हिमाचल प्रदेश
के प्राइवेट विश्वविद्यालयों ने दसवीं पास बच्चों को बी-टेक में प्रवेश
देकर उनके भविष्य से बड़ा खिलवाड़ किया है। बी-टेक कर रहे लगभग 500 से भी अधिक बच्चों के
पांच साल की मेहनत पर पानी फिर गया है। ऐसा इसलिए हुआ कि प्राइवेट विश्वविद्यालय से मिलने वाली
डिग्री की कोई मान्यता नहीं है। इस डिग्री के आधार पर दसवीं पास किसी भी
बी-टेक डिग्री धारक को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती। प्रदेश सरकार ने इस
मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। प्रदेश के चार जिलों के छः प्राइवेट
विश्वविद्यालयों में इस समय दसवीं पास छात्र बी-टेक कर रहे हैं। 2013 में
पहला बी-टेक बैच पासआउट होकर निकलेगा। सरकार ने अभी तक इन छः विश्वविद्यालयों के
खिलाफ
कोई कार्रवाई नहीं की है। गौरतलब है कि नियमों के विपरीत
बच्चों को बी-टेक करवा रहे प्राइवेट विश्वविद्यालयों का गोरखधंधा रोकने के
लिए सुप्रीमकोर्ट ने करीब 500 ऐसे प्राइवेट विश्वविद्यालय बंद करवाने के निर्देश दिए
थे। सुप्रीमकोर्ट ने आदेश दिए थे कि बारहवीं पास बच्चे को ही बी-टेक में
प्रवेश दिया जाए। सरकार ने भी सभी प्राइवेट विश्वविद्यालयों को हिदायत की है कि बारहवीं
पास को ही बी-टेक में दाखिला दें। दसवीं पास की बी-टेक डिग्री मान्य नहीं
होगी। उधर प्रदेश में स्थापित प्राइवेट विश्वविद्यालयों के एक्ट के अनुसार भी दसवीं पास
बच्चे को प्रोफेशनल कोर्स में प्रवेश नहीं दिया जा सकता है। इसके बावजूद
विश्वविद्यालयों ने जान-बूझकर बी-टेक डिग्री के लिए प्रवेश दिया। यूजीसी के
मुताबिक प्राइवेट विश्वविद्यालयों की ओर से ऐसे किसी कोर्स को मान्यता
नहीं मिलेगी जो विश्वविद्यालय मर्जी से करवा रहे हैं।स्रोत: दैनिक भास्कर समाचार