साभार: जागरण समाचार
हरियाणा के प्राइवेट स्कूल संचालकों ने दस फीसद सीटों पर गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त दाखिले देने से इन्कार कर दिया है। प्रदेश सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप लगाते हुए फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल
एसोसिएशन ने कहा कि 10 फीसद सीटों पर बच्चों को लाभ देने के लिए बाकी 90 फीसद सीटों पर पढ़ने वाले बच्चों पर बोझ नहीं डाला जा सकता। एसोसिएशन ने दो टूक कहा कि राज्य सरकार को इन बच्चों को मुफ्त पढ़ाने की एवज में अपने खजाने से निजी स्कूलों को राशि देनी होगी। प्रदेश में इस बार कक्षा दो से 12 तक के करीब 85 हजार बच्चों ने मुफ्त दाखिलों के लिए आवेदन किया था, जबकि करीब 70 हजार बच्चे परीक्षा में बैठे। मूल्यांकन परीक्षा में 55 फीसद अंक हासिल करने वालों को निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले मिलेंगे। फेडरेशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा है कि जब तक सरकार स्कूलों के साथ किए गए वादे को पूरा करते हुए रिइंबर्समेंट जारी नहीं करती तब तक कोई भी स्कूल संचालक हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमों की धारा 134-ए के तहत दाखिला नहीं देगा। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल संचालक रिइंबर्समेंट के लिए मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और शिक्षा निदेशालय को पत्र लिखे। प्रदेश सरकार को कोर्ट ने आदेश दिए थे कि निजी स्कूल संचालकों को बच्चों को मुफ्त पढ़ाने की एवज में राशि दी जाए, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी कोई राशि नहीं दी गई है। कुलभूषण शर्मा ने कहा कि सरकार झूठा प्रचार करती है कि स्कूलों को राशि दी जा रही है। अब सरकार के खिलाफ फेडरेशन जल्द ही हाई कोर्ट में अवमानना का केस दाखिल करेगी। दूसरी तरफ दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन के संयोजक सत्यवीर सिंह हुड्डा ने कहा है कि प्राइवेट स्कूल गरीब बच्चों को दाखिला देने से मना नहीं कर सकते। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि फीस का भुगतान स्कूल और सरकार के बीच का मामला है, लेकिन इसकी वजह से बच्चों को दाखिला देने से नहीं रोका जा सकता।