Friday, April 8, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: हर व्यक्ति के लिए अलग दवा अगला बड़ा कदम

एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा) 
1960 के दशक में जब मैं बच्चा था और गर्मी के मौसम में कभी बीमार हो जाता तो मेरे पिता नागपुर में धनतोली में महाराष्ट्र बैंक के सामने फिजिशियन डॉ. हरिदास के पास मुझे ले जाते। हर बीमारी के लिए वे '3 रुपए और 2 रुपए डॉक्टर' थे और गुलाबी रंग का सिरप हर बीमारी के लिए देते थे। वे यह सिरप डिस्पेंसरी में ही
बनाते। कम्पाउंडर उस कड़वी दवा की बॉटल पर एक जिग-जैग लाइन बना देता, जिससे बीमार समझ पाए कि उसे कब-कितना डोज लेना है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मैं सोचता था कि कैसे मेरी हर बीमारी एक ही रंग की दवा से ठीक हो जाती है। यहां तक कि अस्पताल की लाइन में लगे हर रोगी पर कैसे यही दवा असर करती है। यह समझने में मुझे काफी समय लगा कि हर बॉटल में विशेष बीमारी और रोगी के लिए अलग-अलग सिरप होता। इसमें कुछ दवाएं कॉमन होती, जो एंटीबॉयोटिक का काम करती और उसका रंग गुलाबी हो जाता है। उस एक बॉटल के तीन दिन के डोज से मैं ठीक हो जाता। अन्य रोगी भी ठीक हो जाते। उसके बाद इन कई वर्षों में अब तक मेरी ही तरह कई लोग केमिस्ट की दुकान से डॉक्टर के पर्चे के अनुसार दवाएं लेते रहे हैं, जबकि हैल्थकेअर सेक्टर में सभी लोग यह जानते-समझते हैं कि हर मरीज अलग होता है और अलग दवाओं और डोज पर भिन्न प्रतिक्रिया देता है। कुछ लोगों पर इसके गंभीर साइड इफेक्ट होते हैं। 
चूंकि हर आदमी दूसरे से अलग होता है और उनका शरीर दवाओं पर अन्य की तुलना में अलग प्रतिक्रिया करता है, इसलिए चेन्नई की एक साल पुरानी कंपनी स्वाजीन हर मरीज के जीन्स को अलग तरह से देखती है और हर मरीज के शरीर की अलग जरूरत के अनुसार जरूरी दवा लिखती है। किसी खास रोगी के शरीर के अनुसार दवा और डोज निर्धारित करने के पीछे निश्चित रूप से लक्ष्य हैल्थ केअर के खर्च को कम करना है और साथ ही रोगी को साइड इफेक्ट से बचाना भी है। स्वाजीन नॉलेज-शेयरिंग लेबोरेटरी है। यह डॉक्टरों और लोगों के बीच उन्नत, लेकिन किफायती मेडिकल विकल्प के प्रति जागरूकता ला रही है। खासतौर पर इसका फोकस मॉलिक्यूलर डाइग्नोस्टिक के जरिये अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग दवाओं पर है। सूरज रत्नकुमार, उनकी मां केएम वाणी और वैज्ञानिक शाश्वत चंद्रशेखर द्वारा शुरू की गई यह कंपनी तीन बड़े क्षेत्रों पर ध्यान दे रही है- ऑन्कोलॉजी, कॉर्डिओलॉजी और इनफर्टिलिटी। यह एक खास रोग के चिह्नों को देखते-समझते हैं और इसके अनुसार डॉक्टर रोगी को सलाह देते हैं कि इलाज की दिशा में कैसे आगे बढ़ें और कैसे डोज तय करें। 
यह काम कैसे करती है? उदाहरण के तौर पर इस स्टार्टअप में कॉडिओलॉजी टेस्ट ऑनलाइन और फोन पर ऑर्डर किया जा सकता है। यह रोगी के घर पर एक माउथवॉश कलेक्शन किट भेजती है और वापसी कुरिअर का इंतजाम भी करती है, ताकि पूरे देश के रोगियों को उन्नत पर्सनलाइज्ड मेडिसिन उनके घर पर मिल सके। देश में इस समय एक दर्जन से ज्यादा मॉलिक्यूलर लैब है, लेकिन रत्नकुमार का दावा है कि वे ही एकमात्र ऐसे हैं, जो नॉलेज और टूल्स को सपोर्ट कर रहे हैं। इसके अलावा वे रोगियों के लिए आसानी से समझ में आने लायक टेस्ट रिपोर्ट दे रहे हैं। ऐसा लगता है कि स्वाजीन यह समझने की स्थिति में है कि कौन-सी तकनीक विश्वसनीय टेस्ट रिजल्ट देगी और इसके अलावा मेडिसिन का कौन-सा क्षेत्र दो से पांच वर्ष के आगामी दौर के लिए अच्छा होगा। इस समय स्वाजीन इस बात पर ध्यान दे रही है कि उनकी ऑनलाइन उपस्थिति के बारे में लोग जान सकें। चूंकि उन्हें गुजरात, पंजाब और उत्तर भारत के कई हिस्सों से ज्यादा पूछताछ रही है, इसलिए कंपनी अपने टेस्ट में तीन दर्जन से ज्यादा पोर्टफोलियो जोड़ने के पक्ष में है, जिसमें कई संक्रमण भी शामिल हैं। फार्माकोजेनोमिक्स (व्यक्ति विशेष के लिए मेडिसिन) में ड्रग थेरेपी हर व्यक्ति के लिए उसकी आनुवांशिकी के अनुसार अलग तय की जाती है। यह अभी शुरुआती दौर में ही है। मेडिकल विशेषज्ञों का मानना है कि यह जल्द ही बड़ा बिज़नेस बन जाएगा। 

फंडा यह है कि जेनेटिकविशिष्टता को जानना और इसे हर व्यक्ति के स्वस्थ जीवन के लिए उपयोग करना निश्चित रूप से मेडिसिन बिज़नेस का नया नजरिया है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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