Friday, November 14, 2014

पैन कार्ड की जानकारी छुपाने से क्या-क्या हैं नुकसान

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पैन कार्ड एक ऐसा कार्ड है, जिस पर लिखे कोड में व्यक्ति की पूरी कुंडली छुपी होती है। आम तौर पर लोगों का यह मानना होता है कि पैन कार्ड उस व्यक्ति के लिए जरूरी नहीं है, जिसकी कोई टैक्सेबल इनकम नहीं है, लेकिन यह नजरिया गलत है। बहुत सारे कागजातों के साथ पैन कार्ड लगाना जरूरी होता है। पैन कार्ड की मदद से आपको विभिन्न वित्तीय लेन-देन में आसानी होती है। पैन कार्ड की मदद से आप बैंक खाता और डीमैट खाता खोल सकते हैं। इसके अलावा प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त के लिए भी यह जरूरी होता है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए भी यह जरूरी है। इस छोटे से डॉक्युमेंट से बड़े-बड़े काम रुक जाते हैं। जहां एक ओर पैन कार्ड के ढेर सारे फायदे हैं, वहीं इसका गलत उपयोग करने पर कार्डहोल्डर मुसीबत में भी आ जाता है। 
पैन नंबर न देने से कहां-कहां होता है नुकसान: 
  • पैन नंबर न देना या पैन नंबर छिपाना या फिर गलत पैन नंबर देना आपके लिए परेशानी की वजह बन सकता है। अगर कोई व्यक्ति कोई ट्रांजैक्शन करते समय (जिस ट्रांजैक्शन में यह पैन नंबर देना जरूरी है) पैन नंबर का उल्लेख नहीं करता, तो इस बात की पूरी संभावना है कि संबंधित अथॉरिटी उस ट्रांजैक्शन को प्रॉसेस ही न करे।
  • आप जहां काम कर रहे हैं या जहां से आपको आमदनी हो रही है, वहां पैन नंबर न देने की स्थिति में अधिक दर से आपका टीडीएस काटा जा सकता है। मसलन कोई कर्मचारी जिस कंपनी में काम कर रहा है, उसको उसने अपना पैन नंबर नहीं दिया है, तो उसका टीडीएस 20 फीसदी की दर से कटेगा, भले ही वह 10 फीसदी के टैक्सेबल इनकम वाली कैटेगरी में ही क्यों न आता हो।
  • अगर आपने किसी बैंक में पैसे जमा किए हैं, तो कुछ शर्तों के साथ उस पर मिल रहे ब्याज पर टीडीएस कटता है। अगर आपकी कुल आमदनी टैक्सेबल सीमा से कम है, तो आप फॉर्म 15जी और 15एच का इस्तेमाल कर टीडीएस से बच सकते हैं। लेकिन अगर आप पैन के बारे में जानकारी नहीं देते, तो आप इस फायदे से हाथ धो बैठेंगे। इसका मतलब यह हुआ कि पैन न देने पर आपका टीडीएस कटेगा। और यही नहीं, यह टीडीएस इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में आपके नाम से जमा भी नहीं होगा क्योंकि बैंक के पास आपका पैन नंबर ही नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि टीडीएस कटने से आपको पैसों का नुकसान होगा, साथ ही आप यह टैक्स रिफंड भी हासिल नहीं कर सकेंगे।
  • इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आकलन वर्ष (एसेसमेंट ईयर) 2013-14 में ऐसे 21.7 लाख लोगों की पहचान की है, जिनके पास पैन नंबर है और आमदनी/खर्च को देखते हुए उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। डिपार्टमेंट ने ऐसे लोगों को पत्र लिख कर जवाब मांगा है कि आखिर उन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न क्यों फाइल नहीं किया।
  • ऐसा कोई व्यक्ति अगर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करता और उस पर बनने वाला टैक्स 25 लाख रुपए से अधिक होता, तो ऐसे व्यक्ति को छह महीने से लेकर सात सालों तक की सजा हो सकती है। लेकिन अगर यह राशि 25 लाख रुपए से कम हो, तो ऐसी स्थिति में उसे तीन महीने से लेकर दो सालों तक की सजा हो सकती है।
  • इसके अलावा पैन नंबर न देने या फिर गलत पैन नंबर देने की स्थिति में 10,000 रुपए के दंड का प्रावधान भी है। और यह पेनाल्टी केवल एक बार ही नहीं देनी होती, बल्कि हर बार गलती करने पर आपसे पेनाल्टी वसूली जा सकती है।
कहां-कहां है पैन कार्ड जरूरी: पैन कार्ड की मदद से आपको विभिन्न वित्तीय लेन-देन में आसानी होती है। इसकी मदद से आप बैंक खाता और डीमैट खाता खोल सकते हैं। इसके अलावा प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त के लिए भी यह जरूरी होता है। दरअसल, पैन कार्ड टैक्सेबल सैलरी या प्रोफेशनल फी हासिल करने के लिए भी आवश्यक है। यह इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए भी जरूरी है। चूंकि पैन कार्ड पर नाम और फोटोग्राफ होता है, ऐसे में यह आइडेंटिटी प्रूफ के तौर पर काम करता है। भले ही आपका पता बदलता रहे, लेकिन पैन नंबर नहीं बदलता। ऊंची दर पर टैक्स डिडक्शन से बचने के लिए पैन कार्ड जरूरी है। दरअसल, जब आप 50 हजार रुपए से अधिक राशि की एफडी शुरू करते हैं, तो पैन कार्ड की फोटोकॉपी देनी होती है। पैन के अभाव में ऊंची दर पर आपका टीडीएस काट लिया जाएगा। 
इन परिस्थितियों में भी है पैन कार्ड आवश्यक:
  • दो पहिया के अलावा किसी अन्य वाहन की खरीद-बिक्री
  • किसी होटल या रेस्तरां में एक बार में 25 हजार रुपए से अधिक की अदायगी
  • शेयरों की खरीदारी के लिए किसी कंपनी को 50 हजार रुपए या इससे अधिक की अदायगी
  • बुलियन या ज्वलैरी की खरीदारी के लिए पांच लाख रुपए से अधिक की अदायगी
  • पांच लाख रुपए या इससे अधिक कीमत की अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री
  • बैंक में 50 हजार रुपए से अधिक जमा
  • विदेश यात्रा के संबंध में 25 हजार रुपए से अधिक की अदायगी
  • बॉन्ड खरीदने के लिए आरबीआई को 50 हजार रुपए या इससे अधिक की अदायगी
  • बॉन्ड या डिबेंचर खरीदने के लिए किसी कंपनी या संस्था को 50 हजार रुपए या इससे अधिक की अदायगी
  • म्यूचुअल फंड की खरीदारी 
साभार: भास्कर समाचार
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