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क्या कारण है की गर्मी शुरू होते ही सभी प्रकार के
बेक्टीरिया और वायरस क्रियाशील हो जाते है और मलेरिया, टायफोइड, जोंडिस, डायरिया, स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियाँ फ़ैल जाती है? इसका मुख्य कारण है
पित्त का बढना। इसलिए पित्त को सम रखो और इन सब बीमारियों से बचो। आप
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हैं। जीरा,
धनिया, सौंफ, हिंग, अजवाइन, लौकी, कच्चा नारियल, बेल, गाय के दूध से बना छाछ इनका भरपूर इस्तेमाल करो। शक्कर की जगह मिश्री और नमक की जगह सेंधा या काले नमक का इस्तेमाल करें। सुबह 2 से 4 ग्लास पानी पिए। हो सके तो आंवला और एलो वेरा ज्यूस के साथ। पित्त सम होने से पसीने में बदबू नहीं आएगी। चाहे कितना ही पसीना क्यों ना आए और इससे होने वाली परेशानियां जैसे दाद, रैशेज़, पिम्पल्स, फोड़े, फुंसियां इत्यादि भी नहीं होंगी।
वैसे गर्मियां आते ही ठण्डे पानी के ना होने से प्यास नहीं बुझती और हम फ्रीज में पानी रखना शुरू कर देते है। पर यह पानी बहुत ज़्यादा ठंडा होने से नुकसान करता है, वात बढाता है, इसके अलावा प्लास्टिक की बोतल भी पानी रखने के लिए सुरक्षित नहीं होती। मिटटी से जुड़ने के लिए मटके का इस्तेमाल करे। आप यह पोस्ट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट नरेशजांगड़ा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। इसके इलावा मटके के बहुत से लाभ हैं, आइये चर्चा करें:
- इसमें पानी सही तापमान पर रहता है , ना बहुत अधिक ठंडा ना गर्म।
- मटके का पानी पीने से तुरंत संतुष्टि होती है।
- मिटटी में शुद्धि करने का गुण होता है और यह पानी को सूक्ष्म पोषक तत्व देता है।
- यदि आपको आरओ या फ़िल्टर का पानी पीने की आदत है तो भी आरओ या फ़िल्टर का पानी मटके में डाल कर ऐसी जगह रख लें जहाँ मटके को हवा न लगे।
- इसे पीने से ना ही गला खराब होगा ना ही सिरदर्द होगा।
- बिजली की बचत होगी और भरपूर ठंडा पानी नैसर्गिक रूप से उपलब्ध होगा।
- सबसे अच्छी बात, कुम्हारों को रोज़गार मिलेगा।
- इसके इलावा भारतीय संस्कृति, जो विश्व में सर्वश्रेष्ठ कही जाती है, उस संस्कृति से दूर भागती युवा पीढ़ी को माटी से जोड़ने का कार्य यही चीजें करती हैं। अतः घर में इस प्रकार की वस्तुएं होना जरूरी है।
- घर के बाहर भी पानी से भरा मटका रखवा देने से प्यासों को मुफ्त पानी मिलेगा और हमें पुण्य। ध्यान रहे कि हमारी भारतीय संस्कृति में पानी बेचना भयंकर पाप माना जाता है।
साभार: श्री राजीव दीक्षित जी के पेज से
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