शहरों की सरकार माने जाने वाले स्थानीय निकाय हरियाणा में सिर्फ राजनीति तक
सीमित हैं। नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर परिषद व नगर निगमों को शिक्षा का
अधिकार (आरटीई) कानून में मिले दायित्वों से कोई सरोकार नहीं। शहरों को
शिक्षा के क्षेत्र में आगे ले जाने में निकाय रुचि नहीं दिखा रहे। हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में लगभग 400 प्राथमिक स्कूलों की दरकार है पर निकायों
की ओर से सरकार को डिमांड ही नहीं भेजी जा रही।
स्थानीय निकाय के सुनवाई न
करने पर पानीपत के वार्ड नंबर 12 के लोग सीधा सीएम विंडो पर स्कूल खोलने की
गुहार लगा चुके हैं। शिक्षा का अधिकार कानून आने के बाद से अब तक निकायों
के कान पर जूं तक नहीं रेंगी है। स्कूल मैपिंग और हाउस होल्ड सर्वे कराना
तो उनकी प्राथमिकता में शामिल ही नहीं। स्कूल शिक्षा विभाग कोई सहयोग न
मिलने पर अब इसे अपने स्तर पर कराने जा रहा है। संविधान में संशोधन कर
शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा देते समय अनुच्छेद 21ए में वर्ष 6 से 14
तक के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा के साथ ही स्थानीय निकायों की
जिम्मेदारियां भी तय की गई है। अपने क्षेत्र के सभी बच्चों के लिए शिक्षा
का प्रबंध करना, स्कूल मैपिंग व घरों का सर्वे कर क्षेत्र अनुसार बच्चों की
संख्या कम या ज्यादा होने पर नए स्कूलों की स्थापना और निर्माण निकायों के
जिम्मे है। लेकिन, आरटीइ लागू होने के बाद मुश्किल से दो प्रतिशत निकाय ही
इस पर खरा उतर पाए हैं।
आरटीई में निकायों के दायित्व:
- 16 से 14 वर्ष तक का कोई भी बच्चा रेलवे ट्रैक, जीटी रोड़, नहर, नदी व अन्य बाधा पार कर स्कूल नहीं जाएगा।
- स्थानीय निकाय उस क्षेत्र में स्कूल खोलने की जगह मुहैया कराएंगे।
- विभाग को प्रस्ताव भेजने के साथ स्कूलों में सुविधाएं देंगे।
- बच्चों को स्कूल न भेजने वाले माता-पिता को शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाएगा।
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साभार: जागरण
समाचार
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