हरियाणा के निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के नियम 134 ए के तहत गरीब
बच्चों को दाखिला देने के मामले में हरियाणा सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय
में पहुंच गई है। सरकार की ओर से मौजूद काउंसिल अमर विवेक ने हाई कोर्ट में
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार की
याचिका पर 30 जुलाई को सुनवाई होगी। इस पर हाई कोर्ट ने सुनवाई को 31 जुलाई
तक के लिए टाल दिया। सरकार की
ओर से बताया गया कि हाई कोर्ट द्वारा दिए
गए आदेश को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाई कोर्ट के फैसले
के अनुसार निजी स्कूलों में 134ए के तहत दिए जाने वाले दाखिले की फीस देना
सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार के काउंसिल ने कहा कि यदि उन्हें फीस के बोझ
में दबाया गया तो पांच हजार करोड़ रुपये सालाना प्राइवेट स्कूल संचालकों
को देने होंगे। स्कूलों को जमीन दी जाती है और स्कूलों का यह फर्ज है कि वे
समाज में आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों का दाखिला देकर अपनी जिम्मेदारी
निभाएं। उनकी याचिका पर 30 जुलाई को सुनवाई होनी है ऐसे में वहां सुनवाई के
बाद ही यहां सुनवाई हो। हाई कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए सुनवाई
31 जुलाई तक के लिए टाल दी। इस दौरान याची पक्ष द्वारा कहा गया कि बच्चों
का एडमिशन लंबित है जो सही नहीं है। राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि
बच्चों का दाखिला 134ए के तहत सुनिश्चित किया जाए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट
ने अभी स्टे नहीं दिया है। हाई कोर्ट में सरकार ने कहा कि उन्होंने सभी
डीईईओ को निर्देश दिए हैं कि वे दाखिला सुनिश्चित करें। यदि कोई निजी स्कूल
दाखिला नहीं देता है तो इसकी शिकायत विभाग के निदेशक को दी जा सकती है।
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साभार: जागरण
समाचार
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