साभार: भास्कर समाचार
हरियाणा सरकार ने डॉक्टरों के लिए पीजी डिग्री, डीएनबी और डिप्लोमा करने की नीति में संशोधन किया है। कार्यरत एचसीएमएस और एचसीडीएस के डॉक्टर उच्च शिक्षा के लिए किसी भी प्रवेश या नीट की परीक्षा दे
सकते हैं। अब स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा देने के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेना आवश्यक नहीं होगा। यह नीति शैक्षणिक वर्ष 2018 से लागू लागू होगी। इस नई नीति से पहले की जारी सभी स्नातकोत्तर नीतियां समाप्त कर दी गई हैं। यदि कोई डॉक्टर दो साल की सेवा पूरी होने से पहले पीजी या अन्य कोई डिप्लोमा करता है तो उसे नौकरी छोड़नी होगी। नई नीति के अनुसार दो साल की संतोषजनक सेवा पूरी करने वाले डॉक्टर पीजी डिप्लोमा, डिग्री या डीएनबी पाठ्यक्रम करने के लिए बिना वेतन के एनओसी ले सकेंगे। डिग्री करने के समय को बिना वेतन के असाधारण छुट्टी माना जाएगा। यदि दो साल पूरा होने से पहले, जो डॉक्टर पीजी करना चाहते हैं, उन्हें नौकरी से इस्तीफा देना होगा। प्रदेश के अस्पतालों में कम से कम दो वर्ष ग्रामीण क्षेत्र में ड्यूटी करने के साथ चार वर्ष की नियमित संतोषजनक नौकरी पूरी करने वाले डॉक्टर को पीजी डिग्री, डिप्लोमा या डीएनबी कोर्स करने के लिए पूर्ण वेतन के साथ एनओसी दी जाएगी। पूर्ण वेतन के लिए अपनी पात्रता के मामले में डॉक्टर उसी स्टेशन से अपने वेतन और एचआरए का दावा करेंगे, जहां से वे कोर्स के लिए रिलीव हुए थे। बशर्ते पीजी के लिए मिलने वाले वजीफे की राशि को राज्य खजाने में जमा करने पर ही वेतन और अन्य भुगतान जारी किए जाएंगे। सेवारत डॉक्टर अपने समस्त सेवाकाल के दौरान केवल एक बार सरकार से एनओसी प्राप्त करने के बाद पीजी डिग्री, डीएनबी या डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। उम्मीदवार जो वेतन के बिना या वेतन के साथ पीजी कोर्स करते हैं, वे किसी भी अन्य अध्ययन अवकाश के लिए पात्र नहीं होंगे। सेवारत उम्मीदवार जिसने स्वास्थ्य विभाग द्वारा 30 जनवरी को जारी अधिसूचना से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरी की हैं, उन्हें इसी अवधि के सेवा का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। किसी भी डॉक्टी को ओपन पैटर्न पर पीजी या अन्य कोर्स करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पीजीआईएमएस रोहतक या हरियाणा के अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एचसीएमएस कैडर के लिए आरक्षित सीटों पर डिप्लोमा कोर्स में चुने गए उम्मीदवारों को सभी शर्तें पूरी करने पर ही इन-सर्विस उम्मीदवार माना जाएगा।
2 साल ग्रामीण और 4 साल की संतोषजनक नौकरी पर ही मिलेगी एनओसी
काउंसिलिंग से पहले लेनी होगी एनओसी :पीजी डिग्री, डिप्लोमा या डीएनबी कोर्स करने के इच्छुक सेवारत डॉक्टर को काउंसलिंग से पहले सक्षम प्राधिकारी के पास अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करना होगा। राज्य सरकार विभिन्न शर्तों के अधीन एनओसी की अनुमति दे सकती है।