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नए फार्मूला की घोषणा के बाद भी यूपीएससी परीक्षा में सीसैट के विवाद पर मचा
घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। आंदोलनकारी छात्रों से लेकर अधिकांश
विपक्षी दलों ने इस फामरूले को खारिज कर दिया है। आंदोलनकारी छात्र जहां
सीसैट को पूरी तरह से हटाने की मांग को लेकर नई दिल्ली में जंतर-मंतर पर
डटे हुए हैं, वहीं हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित
हुई। लेकिन सरकार ने फार्मूला पर पुनर्विचार करने से इन्कार कर दिया है।
इससे कुपित विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर
बयान देने की मांग की। संसद में यूपीएससी के मुद्दे पर सबसे अधिक हंगामा
राज्यसभा में हुआ, जहां नौ विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की
मांग की। कांग्रेस, सपा, बसपा, जदयू समेत तमाम क्षेत्रीय दलों ने सरकार के
सुझाए फार्मूला को खारिज करते हुए 24 अगस्त को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा
स्थगित करने की मांग की। विपक्षी दलों ने प्रश्नकाल स्थगित कर इस विवाद पर
तत्काल चर्चा कराने का नोटिस दिया था, लेकिन सभापति ने इसे खारिज कर दिया। क्षेत्रीय दलों का कहना था कि यूपीएससी की परीक्षा सभी क्षेत्रीय भाषाओं
में होना चाहिए तो कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने विवाद सुलझाने के लिए
संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग की। तिवारी का कहना था कि
सरकार ने इसे हिंदी-अंग्रेजी का मुद्दा बना दिया है, जबकि यह सभी भारतीय
भाषाओं से जुड़ा है। विपक्षी दलों के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही
भी थोड़ी देर के लिए बाधित हुई।
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साभार: जागरण समाचार
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