साभार: भास्कर समाचार
- पीडि़ता: आसाराम को मेरा परिवार गुरू समझता था। पूरा परिवार उसकी शरण में रहता था, आश्रम में सेवा करता था। वह शैतान और बुरा इंसान निकला। आसाराम ने बंद कमरे में डेढ़ घंटे तक जबर्दस्ती की।
- पीड़िता के पिता: 11 साल तक भगवान की तरह पूजता रहा, उसी ने मेरी छोटी बेटी के साथ घिनौनी हरकत की। वहां कई लड़कियां है, किसी के साथ ऐसा कर सकता है इसलिए आसाराम को कड़ी सजा मिले।
- पीड़िता की मां: इतना बेशर्म कि दूसरे दिन भी कहने लगा कि लड़की को आश्रम भेज दो, नहीं तो तुम्हारी बेटी आवारा हो जाएगी घर से भाग जाएगी। हम जिसे संत मानते थे, उसने मेरी बेटी का जीवन खराब कर दिया।
- महेंद्र चावला:पानीपत निवासी। आसाराम के प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग करता था। बयान: आसाराम की साधिकाएं लड़कियों का ब्रेन वॉश कर समर्पण के लिए तैयार करती थी, फिर आसाराम उनका यौन शोषण करता था। ऐसा ही अय्याश नारायण साईं भी था। आसाराम व साईं की गिरफ्तारी से भयमुक्त होने पर वह बयान दे रहा है। सुरक्षा कैसी: गदियाना चुंगी, निगोही रोड गांव में रहता है। पानीपत सदर थाना ने सुरक्षा गार्ड लगा रखा था। सनोली का नया थाना बनने के बाद वहां की गार्ड है। थाना इंचार्ज सुमित कुमार ने बताया कि पांच सशस्त्र जवान चौबीस घंटे उसके साथ रहते हैं। 13 मई 15 को पानीपत में गोली मार कर हत्या का प्रयास हुआ। तब से पुलिस सुरक्षा में है।
- राहुल सचान:लखनऊ में रहता था। बाप-बेटे की रंगरेलियों का गवाह था। बयान: आसाराम ने मुझे पीए बना लिया था इसलिए नारायण साई का भी करीबी था। उसने कई बार बाप-बेटों की रंगरेलियां देखी थी। आसाराम देसी अंडे खाता, मुर्गियां मंगवाता, यौन शक्ति वर्धक दवाएं लेते वाला हवसी था। कई लड़कियों को उसने गर्भपात भी कराया था। सुरक्षा कैसी: परिवार पैतृक गांव घाटमपुर में रहता है। वहां के थाना इंचार्ज अमित कुमार सिंह ने बताया कि न्हें केस की जानकारी नहीं है इसलिए किसी को सुरक्षा नहीं दी है। सचान ठाकुरगंज लखनऊ में किराए पर रहता था, वहां के एसओ ने बताया कि वह तो चार साल से लापता है, उसका सुराग भी नहीं है, सुरक्षा किसकी करें।
- अमृत प्रजापति: अहमदाबाद के फ्लैट में रहता था और आसाराम का वैद्य था। 23 मई 14 को राजकोट में अमृत को गोली मार दी गई। बयान: यौन शक्ति वर्धक दवाएं लेता है आसाराम। उनकी अय्याशियों का गवाह रहा हूं। दुष्कर्म के बाद आसाराम कहता था कि वह महिलाओं का कल्याण कर रहा है। अमृत ने अपने जैसे कई चश्मदीद लोगों के नाम-पते और सबूत पुलिस को दिए थे। (परिवार को कोई सुरक्षा नहीं। ओढ़व पुलिस, अहमदाबाद।)
- कृपाल सिंह: शाहजहांपुर में रहता था, पीडि़ता के पिता का दोस्त था। 10 जुलाई 15 को शाहजहांपुर उसे भी सरेराह गोली मार दी। मृत्यु पूर्व बयान: घायल अवस्था में कृपालसिंह ने यूपी पुलिस से कहा था कि जोधपुर केस में गवाही देने से आसाराम के साधक अंजाम भुगतने की धमकियां दे रहे थे। जबकि उसने सिर्फ इतना ही बयान दिया था कि शाहजहांपुर का आश्रम पीडि़ता के पिता के पैसों से बना है। (परिवार को कोई सुरक्षा नहीं। सदरबाजार पुलिस, शाहजहांपुर।)
- अजय कुमार: हिसार का रहने वाले अजयकुमार ने जोधपुर में मजिस्ट्रेट के समक्ष जो बयान दिए, वे चारों प्रमुख गवाहों पर हुए हमलों को सपोर्ट करते हैं। अजय भी समर्पित साधक था। साईं की सीआईडी करने वाले नरेश को ऋषिकेश में डूबा कर मार दिया। दो महीने बाद ही साधक रेंवाभाई की संदिग्ध एक्सिडेंट में मौत हो गई। एक साधिका के प्रेमी दिनेश ने भी संदिग्ध हालत में आत्महत्या कर ली। ये सभी हत्याएं थी क्योंकि साईं के गुर्गों ने उसे भी उल्टा लटका कर पीटा और बेहोश होने पर उदयपुर में पटक दिया। 13 फरवरी 15 को जोधपुर कोर्ट के बाहर चाकू मार हत्या का प्रयास हुआ। उसके बाद से वह गायब है। सुरक्षा कैसी: पुलिस चौकी आजाद नगर हिसार के पीएसआई पवन कुमार ने बताया कि किसी ने सुरक्षा नहीं मांगी। किसी पर हमला भी नहीं हुआ। आसाराम केस से जुड़े किसी व्यक्ति को थाना क्षेत्र में सुरक्षा नहीं दे रखी है।