Saturday, August 23, 2014

कद्दू के बीज: आश्चर्यजनक गुणों से युक्त दवा

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कद्दू की सब्जी बन रही हो तो अक्सर हम कद्दू के बीजों को कूड़ेदान में फेंक देते हैं। दरअसल, जानकारी के अभाव के चलते अक्सर ऐसी सब्जियों के छिलकों और बीजों को हम बेकार मानकर फेंक देते हैं। इसके लिए जरूरी है सब्जियों और फलों के इन हिस्सों से जुड़े पारंपरिक ज्ञान पर गौर करें। हम पाएंगे कि हर एक हिस्सा बेहद महत्वपूर्ण है। चलिए, आज जानते हैं कद्दू के बीजों की खूबियों और उनके जबरदस्त औषधीय गुणों के बारे में: 
  • प्रोस्टेट वृद्धि: प्रोस्टेट वृद्धि को रोकने के लिए कद्दू के बीजों को काफी कारगर माना जाता है। 2008 में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के अनुसार, कद्दू के बीजों से प्राप्त तेल से प्रोस्टेट वृद्धि को कम होता पाया गया है। माना जाता है कि प्रोस्टेट ग्रंथि के वृद्धि से परेशान रोगी को प्रतिदिन कम से कम 4-5 ग्राम बीजों का सेवन जरूर करना चाहिए। 
  • रजोनिवृति और उससे जुड़ी समस्याएं: सन् 2008 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन महिलाओं को कद्दू के बीजों के तेल (2 मिली) का सेवन 12 हफ्तों तक कराया गया, उनमें रजोनिवृति पर होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे ब्लड प्रेशर बढऩा, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, हार्मोन की कमी होना आदि में सुधार देखा गया। दिल की बीमारियों और ब्लड सर्कुलेशन से जुड़ी अन्य समस्याओं में कद्दू के बीजों से प्राप्त तेल को बेहद कारगर बताया गया है।   
  • पथरी या किडनी स्टोन: सन् 1987 में अमेरिकन जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार जिन बच्चों के पेशाब परीक्षण सैंपल में कैल्शियम ओक्सेलेट के कण पाए गए, उनके भोजन में कद्दू के बीजों को शामिल कर इस समस्या को काफी हद तक कम होते देखा गया। कैल्शियम ओक्सेलेट दरअसल किडनी में पथरी का निर्माण करते हैं।    
  • हाई ब्लडप्रेशर या हाईपरटेंशन: कद्दू के बीजों में  एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। ये हाई ब्लडप्रेशर को कम करने में बेहद कारगर साबित हुए हैं। जिन्हें हाई ब्लडप्रेशर की समस्या हो, उन्हें कद्दू के बीजों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।    
  • पेट के कीड़े: आधुनिक शोधों के अनुसार, इन बीजों को चबाकर निगलने से पेट और छोटी आंत के परजीवियों का नाश हो जाता है। आदिवासी अंचलों में भी यही मान्यता है कि पेट के कीड़ों को मारने के लिए कद्दू के बीज बेहद असरदायक होते हैं।  
  • जोड़ों का दर्द या आर्थरायटिस: सन 1995 के एक फार्मेकोलॉजिकल शोध के अनुसार, ड्रग इंडोमेथासिन, जो आर्थराइटिस के रोगियों को दी जाती है, वैसा ही असर कद्दू के बीज भी दिखाते हैं। साथ ही, कृत्रिम ड्रग की तरह इन बीजों का कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है।   
  • अनिद्रा, चिंता और तनाव (डिप्रेशन): कद्दू के एक ग्राम बीजों में करीब 22 मिलीग्राम ट्रिप्टोफान प्रोटीन पाया जाता है। इसे नींद का कारक भी माना जाता है। सन् 2007 में प्रकाशित एक शोध के परिणामों पर गौर किया जाए तो ग्लुकोज़ के साथ कद्दू के बीजों का सेवन करने से बेहतर नींद आती है। ग्रामीण इलाकों में जी मिचलाना, थकान होना या चिंतित व्यक्ति को कद्दू के बीजों को शक्कर के साथ मिलाकर खिलाया जाता है।    
  • दिल और यकृत रोग: अलसी और कद्दू के बीजों की समान मात्रा (करीब 2 ग्राम प्रत्येक) रोजाना एक बार लेना चाहिए। माना जाता है कि यकृत की कमजोरी और दिल की समस्याओं में ये काफी कारगर होते हैं। जर्नल ऑफ फूड केमिस्ट्री एंड टोक्सिकोलॉजी में प्रकाशित 2008 की एक शोध रिपोर्ट भी इस तरह के दावों को सही ठहराती है।  
  • हाथ-पैरों में जलन: हाथ-पैरों में जलन होने पर कद्दू के बीजों को पीसकर इसका लेप जलन वाले हिस्सों पर करें, तुरंत राहत मिलेगी। लेप के सूख जाने के बाद हाथ-पैर या जलन वाले अंग को नमक के घोल से धो लेना चाहिए। इससे बहुत तेजी से आराम मिलता है।  
  • घावों का होना: शरीर के जिन हिस्सों पर घाव पक चुके हैं या किसी तरह से संक्रमित हो चुके हैं। उन जगहों पर सूखे बीजों का चूर्ण या ताजा बीजों का रस लगाने से आराम मिल जाता है। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार
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