मार्च माह का अंतिम दिन 9455 जेबीटी टीचरों के लिए बड़ी राहत देकर गया। 19 महीने से नियुक्ति पत्र की राह देख रहे टीचरों को आखिरकार कोर्ट ने राहत देते हुए नियुक्ति पत्र देने पर लगी रोक को हटा दिया। हाईकोर्ट की जस्टिस रितु बाहरी ने इस भर्ती को रद करने की मांग की याचिका को खारिज करते हुए अंगूठा जांच में सही पाए
जाने वाले टीचरों को नियुक्ति पत्र जारी करने को हरी झड़ी दे दी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। नरेश कुमार बनाम हरियाणा सरकार मामले में नियुक्तियों पर लगी रोक के चलते ही पिछले 19 महीने से इन 9455 चयनित जेबीटी शिक्षकों की ज्वाइनिंग नहीं हो पा रही थी। बृहस्पतिवार को बहस के दौरान कोर्ट को बताया गया कि भर्ती तय प्रक्रियाओं के तहत की गई है और रिजल्ट अपलोडिंग के समय हुई तकनीकी खामी को याचिकाकर्ता बेवजह धांधली बता रहे हैं। सीएफएसएल रिपोर्ट से भी भर्ती सही साबित हुई है। चयनित जेबीटी उम्मीदवारों की ओर से जगबीर मलिक व अनुराग गोयल ने हाईकोर्ट से स्टे हटाने व याचिका खारिज करने की मांग की। दूसरी तरफ याचिकाकर्ताओं के वकील ने एमए के 2 अंकों में हेराफेरी का आरोप लगाते हुए बहस में भर्ती रद करने की मांग की। सुनवाई के बाद ज. रितु बाहरी की बेंच ने याचिका खारिज करते नियुक्ति पर लगी रोक हटा दी। 19 माह से नियुक्ति का इंतजार कर रहे 9455 चयनित जेबीटी उम्मीदवारों की भर्ती के सबंध में सीएफएसएल ने अपनी जांच रिपोर्ट में भर्ती के रिकार्ड को सही बताया था।
ज्ञात रहे कि हुड्डा सरकार ने साल 2014 में इन टीचरों का चयन किया था। इस बीच एक स्नातकोत्तर (एमए) योग्यता प्राप्त अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि सरकार के नियमों के अनुसार चयन प्रक्रिया के दौरान उसे शैक्षणिक योग्यता के दो अंक अधिक मिलने थे। शैक्षणिक योग्यता में इनका लाभ दे दिया गया, लेकिन इंटरव्यू में हासिल अंकों में से उसके दो अंक काट लिए गए। ऐसे में वह चयन से वंचित रह गया। हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
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साभार: जागरण समाचार
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