बिहार के लगभग ढाई लाख नियोजित अध्यापक आगामी शिक्षक दिवस पर 5 सितंबर को वेतनमान की मांग को लेकर एक बार फिर सड़कों पर उतरेंगे। पिछले साल की तरह वे इस बार भी शिक्षक दिवस को अपमान दिवस के रूप में मनाने जा रहे हैं। इस सन्दर्भ में नियोजित शिक्षक भिक्षाटन और एक दिवसीय अनशन करेंगे। बिहार विधान परिषद (गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र) सदस्य संजीव श्याम सिंह ने रविवार को पटना में आयोजित नियोजित शिक्षक न्याय मोर्चा की कार्यशाला में बोलते हुए कहा कि अपमान दिवस प्रत्येक जिला और प्रखंड कार्यालयों में आयोजित होगा। उन्होंने कहा कि सरकार दोहरी नीति अपना रही है। एक तरफ
नौकरशाहों और सरकारी अधिकारियों को छठा वेतनमान दिया जा रहा है। दूसरी तरफ शिक्षकों को वेतन देने में सरकार बहाने बनाती है। उन्होंने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया कि जैसे शिक्षकों का पद सरेंडर कराकर उन्हें वेतनमान की जगह मानदेय दिया जा रहा है। वैसे ही सरकारी अधिकारियों और नौकरशाहों का पद सरेंडर कराकर नियत वेतन का फार्मूला लागू किया जाए। इस अवसर पर बोलते हुए विधान पार्षद वासुदेव प्रसाद सिंह ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के साथ अन्याय बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समान काम के लिए समान वेतन दिया जाना चाहिए। एक शिक्षक को वेतनमान और दूसरे को नियत वेतन देना संविधान की आत्मा के खिलाफ है।
नौकरशाहों और सरकारी अधिकारियों को छठा वेतनमान दिया जा रहा है। दूसरी तरफ शिक्षकों को वेतन देने में सरकार बहाने बनाती है। उन्होंने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया कि जैसे शिक्षकों का पद सरेंडर कराकर उन्हें वेतनमान की जगह मानदेय दिया जा रहा है। वैसे ही सरकारी अधिकारियों और नौकरशाहों का पद सरेंडर कराकर नियत वेतन का फार्मूला लागू किया जाए। इस अवसर पर बोलते हुए विधान पार्षद वासुदेव प्रसाद सिंह ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के साथ अन्याय बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समान काम के लिए समान वेतन दिया जाना चाहिए। एक शिक्षक को वेतनमान और दूसरे को नियत वेतन देना संविधान की आत्मा के खिलाफ है।
सौजन्य: दैनिक भास्कर समाचार