगी के लिए जिन मोबाइल नंबरों से फोन किया जाता है, वह सिम फर्जी होता है। सिम का उपयोग करने वाले का न तो नाम सही होता है न ही उनका पता। यहां तक की दूसरे प्रदेश के व्यक्ति के नाम पर सिम लेकर उपयोग किया जाता है। इसी तरह जिस बैंक खाते में पैसा जमा करवाया जाता है, उससे पैसा निकालने के बाद उसे भी तुरंत बंद कर दिया जाता है।
 इस तरह ठगी करने के लिए बैंक में भी  फर्जी दस्तावेज और गलत पता बताया जाता है।  इस वजह से भी पुलिस उन तक नहीं पहुंच पा रही है। 
साभार: भास्कर समाचार
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