Tuesday, April 12, 2016

सुप्रीम कोर्ट का फैसला वापस: अब मेडिकल प्रवेश परीक्षा फिर से 'कॉमन'

सभी सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कालेजों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय साझा प्रवेश परीक्षा (नीट) का रास्ता फिर से खुल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने वाले अपने पुराने फैसले को वापस ले लिया है। मेडिकल शिक्षा में जारी भ्रष्टाचार और छात्रों को होने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिहाज से अदालत ने सोमवार को
अहम फैसला किया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पांच जजों की संविधान पीठ ने 18 जुलाई, 2013 के फैसले को वापस ले लिया। पीठ ने पिछले आदेश को निरस्त करते हुए कहा, ‘मामले की विस्तार से सुनवाई के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इस मामले में दिए गए फैसले पर फिर से विचार की जरूरत है।’ जस्टिस अनिल आर दवे के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि फिलहाल हम इसके विस्तार में नहीं जाएंगे, ताकि इस मामले की आगे की सुनवाई प्रभावित नहीं हो।
इस आदेश का मतलब यह हुआ कि 18 जुलाई, 2013 के पहले वाली स्थिति फिर से लागू हो गई। केंद्र सरकार और भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) ने इस परीक्षा को सभी कालेजों पर लागू कर दिया था। वह व्यवस्था फिर से बहाल हो गई है। उस वक्त यह व्यवस्था की गई थी कि देशभर के मेडिकल या डेंटल कालेजों में दाखिले सिर्फ इसी परीक्षा के आधार पर होंगे। सरकार का मानना था कि इससे छात्रों की दर्जनों परीक्षा देने की मुश्किल दूर होगी। इसके साथ ही दाखिले में पारदर्शिता आने से भ्रष्टाचार भी दूर होगा।
इस सत्र में लागू होना मुश्किल: स्वास्थ्य मंत्रलय और एमसीआइ का मानना है कि पिछला आदेश वापस लिए जाने के बावजूद इस सत्र में इसे लागू कर पाना संभव नहीं होगा। एमसीआइ की अध्यक्ष जयश्री बेन मेहता ने ‘दैनिक जागरण’ से बातचीत में इस आदेश का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस परीक्षा को लागू करना छात्र और देश के हित में है। लेकिन, एमसीआइ और मंत्रलय दोनों के अधिकारी कहते हैं कि मौजूदा व्यवस्था के तहत परीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसे में अब तत्काल नई व्यवस्था लागू करना व्यावहारिक नहीं है। इस परीक्षा को लागू करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में स्वास्थ्य मंत्रलय और एमसीआइ दोनों ने ही आवेदन किया था।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने अपने चार पेज के लिखित आदेश में पुराने फैसले की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठा दिया है।
  • तब के मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने निजी मेडिकल कालेजों को इस परीक्षा के दायरे से बाहर कर दिया था।
  • संविधान पीठ ने अपने ताजा आदेश में कहा है कि वह फैसला बहुमत की राय जाने बगैर ही दे दिया गया था।
  • अदालत का यह भी कहना है कि फैसला देने से पहले तत्कालीन पीठ के अन्य सदस्यों से कोई चर्चा नहीं की गई थी।
हम साझा प्रवेश परीक्षा के पक्ष में हैं। अगर यह लागू हो जाती है, तो हम बहुत खुश होंगे। हम वर्ष 2009 से ही इसकी कोशिश कर रहे हैं।1-जयश्री बेन मेहता, अध्यक्ष, भारतीय चिकित्सा परिषद
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारजागरण समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.