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जब से सूचना के अधिकार के तहत जानकारियां बाहर आने लगी हैं, तब से कई
'सच' झूठ साबित होने लगे हैं। संसद के गलियारों से लेकर देश के हर दफ्तर तक
भारत से जुड़े गलत तथ्य चलन में हैं। आइए जानते हैं इनमें से कुछ ख़ास तथ्य:
- महात्मा गांधी नहीं है राष्ट्रपिता: RTI के जरिए जो सबसे बड़ा सच उजागर हुआ वह यह कि, जिन महात्मा गांधी को हम आजतक 'राष्ट्र पिता' संबोधित करते थे, दरअसल वे आधिकारिक रूप से 'राष्ट्र पिता' हैं ही नहीं। सरकारी दस्तावेजों में यह कहीं नहीं लिखा। 10 साल की ऐश्वर्या पाराशर और उसकी तरह कई आरटीआई एक्टिविस्ट को मिले जवाबों से कई चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं। ऐश्वर्या ने महात्मा गांधी को मिली उपाधि के बारे में जानना चाहा था। भारत सरकार ने ऐश्वर्या को जो लिखित जवाब भेजा है, उसके मुताबिक, ''हमारे आर्टिकल 18 (1) के तहत, देश का संविधान शैक्षणिक और सैन्य क्षेत्र के अलावा किसी भी व्यक्ति को उपाधि दिए जाने की अनुमति नहीं देता, इसलिए महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता' की उपाधि आधिकारिक रूप से नहीं दी गई है।'' सरकार ने ऐश्वर्या की आरटीआई नेशनल आर्काइव को भेजी थी, जहां से मिले जवाब को ऐश्वर्या तक भेजा गया। इतना ही नहीं, केंद्रीय सूचना आयुक्त रहे बसंत सेठ भी इसकी पुष्टि करते हैं। वे बताते हैं, 'ऐसा कोई भी आदेश/दस्तावेज रिकार्ड में नहीं है, जिसमें गांधी जी को राष्ट्रपति की उपाधि दी गई हो।'
- राष्ट्रीय अवकाश के बारे में गलत धारणा: हर साल हम 26 जनवरी, 15 अगस्त और 2 अक्टूबर नेशनल हॉलीडे माने जाते हैं। अब तक आप और हम इस दिन छुट्टी मनाते भी है, लेकिन वास्तविकता यह नहीं है। सही जवाब यह है कि इनमें से किसी भी दिन नेशनल हॉलीडे या राष्ट्रीय अवकाश नहीं है। आरटीआई के तहत इन दिनों को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने वाले आदेश/दस्तावेज की प्रति चाही गई थी, लेकिन कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को सरकारी रिकार्ड में ऐसा कोई भी आदेश नहीं मिला, जिसमें इन दिनों को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की बात कही गई हो। तो याद रखिए 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस), 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) राष्ट्रीय अवकाश नहीं है।
- हमारे देश का कोई आधिकारिक नाम ही नहीं है: हम अपने देश को कितने नामों से जानते हैं- इंडिया, भारत, हिंदुस्तान, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है हमारे देश का आधिकारिक (ऑफिशियल) नाम क्या है? RTI एक्टिविस्ट मनोरंजन रॉय तब चौंक गए थे, जब उन्हें इस सवाल के जवाब पाने के लिए भेजी एप्लीकेशन के जवाब में गृह मंत्रालय ने बताया था कि 'इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।' जब हमने इस सवाल का जवाब इंटरनेट पर खोजना चाहा, तो जवाब वहां भी नहीं मिला। हां, 18 सितंबर 1949 को हुई एक बहस का दस्तावेज जरूर मिला, जिसमें भारत और इंडिया, इन दोनों नामों पर बहस हुई थी, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।
- राष्ट्रगान में भी गलती: आजादी के इतने दशकों बाद हम आज भी अपने राष्ट्रगान को सही ढंग से नहीं पढ़ते और न ही गाते हैं। चौंक गए न? जी हां, राष्ट्रगान के 'पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा' में प्रयुक्त सिंध शब्द है ही नहीं, इसकी जगह सिंधु किया जा चुका है, लेकिन हमें पता ही नहीं है और न ही उपयोग होता है। रिटायर्ड प्रोफेसर श्रीकांत मालुश्ते ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी, जवाब में सरकार ने उन्हें बताया किन जनवरी 1950 में ही इसे बदलकर 'सिंधु' किया जा चुका है। दरअसल, 'सिंध' अब पाकिस्तान का प्रांत है, इसलिए इसे बदलकर 'सिंधु' कर दिया गया था, जो सिंधु नदी का प्रतिनिधित्व करता है।। यह नदी है तो पाकिस्तान में, लेकिन बहती भारत की घाटियों (जम्मू-कश्मीर) में है। भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट http://india.gov.in में भी 'सिंध' नहीं 'सिंधु' शब्द का उपयोग हो रहा है लेकिन हम आज भी इस पर ध्यान नहीं देते।
- हॉकी नहीं है राष्ट्रीय खेल: ओलंपिक में भारत ने इतने गोल्ड मेडल जीते, दुनिया को अपनी स्टिक से नचाने वाले लेजेंड मेजर ध्यानचंद की इतनी कहानियां आज भी ताजी लगती हैं, और तो और हमने स्कूल में अनगिनत बार पढ़ा और सुना भी कि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है, लेकिन सच्चाई यह है कि 'नहीं है'। 8वीं क्लास की छात्रा ऐश्वर्या पाराशर ने इस बारे में भी आरटीआई के तहत पूछा था कि इस खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा कब मिला? जवाब में खेल मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी शिवप्रताप सिंह ने स्पष्ट किया कि मंत्रालय ने आज तक किसी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा दिया ही नहीं है। यानी ये फैक्ट भी गलत है।
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साभार: भास्कर समाचार
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