राजस्थान हाई
कोर्ट ने राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा (RTET)-2012 में 55 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को
प्रमाण-पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है। साथ ही इस विषय में पंचायती राज सचिव, एनसीटीई
निदेशक व बोर्ड ऑफ सैकंडरी एजुकेशन, अजमेर के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब
भी मांगा है। न्यायाधीश एम.एन.भंडारी ने यह अंतरिम आदेश मंगलवार को दीपेन्द्र
कुमार शर्मा की याचिका पर दिया। अधिवक्ता विज्ञान शाह ने बताया कि NCTE ने 29 जुलाई, 2011 की अधिसूचना
से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम प्राप्तांक 60 प्रतिशत
में केवल पांच प्रतिशत की छूट दी थी, लेकिन सरकार ने RTET-2012 की विज्ञप्ति
में
आरक्षित वर्ग के इलावा विधवा, तलाकशुदा, निशक्त व अन्य वर्ग को 5
प्रतिशत से ज्यादा छूट दे दी जिससे सामान्य वर्ग
के प्रार्थी के हित प्रभावित हुए हैं। इसके इलावा हाईकोर्ट ने प्रदेश की सभी जिला परिषदों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे
अभ्यर्थियों को तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर नियुक्ति नहीं दें जिन्होंने
बी.एस.टी.सी. कोर्स के प्रथम वर्ष में ही RTET 2011 परीक्षा पास कर ली थी।
साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर को
निर्देश दिया है कि वह RTET-2012 में अभ्यर्थियों की योग्यता के
दस्तावेजों को जांचे बिना उन्हें प्रमाण पत्र जारी न करें। अदालत ने यह
अंतरिम आदेश नरेश नामा की याचिका पर दिया है।
स्रोत: दैनिंक भास्कर समाचार