Wednesday, March 12, 2014

असेसमेंट टेस्ट कितने सही, कितने गलत

हरियाणा के स्कूलों में पिछले कुछ दिनों से एक मुद्दा बड़ा चर्चा का विषय बना हुआ है। शिक्षा विभाग ने इस बार फैसला किया है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे तीसरी और पांचवीं कक्षा के बच्चों का अधिगम स्तर मापने के उद्देश्य से असेसमेंट टेस्ट लिया जाएगा। इस पर अधिकतर प्राथमिक शिक्षक विरोध जताते हुए नजर आ रहे हैं। शिक्षक संघ भी इसे विभाग का बिना सोचे समझे उठाया गया कदम बता कर इसके विपक्ष में खड़ा हो गया है। दरअसल विभाग ने यह टेस्ट लेने का निर्णय बड़ा देरी से और बिना किसी पूर्व सूचना के ही ले लिया और सबसे बड़ी बात जो प्राथमिक शिक्षकों को बुरी लग रही है वह यह है कि इस असेसमेंट के लिए टीजीटी, सीएंडवी और लेक्चरर वर्ग की ड्यूटी लगायी गयी है। परन्तु यह बात समझ से बिलकुल परे है कि ऐसा क्या है जिससे प्राथमिक शिक्षकों को इस असेसमेंट से परेशानी हो रही है। आप यह पोस्ट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट नरेशजांगड़ा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। शिक्षकों का तर्क है कि शिक्षा विभाग में पिछले कुछ सालों से आये दिन प्रयोग होते आ रहे हैं और इन प्रयोगों का शिक्षा पर अधिकतर प्रतिकूल प्रभाव ही पड़ा है। यह बात बिलकुल सही है कि सरकार और विभाग द्वारा किये गए इन प्रयोगों ने शिक्षा और स्कूलों के साथ साथ अध्यापकों और बच्चों की कार्यक्षमता पर नकारात्मक असर पड़ा है। शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 16, जिसके अनुसार किसी भी बालक को उसकी कम शैक्षणिक उपलब्धि या किसी अन्य कारण से अगली कक्षा में जाने से रोका नहीं जायेगा, निश्चित रूप से पढ़े-लिखे निरक्षरों कि फ़ौज तैयार करने का उपकरण साबित हुई है, क्योंकि आप शून्य अंक वाले बच्चे को भी फेल करके उसी कक्षा में नहीं रख सकते। इस विषय में शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने एमएचआरडी को भी लिखा है कि इस धारा को मद्देनजर रखते हुए कुछ ऐसा प्रावधान करना चाहिए जिससे बच्चों को मन लगा कर पढ़ने के लिए और अध्यापकों को भी ईमानदारी से पढ़ाने के लिए प्रेरणा मिले और शिक्षा का स्तर सुधरे। इसी कड़ी में हरियाणा शिक्षा विभाग ने इस बार जो नया प्रयोग करने का सोचा है, वह निश्चित ही एक सराहनीय कदम है। पिछले 3-4 वर्षों से आठवी कक्षा तक के बच्चों को बिना परीक्षा लिए ही अथवा परीक्षा में कम अंक आने पर भी अगली कक्षा में प्रवेश हेतु उत्तीर्ण घोषित किया जाता रहा है। इस प्रणाली में निस्संदेह ही बच्चों और शिक्षकों में शिक्षण-अधिगम को लेकर जो भावना वांछित है, वह पैदा नहीं हो पाती है। कहने का तात्पर्य है कि शिक्षा व्यवस्था कि धुरी के दोनों पहिये (शिक्षक और विद्यार्थी) लापरवाह हो जाते हैं। बच्चे अधिगम का वांछित स्तर प्राप्त नहीं कर पाते और परिणामस्वरूप राष्ट्र की नींव कमजोर होती जा रही है।
हरियाणा शिक्षा विभाग ने 25 से 28 मार्च को हर साल तीसरी और पांचवीं कक्षा का असेसमेंट टेस्ट लेने का निर्णय लिया है और परीक्षा लेने के लिए टीजीटी और लेक्चरर की ड्यूटी लगाई है, जिसे लेकर अध्यापकों में विरोध की लहरें उठती नजर आ रही हैं। सोचने कि बात है कि अगर शिक्षक इस बात पर विरोध कर रहे हैं या टेस्ट से हिचकिचा रहे हैं तो कहीं न कहीं उन्हें इस बात का डर अवश्य है कि अगर बच्चों के अंक कम आये तो उनकी नौकरी पर आंच न आ जाये। परन्तु जैसी सूचना सूत्रों से प्राप्त हुई है उसके अनुसार यह टेस्ट केवल बच्चों के अधिगम स्तर को जांचने का एक प्रयोग मात्र है। इससे विभाग को भी पूर्व में किये गए प्रयोगों की समीक्षा करने का अवसर मिलेगा और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार कि गुंजाइश बढ़ जायेगी। इसलिए मेरा सभी शिक्षक साथियों से व्यक्तिगत अनुरोध है कि वे सकारात्मक रवैय्या अपनाते हुए विभाग का सहयोग करें। आप यह पोस्ट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट नरेशजांगड़ा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।  
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