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गुलकंद एक आयुर्वेदिक टॉनिक है। गुलाब के फूल की भीनी-भीनी खुशबू और
पंखुड़ियों के औषधीय गुण से भरपूर गुलकंद को नियमित खाने पर पित्त के दोष
दूर होते हैं तथा इससे कफ में भी राहत मिलती है। गर्मियों के मौसम में
गुलकंद कई तरह के फायदे पहुंचाता है। गुलकंद कील मुहांसो को दूर करता है और रक्त शुद्ध करता है, हाजमा दुरुस्त रखता है और आलस्य दूर करता है।
आप यह पोस्ट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट नरेशजांगड़ा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। गुलकंद शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और कब्ज को भी दूर करता है।सीने की जलन और हड्डियो के रोगो में लाभकारी है, सुबह-शाम एक-एक चम्मच गुलकंद खाने पर मसूढ़ों में सूजन या खून आने की समस्या दूर हो जाती है। मासिकधर्म के दौरान गुलकंद खाने से पेट दर्द में आराम मिलता है। मुंह का अल्सर दूर करने के लिए भी गुलकंद खाना फायदेमंद होता है।
गुलकंद बनाने की विधि:
आप यह पोस्ट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट नरेशजांगड़ा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। गुलकंद शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और कब्ज को भी दूर करता है।सीने की जलन और हड्डियो के रोगो में लाभकारी है, सुबह-शाम एक-एक चम्मच गुलकंद खाने पर मसूढ़ों में सूजन या खून आने की समस्या दूर हो जाती है। मासिकधर्म के दौरान गुलकंद खाने से पेट दर्द में आराम मिलता है। मुंह का अल्सर दूर करने के लिए भी गुलकंद खाना फायदेमंद होता है।
गुलकंद बनाने की विधि:
सामग्री - कुछ ताजी गुलाब की पंखुडियां, बराबर मात्रा में चीनी, एक छोटा चम्मच पिसी छोटी इलायची तथा पिसा सौंफ
बनाने की विधि - गुलाब की ताजी व खुली पंखुडियॉं लें। अब कांच की बडे मुंह की बोतल
लें इसमें थोडी पंखुडियां डालें अब चीनी डालें फिर पंखुडियां फिर चीनी अब
एक छोटा चम्मच पिसी छोटी इलायची तथा पिसा सौंफ डालें फिर उपर से पंखुडियां
डालें फिर चीनी इस तरह से डब्बा भर जाने तक करते रहें इसे धूप में रख दें
आठ दस दिन के लिये बीच- बीच में इसे चलाते रहें चीनी पानी छोडेगी और उसी
चीनी पानी में पंखुडियां गलेंगी। (अलग से पानी नहीं डालना है) पंखुडियां
पूरी तरह गल जाय यानि सब एक सार हो जाय । लीजिये तैयार हो गया आपका गुलकंद।
साभार: आचार्य श्री बालकृष्ण जी महाराज
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