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भारत रत्न वैज्ञानिक सीएनआर राव ने कहा कि स्कूलों और कालेजों में पढ़ाया
जाने वाला विज्ञान पुराना और बेहदउबाऊ हो चुका है। विज्ञान के साथ-साथ राव
ने शिक्षकों पर भी सवाल उठाए और उन्हें पढ़ाने के तरीकों में सुधार की
सलाह दी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर विशेषज्ञों के सुझावों पर सरकारों ने
अमल किया होता तो हम कहीं ज्यादा आधुनिक हो गए होते। पूर्व प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष रह चुके राव ने कहा,‘जो
विज्ञान हम स्कूलों-कालेजों में पढ़ा रहे हैं, वह आज की आधुनिक
प्रयोगशालाओं में प्रयोग ही नहीं किया जाता। हम बहुत ही उबाऊ चीज बच्चों को
पढ़ा रहे हैं। जो विज्ञान पढ़ाया जा रहा है वह समय के साथ अपनी महत्ता खो
चुका है। जो रसायन विज्ञान हम पढ़ा रहे हैं.. वह रसायन विज्ञान कौन सीखना
चाहेगा?’ एसोचैम की ओर से आयोजित जेआडी टाटा मेमोरियल लेक्चर में राव ने
कहा, ‘अधिकतर शिक्षक उबाऊ हैं। हमें अपने पढ़ाने के तरीके में सुधार करना
होगा। भारत में शिक्षक और शिक्षण अच्छे नहीं रहे हैं। इसलिए राष्ट्रीय मिशन
को शिक्षकों व शिक्षण मानकों को सुधारना होगा।’ 1यह पूछे जाने पर कि क्या
विशेषज्ञों की ओर से जो सुझाव सरकार को दिए गए, वह पूरी तरह लागू हो पाए?
राव ने कहा कि अगर सभी सुझाव मान लिए गए होते तो भारत आज वहां नहीं होता,
जहां है।’ राव का मानना है कि शिक्षा व विज्ञान को हमारे देश में जरूरी
महत्व नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि भारतीय विज्ञान के पेटेंट जहां
40,000 हैं, वहीं चीन में यह संख्या लाखों में है। उन्होंने कहा कि शिक्षा
क्षेत्र में निवेश बढ़ाना बेहद जरूरी है। राव ने कहा,‘दक्षिण कोरिया जहां
अपनी जीडीपी का 3 फीसद विज्ञान पर खर्च करता है, वहीं चीन में यह आंकड़ा
1.7 फीसद है जबकि भारत अभी भी अपनी जीडीपी का 0.97 फीसद ही खर्च करता है।
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साभार: जागरण समाचार
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