Thursday, December 18, 2014

ऑनलाइन खरीददारी करें, लेकिन संभल कर: ध्यान रखें ये दस बातें

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क्रिसमस और नए साल के ऑफर्स के साथ ऑनलाइन शॉपिंग पर ढेरों ऑफर्स मिल रहे हैं। कंपनियां अपने-अपने तरीके से कस्टमर को रिझाने का प्रयास कर रही हैं। अमूमन देखा गया है कि नए साल या क्रिसमस से पहले लोग ढेर सारी शॉपिंग करते हैं। शॉपिंग करने के बाद बिलिंग के लिए आज के समय में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल सबसे अधिक लोकप्रिय है। भले ही बात ई-कॉमर्स की हो, ऑनलाइन टिकट बुक करना हो या फिर कोई अन्य ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करना हो,
क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल खूब किया जाता है। यूं तो क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने के कई फायदे हैं, लेकिन आज के समय में थर्ड पार्टी द्वारा आपकी जानकारी और पैसा चुराने की पूरी कोशिशें की जा रही हैं। इन सभी से बचने के लिए आपको बस कुछ आसान सी बातें ध्यान रखनीं होंगी। इससे न सिर्फ आप अपने पैसे को सुरक्षित कर सकते हैं, बल्कि अपनी जानकारी को भी सुरक्षित कर सकते हैं। आइए जानते हैं 10 ऐसे टिप्स जो सुरक्षित ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं:
  1. लेटेस्ट सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें: बचाव इलाज से अधिक बेहतर होता है। यही बात ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को मामले में भी लागू होती है। इंटरनेट पर मालवेयर, स्पैम और स्पाइवेयर की भरमार है। इन सबसे बचने के लिए बेस्ट प्रोटेक्शन वाले एंटीवायरस का इस्तेमाल करें। फ्री एंटीवायरस सिर्फ फिशिंग, मालवेयर और ट्रोजन से ही बचाव करते हैं। पूरी सुरक्षा के लिए एंटीवायरस का फुल वर्जन खरीद कर कम्प्यूटर में इंस्टॉल चाहिए। 
  2. सभी सॉफ्टवेयर के लिए ऑटो अपडेट का इस्तेमाल करें: आपने अपने कम्प्यूटर सिस्टम में जो भी एंटीवायरस सॉफ्टवेयर प्रोटेक्शन के लिए इंस्टॉल किया है, उसका ऑटो अपडेट होते रहना बहुत ही जरूरी होता है। इतना ही नहीं, आपके सिस्टम के अन्य सभी सॉफ्टवेयर का भी अपडेट होते रहना जरूरी है। जरा सोच कर देखिए, अगर इन सॉफ्टवेयर में कोई खराबी आ जाए तो आपका सिस्टम हैक करना किसी हैकर के लिए कितना आसान हो सकता है। इन सभी से बचने के लिए अपने सॉफ्टवेयर का ऑटो अपडेट फंक्शन ऑन रखना चाहिए। यदि सॉफ्टवेयर ऑटो अपडेट सपोर्ट नहीं करता है तो कोई ऐसा सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें, जो ऑटो अपडेट सपोर्ट करे। आप चाहें तो अपने सॉफ्टवेयर को समय-समय पर मैन्युअली अपडेट भी कर सकते हैं। हर रोज बहुत सारे वायरस नेटवर्क में पैदा हो रहे हैं, जिनसे बचने के लिए कंपनी समय-समय पर अपडेट देती है, जिसे इंस्टॉल करते रहना चाहिए। 
  3. एनक्रिप्शन का ध्यान रखें: किसी भी वेबसाइट पर अपना कॉन्फिडेंशियल डेटा डालने से पहले चेक कर लें कि वेबसाइट एनक्रिप्शन का इस्तेमाल कर रही है या नहीं। एनक्रिप्शन के जरिए किसी भी डेटा को प्रोटेक्ट किया जाता है, ताकि नेटवर्क में ट्रैवल करते समय आपके डेटा को कोई नुकसान ना हो या फिर वह चोरी ना हो। कोई भी वेबसाइट एनक्रिप्टेड है या नहीं इसे चेक करने के लिए url देखें। यदि url में https है तो वह वेबसाइट एनक्रिप्टेड है। https में s का मतलब है security। यदि url में दाईं तरफ ‘बंद ताले’ का निशान हो तो भी वह वेबसाइट सुरक्षित है। 
  4. अलग-अलग पासवर्ड का इस्तेमाल करें: एक स्टडी से इस बात का पता चला है कि अधिकतर लोग अपने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए कॉमन पासवर्ड का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर किसी हैकर को आपके एक पासवर्ड का एक्सेस मिल गया तो वह आपके सभी अकाउंट तक अपनी पहुंच बना सकता है, क्योंकि आपने हर जगह एक ही पासवर्ड रखा है। इस वर्चुअल वर्ल्ड में खुद को सुरक्षित रखने के लिए हर ट्रांजेक्शन के लिए अलग-अलग पासवर्ड का इस्तेमाल करना चाहिए।  
  5. कैश ऑन डिलिवरी ऑप्शन: यदि कोई वेबसाइट आपको कैश ऑन डिलिवरी का ऑप्शन देती है तो इसे इस्तेमाल करने से जरा भी नहीं हिचकें। ऐसा करने से सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आपको ऑनलाइन पेमेंट नहीं करना होता है, जिससे आपके अकाउंट की जानकारियों के हैक होने का खतरा बिल्कुल कम हो जाता है। बहुत सारे लोग कैश ऑन डिलिवरी के ऑप्शन को नहीं लेते हैं, क्योंकि इसमें कुछ वेरिफिकेशन से गुजरना पड़ता है। ऐसी स्थिति में आलस न करते हुए कैश ऑन डिलिवरी का ऑप्शन लें और अपने अकाउंट को सुरक्षित करें। 
  6. ऑफर्स से डील करना: आपके पास अक्सर ही बहुत सारे ऑफर्स के लुभावने मेल आते होंगे। ये मेल कूपन या फिर किसी अन्य प्रकार के ऑफर देते हैं, जिन्हें इस्तेमाल करके आप कई तरह के डिस्काउंट ले सकते हैं। ऐसी स्थिति में कोशिश करें कि सीधे रिटेलकर की वेबसाइट पर जाकर ही अपनी जानकारियां डालें। किसी कूपन लिंक में अपनी जानकारियों को देना आपके लिए असुरक्षित हो सकता है। 
  7. वेबसाइट का डिजिटल सर्टिफिकेट चेक करें: किसी रिटेलर या फिर मर्चेंट वेबसाइट पर कोई भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने से पहले उस वेबसाइट का डिजिटल सर्टिफिकेट जरूर देख लें। एक वेबसाइट का डिजिटल सर्टिफिकेट वेबसाइट की वैधता को दर्शाता है। वेरीसाइन (VeriSign) जैसी इंडिपेंडेंट सर्विसेस इस तरह की वैधता के बारे में बताती हैं, जो किसी भी वेबासाइट को यूज करने वाले यूजर को उसके सही और गलत होने के बारे में बताता है। 
  8. पब्लिक कम्प्यूटर का इस्तेमाल करने से बचें: इंटरनेट पर कोई भी फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन करने के लिए अपना पर्सनल कम्प्यूटर या फिर कोई अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, जैसे फोन या टैबलेट का इस्तेमाल करें। कभी भी कोई पब्लिक कम्प्यूटर या किसी दोस्त का मोबाइल किसी भी फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन के लिए प्रयोग न करें। इतना ही नहीं, यदि आप इंटरनेट का प्रयोग वाई-फाई का इस्तेमाल करके कर रहे हैं, तो इस बात का खास ध्यान रखें कि वह वाई-फाई पासवर्ड प्रोटेक्टेड हो। किसी भी पब्लिक वाई-फाई पर फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन नहीं करनी चाहिए। 
  9. कॉन्फिडेंशियल जानकारियां चुराने वाले फिशिंग ई-मेल से बच कर रहें: आपके बैंक या फिर किसी थर्ड पार्टी द्वारा किए गए किसी भी प्रकार के प्रमोशनल मेल से बचें, जो आपकी सेंसिटिव जानकारी मांग रहा हो। बहुत सारे लोग इस तरह के मेल के झांसे में आकर पिछले दिनों में अपना काफी पैसा गवां चुके हैं। इस बात का खास ध्यान रखें कि कोई भी बैंक मेल द्वारा कभी अपने ग्राहक से उसकी सेंसिटव जानकारियां नहीं मांगता है। 
  10. ब्रांडेड मर्चेंट से ही खरीददारी करें: कोई भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप एक ब्रांडेड मर्चेंट से ही खरीददारी कर रहे हैं। कई सारे छोटे वेंडर बहुत ही कम सिक्योरिटी के साथ मार्केट में ऑपरेट कर रहे हैं, जिन पर कोई भी ट्रांजेक्शन करने का मतलब है खुद की जानकारियों को खतरे में डालना। मर्चेंट की प्राइवेसी पॉलिसी का भी विशेष ध्यान रखें। कई बार कंपनियां आपकी पर्सनल जानकारी दूसरी मार्केटिंग या रिसर्च कंपनियों के साथ शेयर करने की पॉलिसी बना लेती हैं, जिनके बारे में आपको पता नहीं होता है। आपकी पर्सनल जानकारी शेयर करने से आपके अकाउंट की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।
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साभार: भास्कर समाचार
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