फर्जी एसएलसी (स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट) के फेर
में फंसकर अपना रिजल्ट रद कराने वाले हरियाणा के लगभग 2600 परीक्षार्थियों
के फर्जी सर्टिफिकेट यूपी के छह जिलों के स्कूलों में तैयार हुए थे। सबसे
ज्यादा 1918 फर्जी एसएलसी यूपी के अलीगढ़ जिले से बने। मथुरा, बागपत, मेरठ,
प्रतापगढ़, अलीगढ़ और आजमगढ़
जिलों में भी फर्जीवाड़े का खेल हुआ। जिस
तरीके से हरियाणा के प्राइवेट स्कूलों ने यूपी के स्कूलों से बड़े पैमाने
पर फर्जी एसएलसी बनवाए हैं, इसमें किसी बड़े रैकेट के शामिल होने की
संभावना है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड
की जांच में यह बात सामने आई। शिक्षा बोर्ड के सूत्र ने बताया कि यूपी से
छह जिलों के प्राइवेट स्कूलों से ज्यादातर फर्जी एसएलसी जारी हुए। नौंवी
कक्षा के फर्जी एसएलसी के आधार पर बच्चों ने दसवीं कक्षा के लिए आवेदन
किया। इन सर्टिफिकेट पर यूपी शिक्षा विभाग के किसी सक्षम अधिकारी के साइन न
होने से हरियाणा शिक्षा बोर्ड प्रशासन को शक हुआ। जांच हुई तो धांधलेबाजी
की परत उघड़ती चली गई। इन फर्जी सर्टिफिकेट
के आधार पर दसवीं कक्षा पास करने वाले परीक्षार्थियों पर हरियाणा बोर्ड ने
कार्रवाई की और इनका रिजल्ट क्वेश (निरस्त) कर दिया। लेकिन, सर्टिफिकेट
जारी करने वाले यूपी के प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की बात इसलिए
दब गई कि एक तो हरियाणा बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। दूसरा, बोर्ड
इसलिए एक्शन मोड नहीं आया है कि फर्जी सर्टिफिकेट पर यूपी शिक्षा विभाग के
किसी सक्षम अधिकारी के साइन नहीं हैं। फर्जीवाड़े का यह मामला बेशक दो
राज्यों से जुड़ा है, लेकिन यूपी में गलत काम करने वालों पर कार्रवाई तो
बनती ही है।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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