राजस्थान
लोक सेवा आयोग ने द्वितीय श्रेणी शिक्षक (सामाजिक
विज्ञान) भर्ती के तीन लाख नौ हजार अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं नष्ट करके इस
परीक्षा की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने 5 सितंबर को
ही आयोग को दिशा-निर्देश दिए थे कि अभ्यर्थियों को OMR शीट दिखाई
जाए। इसके बावजूद RPSC ने 11 सितंबर को सभी ओएमआर शीट नष्ट कर दी। ठीक नौ दिन बाद 20 सितंबर को कम्प्यूटर में दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार
संशोधित परीक्षा परिणाम भी जारी कर दिया। अभ्यर्थियों का आरोप है कि इस
परीक्षा में धांधली हुई है। इस वजह से हाईकोर्ट के निर्देशों को
नजर अंदाज
करते हुए लाखों की संख्या में OMR शीट नष्ट की गई। अभ्यर्थियों का कहना है कि ऐसी क्या
नौबत आ गई थी कि संशोधित परीक्षा परिणाम के नौ दिन पहले ही ओएमआर शीट नष्ट
करनी पड़ी।
कोर्ट के आदेश की पालना होनी ही चाहिए थी: राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री J.M . खान का कहना है कि अगर कोर्ट ने OMR शीट दिखाने के दिशा निर्देश दिए थे और उसके बावजूद आयोग ने उन्हें नष्ट कर दिया तो गलत हुआ है। सवाल उठता है कि RPSC के अधिकारी क्या कर रहे थे? आदेश का पालन कराना उनकी ड्यूटी थी। शायद ऐसा
कम्युनिकेशन गैप के कारण हुआ है। गौरतलब है कि दिसंबर 2011 में सामाजिक विज्ञान के 2373 पदों के लिए द्वितीय श्रेणी
शिक्षक भर्ती परीक्षा हुई थी। इनका परिणाम 6 मार्च, 2012 को जारी हुआ। सामान्य
ज्ञान विषय के प्रश्न-पत्र प्रथम और द्वितीय में 11 प्रश्नों पर विवाद हुआ।
दरअसल RPSC ने जो उत्तर दर्शाए थे, वे गलत थे। इस मामले को लेकर
अभ्यर्थी हाईकोर्ट में गए। हाईकोर्ट ने एक फैसले में निर्णय दिया कि RPSC इस मामले में एक
एक्सपर्ट कमेटी के माध्यम से मामले का समाधान कराए। कमेटी ने RPSC की उत्तर कुंजी में आठ उत्तरों को गलत ठहराते हुए आठ प्रश्न डिलीट करने का फैसला
किया। इसके बाद 20 सितंबर को संशोधित परीक्षा परिणाम जारी किया। इससे
वरीयता सूची से 197 अभ्यर्थी बाहर हो गए। अभ्यर्थियों का कहना है कि जब
पूरे प्रकरण पर विवाद था तो OMR शीट नष्ट करना RPSC का गलत निर्णय
है। इस मामले में RPSC के उप सचिव श्री R. L. सोलंकी ने कहा है कि जहां ओएमआर शीट रखी थी वहां पर बरसाती पानी भर गया था। कुछ शीट खराब हो
गई थी। नियमानुसार परिणाम के तीन माह बाद उत्तर पुस्तिकाएं नष्ट की जा
सकती हैं। मार्च में परिणाम घोषित हुआ था। इसके आधार पर हमें उत्तर
पुस्तिका नष्ट करने का हक है। RPSC के अध्यक्ष श्री हबीब खान ने भी यही कहा है कि यह मामला मेरी जानकारी में नहीं आया है। रिपोर्ट लेकर ही कुछ कह सकूंगा। दोषी व्यक्ति के खिलाफ निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी।
उधर ग्रेड सेकेंड शिक्षक भर्ती के सामाजिक व गणित विषय के
चयनित अभ्यर्थियों ने नियुक्ति की मांग को लेकर 27 सितम्बर से शिक्षा संकुल के
बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है। वे एक अक्टूबर से पहले नियुक्ति चाहते हैं। द्वितीय श्रेणी चयनित शिक्षक संघर्ष समिति के अध्यक्ष गुरमीत सिंह का कहना
है कि उनका चयन प्रथम परिणाम और संशोधित परिणाम दोनों में हुआ है। लेकिन
शिक्षा विभाग ने उनकी नियुक्ति पर कोई निर्णय नहीं किया है कि कब तक देंगे। इस संबंध में वे शिक्षा विभाग और आरपीएससी के अधिकारियों से कई बार
मिले। लेकिन कहीं से भी कोई संतोषप्रद जवाब नहीं मिल रहा। अब अगर वे एक
अक्टूबर के बाद नियुक्ति पाते हैं तो बाद में वे पदोन्नति में पिछड़
जाएंगे। ऐसे में सरकार एक अक्टूबर से पहले उन्हें नियुक्ति दें। वर्ना
संकुल के बाहर उनका धरना जारी रहेगा।
साभार: दैनिक भास्कर