Tuesday, November 25, 2014

काला धन बदल रहा है सफ़ेद में: इन चार तरीकों से

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मोदी सरकार ने काले धन को वापस देश में लाने के लि‍ए सबसे पहले स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन कि‍या। फि‍र, स्विट्जरलैंड के साथ काले धन की जानकारी साझा करने के लि‍ए समझौता कि‍या। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। देश भर में ऐसा महसूस होने लगा कि काला धन देश में वापस आने लगेगा। लेकिन भारतीयों को सफेद को काले धन में बदलने का नया रास्ता भी मिल गया है। सरकार ने ऐसी स्कीमों को पेश कि‍या है जो काले धन जमा
करने का विकल्प साबित हो सकती हैं। 
  1. केवीपी बन गया था काले धन के निवेश का विकल्प: किसान विकास पत्र पेश कर सरकार निवेशकों को बचत का एक नया विकल्प दे रही है, जो पिछले दशकों में काफी लोकप्रिय रहा है। लेकिन वह सवाल एक बार फिर से खड़ा हो रहा है कि काले धन के निवेश का पसंदीदा विकल्प बनाने से इसे कैसे रोका जा सकता है? ध्यान रहे कि श्यामला गोपीनाथ की रिपोर्ट में इस उल्लेख के बाद इसे दिसंबर 2011 में बंद कर दिया गया था कि इस स्कीम का इस्तेमाल मनी लॉड्रिंग के लिए किया जा रहा था। किसान विकास पत्र एक बियरर बॉन्ड था। इसे किसी को भी ट्रांसफर किया जा सकता था। इसके लिए किसी केवाईसी की जरूरत भी नहीं होती थी। इसमें निवेश करने वालों को अपनी पूंजी का स्रोत नहीं बताना पड़ता था। किसान विकास पत्र को नकदी दे कर पोस्ट ऑफिसों से खरीदा जा सकता था। यही वजह थी कि इसमें काले धन का निवेश आसानी से किया जा सकता था।  
  2. पी-नोट्स यानी गुमनाम नि‍वेश: पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी नोट्स) के जरिए भारतीय प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश 2,65,675 करोड़ रुपए के साथ 7 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। मार्केट एक्सपर्ट इस पर कुछ चिंता भी जताते है। पी-नोट्स वैसे विदेशी निवेशक जारी करते हैं, जो भारतीय बाजार नियामक सेबी के पंजीकृत हैं। अपंजीकृत निवेशकों के बदले या प्रत्यक्ष रूप से निवेश नहीं करने वाले निवेशकों के बदले खरीद होती है और उन्हें पी-नोट्स जारी कर दिए जाते हैं, जो अनिवार्य रूप से उन्हें खरीदी गई प्रतिभूति का मालिकाना हक दे देता है। इसका इस्‍तेमाल ऐसे भारतीयों द्वारा कि‍या जाता है जो अपनी पहचान छुपा कर भारत में खरीद-फरोख्‍त करते हैं। पी-नोट्स में इजाफा होने से इस बात का संकेत मि‍लता है देश में ज्‍यादा से ज्‍यादा काला धन आ रहा है। 
  3. रि‍यल एस्‍टेट है फायदे का सौदा: रि‍यल एस्‍टेट में सबसे ज्‍यादा फंडिंग वि‍कल्‍पों और नीति‍यां बनाई गई है। यह बात सभी जानते हैं कि‍ भारत में काले धन का सबसे बड़ा जरि‍या रि‍यल एस्‍टेट रहा है। यह भी सब जानते हैं कि‍ भारत के 99 फीसदी लोग वर्तमान कीम पर मकान नहीं खरीद सकते। ऐसे में कौन रि‍यल एस्‍टेट फंड में नि‍वेश करेगा। शुक्रवार को ही सि‍टी बैंक के पूर्व सीईओ वि‍क्रम पंडि‍त ने जेएम फाइनेंशि‍यल के साथ मि‍लकर 900 करोड़ रुपए का रि‍यल्‍टी फंड जुटा रहे हैं। मोतीलाल ओसवाल रि‍यल्‍टी भी 440 करोड़ रुपए का फंड जुटा रहे हैं। पि‍छले माह सरकार ने भी रि‍यल एस्‍टेट और हाऊसिंग सेक्‍टर में वि‍देशी नि‍वेश के नि‍यमों को आसान कर दि‍या है। इससे में पहले से ऊंची कीमत वाले इस सेक्‍टर में और ज्‍यादा वि‍देशी नि‍वेशक पैसा लगाने को तैयार हो जाएंगे।  
  4. सोना है काले धन का पुराना जरि‍या: मोदी सरकार बनने से पांच दि‍न पहले ही रि‍जर्व बैंक ने सोने के आयात-निर्यात नि‍यमों को नरम कर दि‍या था।  मई में निजी कंपनियों को इस शर्त पर नियार्त हो मंजूरी दी थी की आयात किए हुए सोने का 20 फीसदी हिस्सा पहले निर्यात करेंगे उसके बाद ही दुबारा आयात कर पाएंगी कंपनियां। लेकिन कंपनिया 80:20 नियम का दुरुपयोग कर रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल-सितंबर के बीच हुए कुल सोने के आयात का करीब 40 फीसदी 6 निजी कंपनियों ने ही किया है। अधिकारियों के मुताबिक, एक ट्रडिंग हाउस ने अप्रैल में 7 टन सोने का आयात किया है, वहीं सितंबर में उसने 20 टन सोना आयात किया है। जबकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों के मुताबिक कंपनियां एक महीने में 2 टन से ज्यादा सोना आयात नहीं कर सकती है। इसका मतलब यह है कि उस कंपनी ने 10 बार में सोना आयात किया है। मिली जानकारी के मुताबिक निजी कंपनियां इंपोर्ट कंसाइनमेंट दोबारा मंगाने के लिए महज 72 घंटे में ही 20 फीसदी एक्सपोर्ट कर देती थीं।
साभार: भास्कर समाचार
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