साभार: जागरण समाचार
रोडवेज विभाग हाईटेक हो या न हो, लेकिन परिचालक तकनीकी रूप से बहुत अधिक विकसित हो गए हैं। उनकी तकनीक की वजह से रोडवेज विभाग को घाटा लग रहा है। इसकी वजह यह है कि वे वाट्स एप पर ग्रुप बनाकर
रोडवेज चेकिंग टीम की सूचना शेयर करते हैं। इससे रोडवेज विभाग को हर महीने लाखों रुपये का घाटा लग रहा है। गत 5 मार्च को गुप्त सूचना के आधार पर रोडवेज के महाप्रबंधक खूबीराम कौशल ने हिसार से आ रही फतेहाबाद डिपो की बस धांगड़ के पास चेक की, जिसमें बस परिचालक और चालक एक ऐसे ग्रुप में जुड़े हुए थे, जिस ग्रुप के माध्यम से रोडवेज की फ्लाइंग टीम की पल-पल की सूचना अपडेट की जाती थी।
इसके बाद परिचालक मनोज कुमार निवासी नंगथला को बृहस्पतिवार 22 मार्च को निलंबित कर दिया गया। हालांकि जिस ग्रुप में निलंबित परिचालक मनोज नंगथला जुड़ा हुआ था। उसमें करीब 119 परिचालक और भी शामिल हैं। उनमें से 10 परिचालक तो ग्रुप के एडमिन भी बने हुए थे। ये सभी परिचालक हिसार, फतेहबाद व सिरसा डिपो से जुड़े हुए हैं। रोडवेज डिपो फतेहाबाद के महाप्रबंधक का कहना है कि परिचालकों ने एंड्रायड फोन का प्रयोग करते हुए चेन सिस्टम बनाया हुआ है। जो रोडवेज की फ्लाइंग टीम की लोकेशन हर समय अपडेट करते हैं। इससे अब गबन व अन्य मामले कम मिलने लगे हैं। ऐसे में परिचालकों व चालकों के पास किसी भी प्रकार का एंड्रायड फोन रखने की पाबंदी लगाने की सख्त जरूरत है। उन्होंने इसके लिए रोडवेज विभाग के महानिदेशक व अतिरिक्त मुख्य सचिव का पत्र लिखा है। अब वे ही आगामी कार्रवाई करेंगे।
पूरा गंभीर मामला है। मैंने उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है कि परिचालकों को एंड्रायड फोन रखने पर पाबंदी देनी चाहिए। परिचालक तकनीक का गलत इस्तेमाल कर रहे है। इससे रोडवेज को घाटा लगता है। जो ग्रुप बनाकर लोकेशन शेयर करते थे, उसकी पूरी डिटेल मेरे पास है। ग्रुप में शामिल सभी परिचालकों पर कार्रवाई की जाएगी। - खूबीराम कौशल, महाप्रबंधक, रोडवेज डिपो फतेहाबाद।
अब ग्रुप के एडमिन और सदस्यों को भेजा जाएगा नोटिस: रोडवेज के महाप्रबंधक खूबीराम कौशल ने बताया कि जिस वाट्स एप ग्रुप से परिचालकों को अपडेट मिलती थी। उस ग्रुप में 119 परिचालक सदस्य थे और करीब 10 एडमिशन बने हुए थे। अब सभी नंबरों को ट्रेस करके परिचालक की पूरी जानकारी ली जा रही है। इसके बाद सभी को नोटिस भेजा जाएगा।
जो रिकार्ड में दर्ज नहीं, उन्हीं नंबरों से चला रहे थे वाट्स एप ग्रुप: रोडवेज के परिचालकों को पहले से अंदेशा था कि वो इस तरह ग्रुप बनाकर टिकट चेकिंग टीम की लोकेशन बताएंगे तो पकड़े जाएंगे। ऐसे में कर्मचारियों ने वाट्स एप बनाने के लिए नये नंबर लिए। जो नंबर पहले से रोडवेज विभाग में दर्ज है उनकी बनाए नए नंबर लेकर वाट्स एप ग्रुप बनाया।