साभार: जागरण समाचार
भारत और चीन के रिश्तों में पिछले कुछ समय से बढ़ रहे तनाव को दूर करने के लिए दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के स्तर पर एक नई शुरुआत होने जा रही है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी हफ्ते 27 व 28 अप्रैल को चीन
जाएंगे जहां वह राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ एक अनौपचारिक बैठक करेंगे। मोदी और चिनफिंग के बीच होने वाली इस बैठक के खास मायने बताए जा रहे हैं। बताते हैं कि दोनों नेता अगले डेढ़ दशक के लिए द्विपक्षीय रिश्तों का एजेंडा तय करेंगे। इसकी अहमियत इससे भी समझी जा सकती है कि मोदी जून में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (सीएसओ) की शीर्षस्तरीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए भी चीन जाने वाले हैं। लेकिन उसके पहले दोनों देशों ने केंद्रीय चीन के वुहान शहर में एक अलग बैठक करने का फैसला किया है। इस बैठक की तैयारियों के लिए रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। सुषमा एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए बीजिंग में हैं। उन्होंने वहीं मोदी की आगामी यात्र की घोषणा की। सुषमा और चीनी विदेश मंत्री के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनी है जो रिश्तों में तनाव के खत्म होने के संकेत हैं।
ऐतिहासिक होगी मोदी-चिनफिंग वार्ता: डोकलाम के बाद यह पहला मौका होगा जब भारत और चीन के बीच शीर्षस्तरीय द्विपक्षीय वार्ता होगी। वैसे दोनों नेताओं के बीच डोकलाम विवाद के दौरान और बाद में मुलाकात हुई है, लेकिन बड़े एजेंडे वाली बैठक पहली बार हो रही है। कई जानकार इसकी तुलना राजीव गांधी की वर्ष 1988 में की गई बीजिंग यात्र से कर रहे हैं जब दोनों देशों ने वर्ष 1962 की लड़ाई के साये से निकलने की शुरुआत की थी।
माना जा रहा है कि दोनों नेता अगले डेढ़ दशक का द्विपक्षीय रिश्तों का एजेंडा तय करेंगे। मोदी की यह यात्र इस बात का भी सुबूत होगी कि विदेश नीति को लेकर राजग सरकार किसी तीसरे देश के दबाव में नहीं है। तभी वह अमेरिका के साथ भी बेहतरीन रिश्ते बना रही है और चीन के साथ भी संबंधों को खासी तवज्जो दे रही है।
इस मुलाकात में वह हर मुद्दा उठेगा जो अभी द्विपक्षीय रिश्तों को ठेस पहुंचा रहा है। मसलन, एनएसजी में भारत का प्रवेश, पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से में चीन का सड़क निर्माण आदि। सुषमा स्वराज के मुताबिक, ‘दोनों नेताओं के बीच बैठक बहुत महत्वपूर्ण होगी जिसमें द्विपक्षीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के अलावा लंबी अवधि में आपसी रिश्तों के भविष्य का मुद्दा भी अहम होगा। कोशिश यह है कि दोनों नेताओं के बीच आपसी संवाद को और मजबूत किया जाए। दोनों नेता मानते हैं कि दुनिया में जिस तरह से बदलाव हो रहे हैं उसे देखते हुए भारत व चीन का यह साझा दायित्व है कि दुनिया में शांति, सुरक्षा व संपन्नता कायम रहे।’