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आधुनिक तकनीक को बैंकों ने ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने के लिए
इस्तेमाल किया है। तकनीक की मदद से बैंक किस तरह बिना किसी मानवीय
हस्तक्षेप के हर समय ग्राहकों को सेवा दे रहे हैं, उसका बेहतरीन उदाहरण है
ई-लॉबी। ई-लॉबी में एक साथ कई मशीनें लगी होती हैं, जो मिल कर वे सभी
बैंकिंग सेवाएं देती हैं, जिनकी ग्राहकों को जरूरत होती है। कैश डिपॉजिट,
कैश विदड्रॉल, चेक डिपॉजिट और पास बुक प्रिंटिंग, यानि एक छत के नीचे ये
चारों फायदे ई-लॉबी के इस्तेमाल से उठाए जा सकते हैं।
कैश डिपॉजिट मशीन: इस मशीन की मदद से कोई व्यक्ति जिस खाते में चाहे, उस खाते में पैसे
जमा कर
सकता है। जैसे ही आप मशीन में एकाउंट नंबर टाइप करते हैं, मशीन के
स्क्रीन पर उसके खाता धारक का नाम उभर जाता है। अगर वह नाम सही है, तो आपको
अगले स्टेप पर बढ़ जाना चाहिए। यह मशीन आम तौर पर 100, 500 और 1,000 रुपए
के नोट स्वीकार करती है। मशीन के टच स्क्रीन की मदद से आप यह काम बड़ी आसानी से पूरा कर सकते
हैं। यह बेहद आसान होता है और एक बार समझ कर कोई भी इसे कर सकता है। जैसे
ही काम पूरा होता है, वह राशि तुरंत ही खाते में क्रेडिट हो जाती है। इसकी
पुष्टि के लिए मशीन से एक रसीद भी निकल आती है।
चेक डिपॉजिट मशीन: आप जो चेक बैंक में जमा करना चाहते हैं, उसे मशीन में भी जमा किया जा
सकता है। इसके लिए ई-लॉबी में चेक डिपॉजिट मशीन लगी रहती है। इस मशीन में
चेक जमा करने के लिए उस चेक के पीछे एकाउंटिंग नंबर और कॉन्टैक्ट नंबर
लिखना होता है। उसके बाद उसे चेक जमा करने के लिए तय स्लॉट में डाल दिया
जाता है। इसके बाद दूसरे स्लॉट से उस चेक की फोटोकॉपी निकल आती है, जिसे
कस्टमर एक रसीद के तौर पर रख सकता है। इस मशीन का इस्तेमाल करते समय आपको
एक सावधानी यह जरूर बरतनी चाहिए कि उसके पीछे एकाउंट नंबर और कॉन्टैक्ट
नंबर सही लिखे हों।
पास बुक प्रिंटिंग मशीन: इन मशीनों के अलावा ई-लॉबी में पास बुक प्रिटिंग मशीन भी लगी होती है।
ग्राहक इसका इस्तेमाल कर अपना पास बुक अपडेट कर सकता है। इस मशीन के
इस्तेमाल से पहले यह जरूरी है कि ग्राहक बैंक ऑफिशियल से अपने पास बुक पर
बार कोड लगवाए। जिस पेज पर डेटा अपडेट कराना है, उस पेज को खोल कर ग्राहक
को पास बुक को मशीन में डाल देना होता है, जिसके बाद पास बुक प्रिंट और
अपडेट हो जाता है।
एटीएम: बैंकों के एटीएम आजकल पैसे निकालने के लोकप्रिय साधन बन गए हैं। लेकिन
इनका इस्तेमाल केवल पैसे निकालने के लिए ही नहीं किया जाता। आजकल इनके
इस्तेमाल से बीमा प्रीमियम जमा किया जा सकता है, अन्य बिल भी जमा किए जा
सकते हैं और पैसे भेजे भी जा सकते हैं। इसकी वजह से ग्राहकों को काफी
सुविधा हो गई है। एटीएम का इस्तेमाल करते समय ग्राहक को पिन नंबर की गोपनीयता बनाए रखनी
चाहिए। यही नहीं, उसे एक निश्चित अंतराल पर एटीएम का पिन बदलते रहना
चाहिए। अगर यह लगे कि किसी व्यक्ति को पिन नंबर का पता चल गया है, तो ऐसी
स्थिति में तुरंत ही इसमें बदलाव कर देना चाहिए। पिन नंबर बदलने की सुविधा
एटीएम में ही मिल जाती है। अगर एटीएम से ट्रांजैक्शन के बाद ग्राहक रिसीट निकालता है तो कुछ बैंक
उसे एक अलग ट्रांजैक्शन के तौर पर गिनते हैं। ग्राहकों को रिसीट की मांग
तभी करनी चाहिए जब उसे वाकई उसकी जरूरत हो। आम तौर पर यह देखा गया है कि
ग्राहक ई-लॉबी में रिसीट को यूं ही फेंक देते हैं। ऐसा करने से उनकी कुछ
जरूरी सूचनाएं गलत लोगों के हाथों में पड़ सकती हैं।
बैंक लगाने लगे हैं इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस: बैंक आम तौर पर ई-लॉबी की सुरक्षा के लिए गार्ड नियुक्त करते हैं।
हालांकि, ई-लॉबी नेटवर्क के लगातार विस्तार की वजह से बैंकों को ऐसा करना
काफी महंगा पड़ रहा है। ऐसे में बैंकों ने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस का
इस्तेमाल शुरू कर दिया है, जो तुलनात्मक रूप से अधिक सक्षम और प्रभावी हैं।
इनकी लागत भी कम है। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस सिस्टम में सीसीटीवी कैमरा, बायोमेट्रिक
एक्सेस सिस्टम, आरएफआईडी कार्ड आदि शामिल होते हैं। उम्मीद है कि आने वाले
दिनों में बैंक इस सिस्टम से युक्त अधिक ई-लॉबी लगाएंगे, ताकि ग्राहकों को
अधिक सुविधा और सुरक्षा दी जा सके।
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साभार: भास्कर समाचार
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