स्कूल में एडमिशन के लिए दो साल पहले से बुकिंग। कोई छुट्टी नहीं और 12 घंटे की क्लास। यह कोई हाई प्रोफाइल प्राइवेट स्कूल नहीं, बल्कि पंजाब के संगरूर जिले के एक छोटे से गांव रत्तोके का सरकारी स्कूल है। चार टीचर्स ने अपनी लगन व मेहनत से स्कूल को अभिभावकों की पहली पसंद बना दिया है। विविध सुविधाओं
वाला यह सरकारी स्कूल महंगे प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इस प्राइमरी स्कूल को देख कर सरकारी स्कूलों के प्रति आपकी राय बदल जाएगी। स्कूल में एडमिशन लेने ले लिए अभिभावकों में मारामारी रहती है। दो साल पहले बुकिंग करवानी पड़ती है। आसपास के पांच गांवों के अभिभावक निजी स्कूलों के बजाय इस स्कूल में ही बच्चों को दाखिल करवाने को तरजीह देते हैं। पांचवीं में टॉप करने के मामले में यहां के बच्चे प्राइवेट स्कूलों से आगे हैं। सभी ए ग्रेड से आगे रहते हैं। यही कारण है कि यहां वर्ष 2018 तक की दाखिला बुकिंग पूरी हो चुकी है। तीन वर्ष से राज्यस्तरीय खो-खो खेलों में यहां के लड़के अव्वल रहे हैं।
अध्यापकों ने बदली तस्वीर: वर्ष 2002 में सुरिंदर बंसल ने मुख्य अध्यापक के रूप में कार्यभार संभाला था। तब स्कूल में सिर्फ 30 छात्र थे, लेकिन अब यहां बच्चों की संख्या 150 पहुंच गई है। मुख्य अध्यापक के अलावा यहां अध्यापिका रेणु, सतपाल कौर व प्रदीप सिंह स्कूल की सूरत बदलने के लिए दिन-रात एक किए हैं। यहां से बच्चे हर वर्ष नवोदय के लिए चुने जाते हैं। बच्चों को अंग्रेजी व गणित की विशेष तैयारी करवाई जाती है।वर्ष 2002 में सुरिंदर बंसल ने मुख्य अध्यापक के रूप में कार्यभार संभाला था। तब स्कूल में सिर्फ 30 छात्र थे, लेकिन अब यहां बच्चों की संख्या 150 पहुंच गई है। मुख्य अध्यापक के अलावा यहां अध्यापिका रेणु, सतपाल कौर व प्रदीप सिंह स्कूल की सूरत बदलने के लिए दिन-रात एक किए हैं। यहां से बच्चे हर वर्ष नवोदय के लिए चुने जाते हैं। बच्चों को अंग्रेजी व गणित की विशेष तैयारी करवाई जाती है।
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साभार: जागरण समाचार
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