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हरियाणा में अध्यापकों की भर्ती के लिए
वर्ष 2008 में पहली बार ली गई राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (STET) एक
बार फिर से विवादों के घेरे में है। शिक्षा विभाग ने इस परीक्षा के आधार पर नियुक्त
किए गए सभी जेबीटी टीचर्स के हस्ताक्षर और अंगूठे का दोबारा मिलान करने के
आदेश दिए हैं। विभाग के इस फैसले से करीब नौ हजार टीचर्स को दोबारा
वेरीफिकेशन प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। इसके लिए भिवानी बोर्ड और उपायुक्त
को जिम्मेदारी सौंपी गई है। गौरतलब है कि 2009 में
शिक्षा विभाग की ओर से 8415 जेबीटी टीचर्स की रिक्तियां निकाली गई थीं।
इसके लिए स्टेट टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (STET) पास होना आवश्यक योग्यता थी। इन
रिक्तियों के आधार पर 2011 में सभी संबंधित अध्यापकों कोज्वाइन करा दिया गया। लेकिन कई ऐसे अभ्यर्थी थे, जिन्होंने भर्ती में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में केस दायर कर दिया। इन अभ्यर्थियों का कहना था कि जिन अभ्यर्थियों को नौकरी दी गई है, उनमें से कई अध्यापकों के STET के प्रमाण पत्र फर्जी हैं क्योंकि काफी संख्या में अभ्यर्थियों ने अपने स्थान पर अन्य को बैठा कर STET की परीक्षा दिलवाई। इसलिए उन्होंने सभी नियुक्त अध्यापकों की STET परीक्षा के दौरान दिए गए हस्ताक्षर और अंगूठे के दोबारा मिलान कराने की मांग की थी। इस संबंध में हाईकोर्ट ने कुछ दिन पहले वर्ष 2011 में नियुक्त हुए सभी जेबीटी टीचर्स की दोबारा वेरीफिकेशन करने के आदेश जारी किए थे। यह रिपोर्ट दिसंबर में होने वाली सुनवाई के दौरान जमा कराई जानी है। इसलिए विभाग ने सभी जिलों से संबंधित जेबीटी अध्यापकों की रिपोर्ट मांगी गई है। यह रिपोर्ट भिवानी बोर्ड की तरफ से इकट्ठी जाएगी। इसके आधार पर सभी संबंधित अध्यापकों के STET प्रमाण पत्र और नौकरी के आवेदन पत्रों को मधुबन स्थित फोरेंसिक साइंस लैब में भेजा जाएगा। जहां अध्यापकों की ओर से दोनों प्रमाण पत्रों में लगाए गए अंगूठे के निशान और हस्ताक्षरों की फोरेंसिक जांच की जाएगी।
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