साभार: भास्कर समाचार
12 साल तक की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अब फांसी की सजा दी जाएगी। दुष्कर्म के अपराध और अपराधियों का डेटाबेस बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में
पॉक्सो एक्ट में संशोधन और इस संबंध में क्रिमिनल लॉ (संशोधन) अध्यादेश 2018 लाने को मंजूरी दी गई। इसके तहत आईपीसी, साक्ष्य अधिनियम, सीआरपीसी और पॉक्सो एक्ट में संशोधन किया जाएगा। अध्यादेश में प्रावधान किया गया है कि 16 वर्ष तक की बालिका के साथ दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। दुष्कर्म के केस की जांच दो माह में अनिवार्य रूप से पूरी की जाएगी। इसके लिए सभी थानों को फोरेंसिक किट दिए जाएंगे। ऐसे मामलों में छह माह में फैसला होगा। इसके लिए देशभर में अलग से फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन होगा। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि बच्चियों से दुष्कर्म करने के दोषियों को फांसी की सजा देने का प्रस्ताव लाया जाएगा। वहीं, दुष्कर्म के अपराधियों का डेटाबेस बनाने वाले आठ देशों के क्लब में भारत भी शामिल हो गया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो दुष्कर्म, यौन अपराधों और दुष्कर्मियों की प्रोफाइल का राष्ट्रीय डेटाबेस रखेगा।
ये होंगे नए प्रावधान:
- दुष्कर्म के मामलों में अग्रिम जमानत का प्रावधान खत्म।
- कम से कम सजा 10 साल होगी, 12 साल तक के बच्चों से रेप पर फांसी या उम्रकैद की सजा होगी।
- 16 वर्ष तक की लडुकी से दुष्कर्म पर न्यूनतम सजा 20 साल, सामूहिक दुष्कर्म के दोषी को ताउम्र जेल।
- छह महीने में होगा दुष्कर्म के केस में फैसला, पुलिस जांच अनिवार्य रूप से दो माह में पूरी करनी होगी, सुनवाई भी दो माह में पूरा करने का प्रावधान।
पॉक्सो एक्ट में अभी ये प्रावधान:
- बच्चों से रेप के मामले में दोषियों के लिए ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद की सजा दी जा सकती है।
- कम से कम सजा सात साल की जेल, अपराध की गंभीरता के आधार पर कोर्ट सजा तय कर सकती है।
- 16 साल तक के बच्चों से यौन अपराध के दोषी की न्यूनतम सजा 10 साल है।
- 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन संबंध अपराध के दायरे में है।
लड़के-लड़की को समान रूप से सुरक्षा: पॉक्सो एक्ट में कानूनन लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान की गई है। नए प्रावधान को लागू करने के लिए पॉक्सो एक्ट के साथ ही आईपीसी, साक्ष्य अधिनियम, सीआरपीसी में बदलाव करना होगा।
क्यों लेना पड़ा सरकार को यह फैसला: कठुआ, सूरत व बिहार के रोहतास सहित देश के अन्य हिस्सों में बच्चियों से दुष्कर्म और उनकी हत्या की घटनाएं हुईं। दोषियों को मौत की सजा देने के लिए देश भर में आवाज उठ रही थी।
मौत की सजा का विरोध: दुष्कर्मियों की फांसी की सजा और अपराधियों का डेटाबेस रखने के केंद्र सरकार के फैसले का कुछ मानवाधिकार संगठनों ने विरोध किया है। ह्यूमन राइट वाच और एसीएलयू ने कहा है कि ये पुनर्वास की अवधारणा के खिलाफ है।
इधर, हिसार के नारनौंद की घटना में कार्रवाई: हिसार के नारनौंद में आठ साल की बच्ची से दरिंदगी करने वाला उसका सगा चाचा निकला। पुलिस ने उसे शनिवार रात गिरफ्तार कर लिया। उसे कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा। आरोपी ने पुलिस पूछताछ में अपना जुर्म कबूल किया है। डीएसपी जोगेंद्र सिंह राठी ने बताया कि बुधवार रात सड़क किनारे तंबू लगाकर रह रहे एक परिवार में मां के साथ सो रही बच्ची को उठाकर दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था। आसपास के लोगों ने पहले दिन ही बच्ची के चाचा पर शक जाहिर किया था। पुलिस की 6 टीमें जांच में जुटी थीं।
स्वाति मालीवाल आज तोड़ेंगी अनशन: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल अपना अनशन रविवार दोपहर को तोड़ेंगी। मालीवाल बच्चियों के दुष्कर्मियों को फांसी की सजा का प्रावधान किए जाने की मांग को लेकर उपवास पर बैठीं थीं। शनिवार को उनके उपवास का नौवां दिन था।