साभार: आचार्य श्री बालकृष्ण जी महाराज
प्राकृतिक नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। परन्तु टेलीविजन आदि पर भ्रामक प्रचार और विज्ञापनों के चलते हम सब
घटिया किस्म का आयोडीन युक्त समुद्री नमक खाते हैं। यह बात आप सबको शायद आश्चर्यजनक
लगे, पर यह एक हकीकत है। नमक विशेषज्ञों का कहना है कि भारत मे अधिकांश
लोग समुद्र से बना नमक खाते हैं जो कि शरीर के लिए हानिकारक और जहर के समान
है। समुद्री नमक तो अपने आप मे
बहुत खतरनाक है लेकिन उसमे आयोडीन मिलाकर उसे और जहरीला बना दिया जाता है। आप
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हैं। आपको जानकारी न हो तो बता दें कि आयोडीन की शरीर मे मे अधिक मात्रा जाने से नपुंसकता जैसा गंभीर रोग हो जाना मामूली बात है। उत्तम प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाड़ी नमक है। इसे अंग्रेजी भाषा में रॉक साल्ट (Rock Salt) भी कहा जाता है। आयुर्वेद की बहुत
सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है। आम तौर से उपयोग मे लाये जाने
वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप, डाइबिटीज़, लकवा आदि गंभीर रोगों का
भय रहता है। इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता
है। इसकी शुद्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है। ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को
'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के
इलाक़े से आया हुआ। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक को
'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से
होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था। भारत में 1930 से पहले कोई
भी समुद्री नमक नहीं खाता था। उसके बाद विदेशी कम्पनियां भारत में नमक के व्यापार में आज़ादी के पहले से उतरी हुई है, उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन
द्वारा भारत की भोली भाली जनता को आयोडीन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा
है सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरबी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है। सेंधा नमक सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है। सफ़ेद रंग वाला नमक उत्तम होता है। यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला तथा पचने मे
हल्का है। इससे पाचक रस बढ़ते हैं। रक्त विकार आदि के रोग जिसमें नमक खाने की मनाही हो उसमें भी इसका उपयोग किया जा सकता है। यह पित्त नाशक और आंखों के
लिये हितकारी है। दस्त, कृमिजन्य रोग और रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी
होता है। तो आज से तथाकथित आयोडीन युक्त नमक को अलविदा कहें और सेंधा नमक लेकर आएं।
साभार: आचार्य श्री बालकृष्ण जी महाराज
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