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कोई भी इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त कोई इन्सान जो सवाल सबसे अधिक
पूछता है, वह यह है कि क्या इंश्योरेंस कंपनी क्लेम की अदायगी करेगी? इसकी
वजह यह है कि कई बार अलग-अलग कारणों से लोगों के बीमा के दावे खारिज हो
जाते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं उन सावधानियों के बारे में,
जिनके जरिए आप अपने इंश्योरेंस क्लेम को खारिज होने से बचा सकते हैं: - क्या करें कि वाहन बीमा दावा न हो खारिज: कई ऐसे कारण होते हैं, जिनकी वजह से वाहन बीमा का दावा खारिज हो जाता है। जो दावा आप कर रहे हैं वह वाहन बीमा के दायरे से बाहर हो, तो दावा खारिज हो जाता है। इसके अलावा बीमा कंपनी को दी जाने वाली सूचना झूठी पाई जाने पर भी ऐसा होता है। यदि वाहन बीमा योजना की खरीद निजी वाहन के नाम पर की गई हो और उस वाहन का इस्तेमाल व्यावसायिक उपयोग के लिए किया जा रहा हो, तो ऐसी स्थिति में भी बीमा कंपनी द्वारा उस बीमा के दावे को खारिज कर दिया जाता है। इसके अलावा यदि ड्राइवर शराब पी कर या ड्रग्स आदि का सेवन कर वाहन चला रहा हो तो भी बीमा कंपनी ऐसा कर सकती है। विद्रोह, युद्ध, दंगा आदि के बाद हुए नुकसान की स्थिति में भी दावा खारिज हो जाता है। यदि कोई दुर्घटना होती है तो उसके बाद जितनी जल्दी हो सके, बीमा कंपनी को इसके बारे में सूचना दें। साथ ही उनसे यह पूछें कि वाहन बीमा के दावे के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत होगी और क्या प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी। दुर्घटना के स्थान के पास के पुलिस थाने को इसकी सूचना दें और एफआईआर दाखिल करें। दावे के लिए इसकी जरूरत पड़ सकती है। साथ ही दुर्घटना स्थान के निकट जिस चिकित्सालय से मदद लें, उसकी रसीद भी साथ रखें। इसके अतिरिक्त कोशिश करें कि वाहन को और नुकसान न हो। इसके अलावा गाड़ी की आरसी, ड्राइविंग लाइसेंस और बीमा योजना की मूल प्रति की जरूरत पड़ सकती है। सबसे अहम बात, बीमा कंपनी को कोई झूठी जानकारी न दें और न ही कुछ छिपाएं।
- क्या करें कि स्वास्थ्य बीमा का दावा न हो खारिज: कई लोग स्वास्थ्य बीमा खरीदते समय अपनी पुरानी बीमारियों की जानकारी नहीं देते। ऐसे लोग जब दावा करते हैं तो उसके खारिज होने की संभावना अधिक होती है। अगर आप उन बीमारियों के लिए दावा कर रहे हैं जो बीमा कंपनी के कवरेज से बाहर हैं, तो आपका दावा खारिज हो जाएगा। यदि आप स्वास्थ्य बीमा की पूरी रकम का उपयोग पहले ही कर चुके हैं तो ऐसे में बीमा कंपनी आपका स्वास्थ्य बीमा का दावा खारिज कर देती है। बीमा कंपनियों ने विभिन्न बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि तय कर रखी है, अगर आपने इस अवधि के दौरान दावा किया, तो निश्चित रूप से वह खारिज हो जाएगा।
- क्या करें कि जीवन बीमा का दावा न हो खारिज: जीवन बीमा खरीदते समय आपको बीमा कंपनी से कुछ भी छिपाना नहीं चाहिए। यदि आप शराब पीते हों या धूम्रपान करते हों, तो इसकी जानकारी बीमा कंपनी को होनी चाहिए। इसके अलावा आपकी मेडिकल हिस्ट्री और आपके कामकाज के बारे में भी जानकारी देने की जरूरत होती है, ताकि उन्हें आपके जीवन से संबंधित जोखिम का सही-सही अंदाजा रहे। यदि बीमा कंपनी को इससे संबंधित जानकारी बाद में मिलती है, तो वह इसी आधार पर जीवन बीमा का दावा खारिज कर सकती है। यही नहीं, अगर आप दूसरी जीवन बीमा पॉलिसी खरीद रहे हों तो पहली पॉलिसी के बारे में जानकारी अवश्य दें। ऐसा न करने पर बीमा कंपनी का संदेह बढ़ता है।
- पॉलिसी होल्डर्स के लिए और कौन सी सावधानियां हैं जरूरी: दरअसल एक इंश्योरेंस पॉलिसीहोल्डर के तौर पर यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप उस पॉलिसी के डॉक्युमेंट में दिए गए सभी नियमों-प्रक्रियाओं की जानकारी रखें और इंश्योरेंस कंपनी को आपका क्लेम खारिज करने का मौका ही न दें।
- एक्सक्लूजन के बारे में रखें जानकारी: अक्सर यह देखा जाता है कि इंश्योरेंस पॉलिसीहोल्डर को अपनी पॉलिसी के एक्सक्लूजन्स (पॉलिसी के तहत क्या कवर नहीं किया जाता) की ही जानकारी नहीं रहती। इसकी वजह यह है कि लोग पॉलिसी खरीदते समय उससे जुड़े टर्म और कंडीशन नहीं पढ़ते। अगर आप पॉलिसी डॉक्युमेंट को ध्यान से पढ़ें, तो आपको पता चल जाएगा कि इसके तहत क्या कवर किया जाता है और क्या कवर नहीं किया जाता।
- खुद पॉलिसी फॉर्म भरें, फिर सिग्नेचर करें: जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा, कई बार गलत सूचना देने या कुछ सूचनाएं आंशिक रूप से देने और कुछ सूचनाएं न देने की वजह से इंश्योरेंस क्लेम खारिज हो जाते हैं। इसकी वजह यह है कि इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय आम तौर पर लोग उसे खुद से भरने की जहमत भी उठाना पसंद नहीं करते। लोग अक्सर केवल अपने हस्ताक्षर कर देते हैं और बाकी चीजें भरने की जिम्मा एजेंट पर छोड़ देते हैं। ऐसे में कई बार उम्र, आमदनी और उसके पास मौजूदा इंश्योरेंस पॉलिसीज की जानकारी या तो गलत हो जाती है या दी ही नहीं जाती। खुद पॉलिसी फॉर्म भरें और उसके बाद सिग्नेचर करें।
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साभार: भास्कर समाचार
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