एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
इस देश में हममें से अधिकांश लोग रोज धोखाधड़ी का शिकार होते हैं। सब्जी बेचने वाले से लेकर किराने की दुकान तक और रिक्शा-टैक्सी ड्राइवर तक से, जिनके बारे में दावा किया जाता है कि उनके मीटर की आरटीओ जांच करता है। हममें से कितने लोग इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हैं? चूंकि हमारा मानना है कि इस देश में किसी बात का कोई असर नहीं होता है, इसलिए हम शिकायत तक नहीं करते। किंतु सिंगापुर के 50 साल के रेमंड इओ ने विरोध किया, जिनके देश में ऐसी जनसेवाओं के मामले में तो धोखाधड़ी की बात शायद ही सुनी गई हो। उन्होंने सीधे भारत के शीर्ष कार्यालय में शिकायत की और यह भी साबित किया कि लिखित शिकायत दर्ज कराना सभी देशों में कारगर उपाय है। 11 अप्रैल 2015 को इओ मुंबई की अपनी बिज़नेस ट्रिप में टी-2 एयरपोर्ट के पास एक वन स्टार होटल में ठहरे। दोनों स्थानों के बीच एक किलोमीटर से भी कम की दूरी है। चूंकि सुबह जल्दी फ्लाइट थी, इओ ने होटल के बाहर से एक टैक्सी ली, लेकिन उनसे न्यूनतम 35 रुपए के स्थान पर 200 रुपए मांगे गए। कोई विकल्प नहीं था, इसलिए वे तैयार हो गए। एयरपोर्ट पर पहुंचने के 3 मिनट के दौरान ड्राइवर जमील अहमद खान ने दबाव बनाया कि इओ 500 रुपए चुकाएं, क्योंकि उनके सूटकेस ओवरसाइज थे। बातचीत का कोई हल नहीं निकला और चूंकि वे इमिग्रेशन के लिए लेट हो रहे थे, उन्होंने 500 रुपए चुकाए और चले गए, लेकिन जाते-जाते ड्राइवर और टैक्सी के नंबर का फोटो उन्होंने अपने स्मार्ट फोन में खींच लिया।
वे घर गए और कई वेबसाइट पर सर्च किया, जहां वे शिकायत दर्ज कर सकें, लेकिन उन्हें इसके लिए कोई साइट नहीं मिली। आखिरकार उन्होंने पीएमओ की साइट पर शिकायत दर्ज कर दी। उन्होंने शिकायत उस पेज पर लिखी जहां पीएम ऑफिस विदेशी निवेशकों को आकर्षित करता है। अपनी शिकायत में उन्होंने खान की हरकत को अपराध तथा भ्रष्टाचार बताया और इस बात पर खास जोर दिया कि इस तरह की घटनाओं से भारत की छवि खराब होती है। शिकायत इस साल 16 फरवरी को नई दिल्ली में ट्रांसपोर्ट मंत्रालय तक पहुंची और इसके बाद 28 मार्च को इसे महाराष्ट्र स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर श्याम वर्धाने के बांद्रा स्थित ऑफिस भेजा गया। इसके तीन दिन बाद शिकायत ठाणे के आरटीओ कार्यालय भेज दी गई। यहां टैक्सी रजिस्टर्ड की गई थी। इस मामले की जांच में वाहनों के रजिस्ट्रेशन का एक और गंभीर मामला उजागर हुआ। अधिकारियों को पता चला कि जिस पते पर टैक्सी का रजिस्ट्रेशन था वह पता मौजूद ही नहीं था। इसके बाद आरटीओ ने एक सामाजिक कार्यकर्ता बीनू वर्गिस से संपर्क किया, जो अपने चार साथियों के साथ अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के आसपास नजर रखते हैं। यहां से खान अक्सर सवारियां लेता था। एक स्वयंसेवी ने कैब देखी और आरटीओ को सूचना दी। फिर कैब जब्त कर ली गई। चूंकि यह एक साल पुराना मामला था, इसलिए खान ने इस बात से इंकार कर दिया कि उसने इओ को छोड़ा था, लेकिन जो फोटो उन्होंने भेजा था उसके आधार पर खान को गिरफ्तार कर लिया गया। अच्छी तरह से जांच के बाद टैक्सी के मालिक का परमिट 30 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। और अब इसे स्थायी रूप से खत्म करने पर विचार चल रहा है। आरटीओ ड्राइवर का लाइसेंस भी रद्द करने पर विचार कर रहा है। इओ की शिकायत ने टैक्सी रैकेट का एक बिंदु भी सामने रखा, जिसके बारे में पुलिस को कम ही जानकारी थी। उन्होंने गलत पतों पर रजिस्टर्ड कारों के खिलाफ अभियान चलाया और इस तरह की 100 से ज्यादा टैक्सियां पकड़ीं। यह टैक्सियां पर्यटकों को लूट रही थीं। एक अन्य फायदा यह हुआ कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने एक ईमेल एड्रेस बनाया है tcmaharashtra@yahoo.com और लोगों से कहा है कि वे इस पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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